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सोमवार, जनवरी 24, 2011

खानापूर्ति...........चर्चा मंच

दोस्तों ,
माफ़ी चाहती हूँ चर्चा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रही हूँ ..............कल से काफी व्यस्त थी और आज सुबह से तबियत ख़राब थी और दिन में एक जरूरी पार्टी में भी जाना था तो बस बुरा हाल है इसलिए जैसे भी सुमन हैं आपको अर्पित हैं .




देखते हैं 


    जरूर देखेंगे 
     
     
    तब हर्फ़ तुम 
     
     
    बिगुल फिर बजाना होगा 
     
     
    ऐसा भी होता है क्या ?
     
     
    कौन सा?
     
     
    बिल्कुल जी .......हम आपके साथ हैं 
     
     
    वाह ! क्या बात है 
     
     
    चलिए आप कहते हैं तो नहीं मांगते 
     
     
     
    खिला दो हर इक चमन मालती 
     
     
    कैसे करूँ ?
     
     
    फासलों से भी आती रही 
     
     
    और दरिया कहाँ?
     
     
    और नारी ने सुना …………
     
     
    ये तो नहीं पता था 
     
     
    शून्य में सब कुछ समाया 
     
     
    ग़ज़ल तो सिर्फ ग़ज़ल होती है 
     
     
    नमन है 
     
     
    अपनी अपनी कहानी 
     
     
चलें फ़िर अंधेरे से उजाले की ओर 



जाएँ तो जाएँ कहाँ 
जरूर जानना चाहेंगे



 
तेरे रंग ज़िन्दगी





चलिए दोस्तों अब इजाजत दीजिये ............आज बस इतना ही ............आपके विचारों की प्रतीक्षारत ..........



35 टिप्‍पणियां:

  1. तबियत खराब होते हुए भी आपने तो बहुत बढ़िया लिंक दे दिए पढ़ने के लिए!
    आपका आभार!

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  3. आपकी प्रश्तुति पर सिर्फ़ इतना ही कहूँगा केए ....

    "आप दिया जो जलाये वो सूरज से कम नही..

    आपकी मिल गयी जो आहट मुलाकात से कम नही... "

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  4. priya vandana ji ,

    sadar pranam .
    sarahniy prayas. sundar abhivyaktiyo
    ka sankalan samyik & ruchipurn laga .
    aapko & sabhi rachnakaron ko hriday se dhanyavad .

    जवाब देंहटाएं
  5. खानापूर्ति नहीं है, बढिया चर्चा कर दी।

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  6. vandana ji,
    kuchh charchaayen padhi, bahut achhi lagi. meri rachna ko aapne yahan shaamil kar mera utsaahwardhan kiya hai, mann se bahut bahut aabhar aapka.

    जवाब देंहटाएं
  7. बिना किसी विषयवस्तु के धागे के अच्छी माला पिरो ले गयीं है | बधाई |

    जवाब देंहटाएं
  8. सजा है सुंदर लिंक से आज का यह चर्चा मंच!
    उससे भी ज़्यादा भा गया एक लाइना का पंच!!

    जवाब देंहटाएं
  9. सजा है सुंदर लिंक से आज का यह चर्चा मंच!
    उससे भी ज़्यादा भा गया एक लाइना का पंच!!

    जवाब देंहटाएं
  10. व्यस्तता,अस्वस्थता के बावजूद भी सुगंधित वाचन वाटिका प्रस्तुत कर आपने प्रतिबद्धता का एक मिसाल प्रस्तुत किया है। परिपूर्णता का अनुभव सहज ही हो जा रहा है। बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  11. वन्दना जी,

    अस्वस्थता के बावजूद आपने परिश्रम करके चर्चा को रोचक बनाया!

    "औरत" कविता को अपनी चर्चा का भाग बनाने के लिये धन्यवाद।

    साभार शुभकामनायें

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  12. जीवन के अनेक रंगों से सराबोर प्रस्तुति. खाना पूर्ति नहीं लिंक्स से भरपूर है सजा है मंच. सराहनीय प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  13. खानापूर्ति....फिर भी एक लाजवाब चर्चा ...

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  14. mera lap-top kharab ho gaya hai ...jis computer se kar raha hun ...usme hindi font nahi hai ...main charchamanch ka aabharu hun //

    जवाब देंहटाएं
  15. वन्‍दना जी, आभार इस बेहतरीन चर्चा के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  16. आज की चर्चा जल्दी में भी अच्छी रही .स्वास्थ्य पर ध्यान दे .मेरी कहानी '''फूल ''' को चर्चा में स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद .

    जवाब देंहटाएं
  17. वंदना जी,
    हमें तो खानापूर्ति नहीं लगी !
    सारे अच्छे लिक्स हैं ,अच्छी चर्चा है

    जवाब देंहटाएं
  18. वंदना जी,
    हमें तो खानापूर्ति नहीं लगी !
    सारे अच्छे लिक्स हैं ,अच्छी चर्चा है

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत सुन्दर चर्चा , अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखियेगा।

    जवाब देंहटाएं
  20. आपने हमारे लिए अस्वस्था में भी इतने सारे लिंक दिए .. आपका सानी नहीं| आभार .. जल्दी स्वास्थ हो जाइये ..

    जवाब देंहटाएं
  21. बहुत ही प्रभावशाली और सार्थक चर्चा रही आज की । काफी उपयोगी और मनोहारी लिँक प्राप्त हुए । वन्दना जी बहुत बहुत आभारी हूँ आपका मेरी रचना को स्थान देने के लिए ।
    ईश्वर से प्रार्थना है आप शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करेँ ।

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  22. hehe ..khana poorti bilkul nahi hai balki acchi lagi ..kuch rachnaye acchi padhne ko mili:):)thnks

    जवाब देंहटाएं
  23. aasha hai aap swasth hongi.aaj bhi hamesha ki tarah bahut kuch padhne ko de din aap.mere liye sada aabhri rahoongi.

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