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गुरुवार, जनवरी 06, 2011

आपकी दिनचर्या आपका इंतज़ार कर रही है ....चर्चा मंच (391 )

दोस्तों 
चलें फिर चर्चा मंच की ओर .............आपकी दिनचर्या आपका इंतज़ार कर रही है इसलिए कोई गप्पबाजी नहीं ............सीधे चलिए और अपनी पसंद को चुनिए 

अपना थका शरीर तुम्हें सौपने के लिए कितनी वजह काफी है
ये तो पता नही

तो चाँद क्या करेगा
सिर्फ़ आहें भरेगा

क्या मैं सच में आत्मा से मिली थी...सर्जना शर्मा
ऐसा होता है………

लॉफ्टर की ट्रिपल डोज़...खुशदीप

दीजिये …………हम तैयार हैं

***गुरु गोबिंद सिंह जी ***

नमन है

सिर्फ सेहत के सहारे जिन्दगी कटती नहीं

बात तो सही है …………और भी बहुत कुछ चाहिये

आत्ममंथन की प्रक्रिया मे……………………(2)
लगे रहो ………शायद कुछ हाथ लग जाये

कवि १९७०

कुछ कहने लायक छोडा ही नही

कहो कि जीना है-
कैसे?

सुख ! चैन ! प्यार ! नदिया के पार।
बिल्कुल सही

शमा हूँ मैं.........

जलना मेरी फ़ितरत्……मगर जला भी सकती हूँ


रिल्के उदासियों के बीच
कितनी गहरी………।

एक-खबर पर इंसानियत बेखबर

इंसानियत कब सोचती है?

मुहब्बत नहीं है, तो फिर और क्या है ?
बिल्कुल जी………मोहब्बत ही है

"और बच्चे बड़े हो गए"

देखा पता भी नही चला

इंतज़ार रहता है
यही ज़िन्दगी का सच है

यूं ही जननी नही कहते सब ....

ये तो सही बात है

ज़रूरी है अब, ब्लॉगिंग के लिए सरकारी लाइसेंस!!
और क्या क्या जरूरी होने वाला है एक बार मे बता दो ………क्यों तडपा तडपा के मार रहे हैं

"क्या पार करेगा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

जिसने बनाया संसार है
उसकी रचना का ना पाया पार है
फिर कैस तू भव से पार है

आईटी की पीड़ा
जब सभी पीडित हैं तो ये क्यों पीछे रहे…………

टिप्पणियों की अनिवार्यता और माडरेशन का नकाब ?

वक्त की जरूरत

मैं एक विस्फोट भी हूँ

सही कह रहे हैं

भाई एक अमीर आदमी

इससे अमीर और कौन्………आज के ज़माने मे

ओ महाकाल -- अम्बर का आशीष से ----- ललित शर्मा
गज़ब है

नरक ही है, तुम्हारे लिए किताबी, उनके लिए जवाबी(?) - पहला भाग

ये क्या कह दिया

इस फोन काल से सचेत रहें
बिल्कुल रहेंगे जी



tumhara hriday...
जलती मशाल

दीदार-ए-युसुफ खान
ओये -होए.......... क्या बात है

कल्पना नहीं कर्म ................संजय भास्कर
सच कहा

अतुल जी का जाना,एक अपूर्णीय क्षति
नमन

बयाना ........मेरी स्मृति में.
बता दीजिये

बादल (बाल -कविता )
कारे कारे बदरा


अलबेला जी ने मचाई धूम सांपला में
और आपने क्या किया ?

बस पराई पीड़ देख
तो फिर अपनी का क्या होगा?




दो दीवारों सी जिन्दगी..
अब दीवारों के पार कुछ दिखाई नहीं देता


चलिए दोस्तों हो गयी आज की दिनचर्या पूरी .........अब फिर मिलेंगे तब तक के लिए ..........सायोनारा

32 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात शास्त्री जी //
    बहुत ही सुंदर चर्चा ...विविध रंगों की

    जवाब देंहटाएं
  2. मैं वंदना जी का बहुत aabhari hun ...चर्चा manch me aane ke baad mere paathak varg me badhotari aaii hai

    जवाब देंहटाएं
  3. इतनी ठण्ड में भी ब्लॉग पढ़ लेती हो ...
    शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया चर्चा .... पोस्ट को सम्मिलित करने के लिए आभार ....

    जवाब देंहटाएं
  5. पर्याप्त और अच्छे लिंक उपलब्ध कराए हैं, पर फोन्ट साइज बहुत बड़ा है।

    जवाब देंहटाएं
  6. charcha manch par aapki post ka intzar karna hi aadat me shamil ho gaya hai.aapki mehnat se charcha manch me char chand lag jate hain.sarthak links.sundar prastuti.aabhar...

    जवाब देंहटाएं
  7. ek aur kadkadati thand to ek aur jalti mashal,
    mila kar bhinna links ko aapne kar diya kamal.
    meri 2-2 post lene ke liye hardik dhanyawad.aabhar.

    जवाब देंहटाएं
  8. वंदना जी बहुत बहुत आभार आपका इन सब पोस्टो को एक ही जगह इतने सुन्दर तरीके से प्रस्तुत करने के लिए !

    ऐसे में एक ही सवाल जहेन में आता है कि जब कुछ लोग यह कह रहे हो कि आजकल हिंदी ब्लॉग जगत में चर्चा करने योग्य पोस्ट लिखी ही नहीं जा रही है ऐसे में क्या हम लोग पाठको को रोज़ रोज़ नए नए पोस्ट से रूबरू नहीं करवा रहे है ? क्या जिन पोस्टो के लिंक हम देते है वह उम्दा दर्जे की नहीं है ... क्या उन पोस्टो के लेखक इतने दिनों से बेकार में ब्लोगिंग कर रहे है ? हिंदी ब्लॉग जगत में यह कैसा चलन चल निकला है कि अपने को बड़ा बताने के लिए बाकी सब को छोटा कर दो !! ज़रा सोचियेगा !

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही सुन्‍दर चर्चा ...वन्‍दना जी आपका श्रम सार्थक हुआ ....बधाई इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह जी, बक बक की भी चर्चा ......
    ब्लोगिंग का बुखार.....
    जय राम जी की.

    जवाब देंहटाएं
  11. आज की दिनचर्या देर से शुरू हुई ...
    कुछ पढ़ी हुई हैं , कुछ पढ़ते हैं बारी- बारी !

    जवाब देंहटाएं
  12. Is vistrit charcha ke liye abhar ... kai acche rachnaon ko samete hain aapne ...
    meri rachna ko bhi sthaan dene ke liye shukriya !

    जवाब देंहटाएं
  13. आज का अंक देरी से प्राप्त हुआ । आपके चुनिन्दा परिश्रम के साथ अनपढी रचनाओं पर अब नजर दौडाते हैं ।
    मेरे आलेख "टिप्पणियों की अनिवार्यता और माडरेशन का नकाब" को चर्चामंच में स्थान देने के लिये आपका आभार...

    जवाब देंहटाएं
  14. सप्ताह में दो दिन नियम से अच्छी चर्चा करने के लिए यह नाजीज आपका आभारी है!

    जवाब देंहटाएं
  15. bahut badhiya aur sarthak charcha...abhi links tak jaana sambhav nahi hai ..fir bhi bahut se padh liye hain ..bas tippni nahi kar paayi :)

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत ही नायाब अंदाज़ है,चर्चा का...
    बढ़िया पोस्ट्स के ढेरों लिंक मिले.

    जवाब देंहटाएं
  17. पढने को बहुत सारे लिंक मिले .. आपका आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  18. इस सुंदर चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  19. priya bandana ji

    sadar pranam !

    bahut sundar srijano ka sanyojan . sundar prayas ke liye
    bahut -2 badhayi
    charcha-manch men man dene ke liye ,aabhar .

    जवाब देंहटाएं
  20. इस सुंदर चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  21. are wah...ye to khubsurat rachnao se saja khubsurat guldasta jaisa hai...bahot achcha laga charcha manch...meri rachna ko bhi shamil karne ka dhanyawaad bandna jee.

    जवाब देंहटाएं
  22. वंदना जी चर्चा अच्छी रही..लिंक देख रही हूँ.. बदिया चयन है.. शुभप्रभात

    जवाब देंहटाएं
  23. .
    .
    .
    हा हा हा,
    अच्छा है,
    'मुन्ना भाई' का शुक्रिया कुबूल फरमायें!


    ...

    जवाब देंहटाएं
  24. सुन्दर सार्थक ब्लोग चर्चा.. और पठनीय सामाग्री एक ही स्थल पर उपलब्ध करवाने के लिये आभार

    जवाब देंहटाएं

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