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मंगलवार, जनवरी 04, 2011

साप्ताहिक मंच ३१

आ गया फिर से मंगलवार!

इसलिए काव्यमंच है तैयार!

"महके-चहके घर-परिवार"

नया साल मंगलमय होवे, महके -चहके घर परिवार।।


मेरा फोटो


अनाम भले हो...



अनाम भले हो...
*******
तुम्हारी बाहें थाम
पार कर ली रास्ता,
तनिक तो संकोच होगा
भरोसा भले हो !....

मंथन


मेरा फोटो

आज शब्द-शिखर पर प्रस्तुत है वंदना गुप्ता जी की एक कविता. वंदना अंतर्जाल पर जिंदगी एक खामोश सफ़र के माध्यम से सक्रिय हैं।
मंथन किसी का भी करो
मगर पहले तो
विष ही निकलता है
शुद्धिकरण के बाद ही
अमृत बरसता है

स्वाभाविक


My Photo

समय का स्वभाव था
सो गुजर गया
सूरज कभी चढ़ा था
फिर उतर गया
यह भावुकता का विषय नहीं
तथ्य है
नैसर्गिक
चिर निरंतर का सच...

नई आशा, नई उम्मीद


My Photo

नया साल
एक नई आशा
नई उम्मीद
जगाता हुआ
कलेंडर के पन्नों पर
उतर आता है...

माँ तुझे सलाम!


मेरा फोटो

सख्त रास्तों में भी आसान सफ़र लगता है,
ये मुझे मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है,

एक मुद्दत से मेरी माँ सोयी नहीं है,
जब से मैंने एक बार कहा था,
माँ-मुझे डर लगता है!
My Photoआचार्य संजीव वर्मा “ सलिल “ जी एक नव गीत के माध्यम से नए साल में खुद का आंकलन करने का सुझाव दे रहे हैं … एक नया पृष्ठ खुल रहा है ..महाकाल के महाग्रन्थ का
My Photoवंदना सिंह लायी हैं एक गज़ल …जिसमें कह रही हैं कि ना कहा और न ही कबूला .. प्यार था पर कभी कहा नहीं …ज़िंदगी का खामोश सफर रहा लेकिन ठहराव नहीं आया ---

मंजिलें छूट गयीं और सबात* आया भी नहीं

My Photoकुसुम ठाकुर जी की एक प्यारी सी
गज़ल --

गुम सुम रहो और न बातें करो,
कहूँ मैं क्या जो यकीं मुझपर करो।
ज़िद भी करूँ क्यूँ न वादा करो

कल का इंतज़ार


My Photo
ग़र गर्दिश में हो सितारा तो गम न कर,
अपने आप पर जुल्मो-सितम न कर ,
कल सवेरा होगा,सूरज भी निकलेगा,
कुछ न कर बस कल का इंतज़ार तो कर |...
My Photo
प्रियंका राठौर बता रही हैं ज़िंदगी के शाश्वत सत्य को ..पढ़िए जीवन - मृत्यु के खेल को …

जीवन और मृत्यु
My Photoदीपाली“ आब” की एक खूबसूरत गज़ल पढ़िए ..
मेरी तहरीर पूछती है कान में मेरे
लफ्ज़ महके हैं कौन आया ध्यान में मेरे..

क्या इज़ाफा हुआ है इम्तिहान में मेरे

आज फिर उनके रूख पे नकाब नहीं है


My Photo
आज फिर किसी का कत्ल होगा शायद
आज फिर उनके रूख पे नकाब नहीं है।

हैं मुज़्तरिब वो कि उनका कोई रक़ीब नहीं
आखिर इन्सॉं है वो कोई माहताब नहीं है।...


मम्मी देखो मेरी डॉल। 
खेल रही है यह तो बॉल।। 
पढ़ना-लिखना इसे न आता। 
खेल-खेलना इसे सुहाता।। 
कॉपी-पुस्तक इसे दिलाना। 
विद्यालय में नाम लिखाना।। ...

मेरा फोटो
दिलीप तिवारी “ करिश “ बहुत दिनों बाद लाये हैं एक खूबसूरत गज़ल --
तेरा गम जब भी चखता हूँ, कड़वा सा हो जाता हूँ....
धीरे से अम्मा कहता हूँ, मैं मीठा हो जाता हूँ... 


एक कटोरी याद से तेरी

उफान …सोच के



सोच ,
सर्फ़ के झाग की तरह
कुछ देर
फेनिल झागों के समान उभरी
और ख़त्म हो गई
दूध में उफान की तरह
विचार उफनते हैं...

पलाश के फूल -4


मेरा फोटो

झड़ जायेंगे दिसम्बर की ठिठुरन से
कुम्हलायी आस  के  निस्तेजित  फूल  सारे
नववर्ष में नूतन स्वप्न सजाना तुम
पलाश के फूल बन खिल जाना...

चुप - चुप - चुप ......



My Photo

चुप - चुप - चुप , चुप - चुप - चुप

हम तुम दोनों , क्यों हैं चुप ...
सर्द रात की स्याही में ,
कहीं चांदनी छिटक आई है ,
नन्हें - नन्हें तारों बीच ,
कहीं ध्रुव तारे ने आवाज लगाई है ,
अब तो धुंध भी छटने को है ,
फिर भी -... ....


आप सब को नव वर्ष की शुभ कामनाएं


दोस्‍त सब जान से भी प्‍यारे हैं
जब तलक दूर वो हमारे हैं
जो भी चाहूं वहीँ से मिलता है
मॉं के हाथों में वो पिटारे हैं
My Photoअशोक व्यास जी की रचनाएँ एक अजब सा आकर्षण लिए होती हैं …इस बार बता रहे हैं की संकल्प क्या है ? आप भी जानिये संकल्प के बारे में ..
राजेश चढ्ढा
राजेश चड्ढा जी सुबह के लिए बिलकुल एक नया विचार लाए हैं .ज़रा आप भी देखें यह क्या कह रहे हैं
खुदगर्ज़ सुबह
मेरे जज्बात

आज-कल तो वो बड़ी ही शान में रहता है -
आज-कल तो वो बड़ी ही शान में रहता है
क्या बात हुयी है किस गुमान में रहता है
जो चला है मेरे आँगन में पत्थर बरसाने
अरे खुद भी तो कांच के मकान में .........
मेरा फोटोयोगेश शर्मा जी मन में घुमडने
वाले भावों को जब कह नहीं पाते तो कुछ लिख लेते हैं …पढ़िए उनकी रचना ---कविता एक लिख लेता हूँ ..
My Photoअसीम नाथ त्रिपाठी बड़ी बेचारगी से बता रहे हैं कि लो जी आ गया नया साल …क्या क्या होगा ..और फिर आ जायेगा एक नया साल …पढ़िए उनके विचार --नया साल

ख़ुशियों का गहना : रावेंद्रकुमार रवि का नया बालगीत


मेरा फोटो


फूलों से ख़ुशबू लाई,
तारों से लाई झिलमिल!
सबका मन सरसाती है,
हँसती है जब खिल खिलखिल!
बनकर ख़ुशियों का गहना!...

क्यूँ उठने लगे हें सवाल


मेरा फोटो

क्यूँ उठने लगे हें सवाल ,
रोज होने लगे हें खुलासे ,
और होते भंडाफोड ,
कई दबे छिपे किस्सों के ,
पहले जब वह कुर्सी पर था ,
कोई कुछ नहीं बोला ,
हुए तो तभी थे कई कांड ,

हो जाये साले-नौ में मुहब्बत पे गुफ़्तगू


My Photo

छोडोबहुत हुई हैसियासत पे गुफ़्तगू
होजाए साले-नौ में मुहब्बत पे गुफ़्तगू


बर्बाद करके जाएगा ये वक़्त देखिये
करते रहे जो हम यूँही नफ़रत पे गुफ़्तगू

...........
बड़ा ही जानलेवा है
IMG_0130_thumb[1]

तुम्हारा    रूठकर  जाना,     बड़ा  ही  जानलेवा है,

हुई ग़लती  चलो माना,       बड़ा ही जानलेवा है,


हमारी बात पर हमको भले ही     बे अदब समझा

यूँ महफिल छोड़कर जाना,    बड़ा ही जानलेवा है.....

जब में कहीं रूठ जायूं तो मुझे मना लेना




Dr. Tej Pratap Singh




घी से भरे दीपक को जला के रखना 

अपने हाथों के सहारे रोके रखना लौ को,

कितनी भी अंधी आये मुझे बुझने ना देना

जब में कहीं रूठ जायूं तो मुझे मना लेना,..

प्राण तुम्हारे नयनों में


श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना 'किरण'


श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना \

प्राण तुम्हारे नयनों में मैं
खोज रही कुछ सुख का स्त्रोत,
दीन निर्धनों की आहों से
करुणामय हो ओत-प्रोत ! 
ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र
मेरा फोटो
विदा करो मुझे 
-
 विदा करो मुझे अब अपनी रूह से
अब नहीं रुक पायेगी रूह मेरी तेरे साथ
रूह की चादर पर टंगे तेरे ख्वाब अब नयी ताबीर नहीं लिख पाएंगे
मेरी ज़ख़्मी रूह के हर नासूर पर...
मेरी गली के आवारा कुत्ते
My Photo
मेरी गली में रहते
कुछ आवारा कुत्ते
इंसानों के बीच रहते रहते
अपना पराया सीख चुके
गली में कोई उनका गैर नहीं
बाहरी कुत्ते आये तो फिर उनकी खैर नहीं ये...

सर्प और सोपान




जीवन का कटु यथार्थ है , सांप सीढ़ी का खेल

त्रासदी है मानव जीवन की, इन संपोलो से मेल

मनुष्य और सर्प के रिश्ते , है बो गए विष बेल



ना जाने कितने अश्वसेन, कितने विश्रुत विषधर भुजंग
बढ़ा रहे शोभा कुटिल ह्रदय की, जैसे वो उनका हो निषंग
ताक में रहता है वो , कब छिड़े महाभारत जैसा कोई प्रसंग
.............
कविता -
My Photo

*कविता----- अपनी बात *
नया साल आप सब के लिये सुख समृ्द्धि, शान्ति ले कर आये।
7-8 दिन नेट से दूर रही।
आज समझ नही आ रहा कि कहाँ से शुरू करूँ।
बच्चों के साथ छु...
अब आज का चर्चा मंच समाप्त करने की आज्ञा दीजिए!

28 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर और विस्तृत चर्चा के लिए आभार!

    जवाब देंहटाएं
  2. ‍बहुत सारी लिंक्स दी हैं आपने बधाई |नव वर्ष शुभ और मंगलमय हो |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर रचनाओ की सुन्दर चर्चा ....
    कुछ लिंक्स काम नहीं कर रहे हैं

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर चर्चा, अच्छे लिंक्स आभार व नवर्ष की शुभकामनायें।

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  5. कितनी मेहनत करती है आप बधाई

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर लिंकों से सजी चर्चा , बहुत सारी सुन्दर कविताओ को पढने का सौभाग्य प्राप्त हुआ .

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  7. कविताओं के इस बेड़े में हृदय के भाव यत्र-तत्र जम से गए। यूं ही भावों का कविता संग छूट जाना एक नई खनक को नए बोल दे जाती है और मन वहीं रम जाता है।

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  8. संगीता जी की चर्चा हमेशा की तरह सुन्दर और बढ़िया लिंक ... संगीता जी को और सभी ब्लॉग मित्रों को नव वर्ष पर पुनः शुभकामनायें..

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  9. सभी लिंक अलग-अलग विंडो में यदि खुल सकें तो ही अपना मनपसन्द पढने में आसानी होती है । वर्ना गाडी कब पटरी से उतर जाती है यह मालूम ही नहीं पड पाता ।
    यह सुझाव इस मंच पर मैंने कुछ दिन पहले भी दिया था और उसके अगले दो-तीन दिन विंडो अलग-अलग खुल भी रहे थे किन्तु समस्या फिर जस की तस हो गई है ।
    यदि सम्भव हो तो यह सुधार अवश्य करें । धन्यवाद...

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर चर्चा मंच सजाया है……………काफ़ी अच्छे लिंक्स्…………आभार्।

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  11. संगीता जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया कि हमारी रचना को आपने चर्चा मंच पर प्रस्तुत करने लायक समझा। बहुत ही अच्छा लगता है कि इतने सारे लिंक्स एक साथ पढ़ने को मिल जाती है। एक बार फिर से आपका शुक्रिया।

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  12. सुन्दर और विस्तृत चर्चा के लिए आभार!

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  13. एक से बढ़कर एक लिंक्स आभार.

    जवाब देंहटाएं
  14. सुन्दर और सार्थक चर्चा...

    बहुत अच्छे लिंक दिए आपने...

    आभार...

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  15. meri post ko charcha manch pr lane ke liye bhut aabhar....nav vrsh ki shubhkamnaye....

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  16. बहुत हि अच्छे लिंक्स मिले .......बहुत ही सुंदर चर्चा..आभार

    जवाब देंहटाएं
  17. abhi blogging ki duniya me naya hoon aapka MANCH sach-much kafi achcha hai....achche POSTS likh kar kisi ke kaam aa paun aisa aashirvaad apekshit hai aapse. Dhanyawad

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  18. बहुत खूबसूरत सजाया है आज का चर्चा मंच । बहुत उपयोगी लिँक प्राप्त हुए । आभार दी ।

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  19. चर्चा का अंदाज़ बेहतरीन है...

    नीरज

    जवाब देंहटाएं

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