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गुरुवार, सितंबर 20, 2012

चर्चा - 1008

आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है 
चलते हैं चर्चा की ओर 
 
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आज के लिए बस इतना ही 
धन्यवाद 
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37 टिप्‍पणियां:

  1. कौतूहलपूर्ण, शानदार चर्चा के लिए आपका आभार!

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  3. शुभप्रभात ...!!
    अच्छे लिंक्स ...बढ़िया चर्चा ...!!
    आभार .

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  4. भाई साहब भारत में और भारत धर्मी समाज में शात्रार्थ की परम्परा रही है .खंडन मण्डन आचार्य रहें हैं .जहां बहस खत्म होती है वहां से फतवा शुरू होता है बात" इन्नोसेंस आफ इस्लाम" की हो या "शैतान की आयातों" की(सलमान रुश्दी साहब ) जिन्हें अब उसी मुल्क में जयपुर के आर्ट फेस्टिवल में शिरकत करने से भी यह सेकुलर सरकार रोके रही जहाँ वह पैदा हुए थे ,.सवाल विमर्श का है .दुर्भाग्य है देश और समाज और राजनीति धीरे धीरे फतवे की ओर जा रही है .वरना असीम त्रिवेदी ने ऐसा क्या कर दिया था उनका मकसद सिर्फ नेताओं को भ्रष्ट दिखाना था जो उन्होंने ने अपने चित्र व्यंग्य /व्यंग्य चित्रों के मार्फ़त दिखलाया था .

    अविनाश वाचस्पति फेस बुक पे आज पूछ रहें हैं -हिन्दू -मुस्लिम ही क्यों कहा जाता है .मुस्लिम -हिन्दू क्यों नहीं .सवाल उसी सहनशीलता ,संस्कृति के सर्व -समावेशी ,सर्व -ग्राही स्वरूप का है .हिन्दू के आगे कोई भी क्षेपक जोड़ दो भले गाली दो या सेकुलर कहो -विमर्श करेगा .गोली नहीं मारेगा .३६ करोड़ देवी देवता हैं पूरा देव कुल है जिसको मर्जी पूजो .
    कबीर दास कह गए थे -
    पाहन पूजे हरी मिलें ,तो मैं पूजूं पहाड़ ,
    ताते ये चाकी भली पीस खाय संसार .

    कंकर पाथर जोरी के मस्जिद लै,
    त़ा पे मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय .

    यह भी कबीर ही कह गए थे -
    दिन में माला जपत हैं रात हंट हैं गाय |

    कहीं कोई हंगामा हिन्दुस्तान में नहीं हुआ .

    एक देव वाद हमारा आराध्य नहीं रहा .

    कबीर दास जी यह भी कह गएँ हैं -
    कबीरा तेरी झोंपड़ी ,गलकतियन (कसाई )के पास ,
    करेंगे सो भरेंगे ,तू क्यों भया उदास .

    ईसाइयत और इस्लाम तकरार तो दोस्त बढ़ेगी .अफगानिस्तान में अमरीकी तैयारों का गिराया जाना ,लीबिया में राजदूत की ह्त्या फतवों का ही प्रति -फल है .लेकिन अमरीका भी वह मुल्क है जो कहता है करके दिखाता है .आज ओसामा बिन लादेन नहीं हैं चार साल पूर्व के चुनाव भाषणों में ओबामा ने कहा था हम लादेन को मारेंगे चाहे इसके लिए पाकिस्तान से ढूंढ के लाना पड़े .

    इस मर्तबा भी राष्ट्र पति वही बनेंगे .


    ये कैसी फिल्म ?

    जवाब देंहटाएं
  5. इतनी शिद्दत से भी क्या कोई किसी को प्यार करता होगा ?हाँ करता ही होगा ,तभी तो ये एहसासात उपजतें हैं .बेहद सशक्त रचना .

    तुम्हारा दिया नाम

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  6. कविता गर अ -कविता हो जाए ,
    फिर लौट कर न आए ,
    रूप रस आकार सब लुटाए ,
    हरजाई हो जाए .
    ram ram bhai
    बृहस्पतिवार, 20 सितम्बर 2012
    माँ के गर्भाशय का बेटियों में सफल प्रत्यारोपण

    जवाब देंहटाएं
  7. ra Sharma (Not you?)
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    Virendra Sharma · Sagar University (M.Sc.PHYSICS.)
    भाई साहब भारत में और भारत धर्मी समाज में शात्रार्थ की परम्परा रही है.खंडन मण्डन आचार्य रहें हैं.जहां बहस खत्म होती है वहां से फतवा शुरू होता है बात" इन्नोसेंस आफ इस्लाम" की हो या "शैतान की आयातों" की(सलमान रुश्दी साहब ) जिन्हें अब उसी मुल्क में जयपुर के आर्ट फेस्टिवल में शिरकत करने से भी यह सेकुलर सरकार रोके रही जहाँ वह पैदा हुए थे ,.सवाल विमर्श का है.दुर्भाग्य है देश और समाज और राजनीति धीरे धीरे फतवे की ओर जा रही है.वरना असीम त्रिवेदी ने ऐसा क्या कर दिया था उनका मकसद सिर्फ नेताओं को भ्रष्ट दिखाना था जो उन्होंने ने अपने चित्र व्यंग्य /व्यंग्य चित्रों के मार्फ़त दिखलाया था.

    अविनाश वाचस्पति फेस बुक पे आज पूछ रहें हैं -हिन्दू -मुस्लिम ही क्यों कहा जाता है.मुस्लिम -हिन्दू क्यों नहीं.सवाल उसी सहनशीलता ,संस्कृति के सर्व -समावेशी ,सर्व -ग्राही स्वरूप का है.हिन्दू के आगे कोई भी क्षेपक जोड़ दो भले गाली दो या सेकुलर कहो -विमर्श करेगा.गोली नहीं मारेगा.३६ करोड़ देवी देवता हैं पूरा देव कुल है जिसको मर्जी पूजो.
    कबीर दास कह गए थे -
    पाहन पूजे हरी मिलें ,तो मैं पूजूं पहाड़ ,
    ताते ये चाकी भली पीस खाय संसार.

    कंकर पाथर जोरी के मस्जिद लै,
    त़ा पे मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय.

    यह भी कबीर ही कह गए थे -
    दिन में माला जपत हैं रात हंट हैं गाय |.

    कहीं कोई हंगामा हिन्दुस्तान में नहीं हुआ.

    एक देव वाद हमारा आराध्य नहीं रहा.

    कबीर दास जी यह भी कह गएँ हैं -
    कबीरा तेरी झोंपड़ी ,गलकतियन (कसाई )के पास ,
    करेंगे सो भरेंगे ,तू क्यों भया उदास.

    ईसाइयत और इस्लाम तकरार तो दोस्त बढ़ेगी.अफगानिस्तान में अमरीकी तैयारों का गिराया जाना ,लीबिया में राजदूत की ह्त्या फतवों का ही प्रति -फल है.लेकिन अमरीका भी वह मुल्क है जो कहता है करके दिखाता है.आज ओसामा बिन लादेन नहीं हैं चार साल पूर्व के चुनाव भाषणों में ओबामा ने कहा था हम लादेन को मारेंगे चाहे इसके लिए पाकिस्तान से ढूंढ के लाना पड़े.

    इस मर्तबा भी राष्ट्र पति वही बनेंगे.

    ये कैसी फिल्म ?

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  8. बढ़िया लिंक्स.....मेरी रचना भी शामिल...आभार

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    उत्तर

    1. कुछ आंसू घडियाली से
      डाली दुनिया पर नजर, होती जलकर कोल |
      खाली गाली दे रहे, खोल सके ना पोल |
      खोल सके ना पोल, दुश्मनी करें प्यार से |
      ममता को एहसास, बने नहिं काम रार से |
      रहा भरोसा डोल, चाल यह देखी भाली |
      बढ़ा मुलायम रोल, नजर माया ने डाली ||

      हटाएं
  9. सबका हो कल्याण, ॐ से सजे हस्त से वर देते |
    मोदक का है अर्थ,सभी को प्रिय कहते,प्रिय कर देते ||

    देश के भगा जागें गर बाल साहित्य इतना संवर्धित संस्कृत हो जाए .स्तुत्य प्रस्तुति .बधाई .
    ram ram bhai
    बृहस्पतिवार, 20 सितम्बर 2012
    माँ के गर्भाशय का बेटियों में सफल प्रत्यारोपण


    एकदन्त कहलाते हैं

    जवाब देंहटाएं

  10. भाई साहब भारत में और भारत धर्मी समाज में शात्रार्थ की परम्परा रही है.खंडन मण्डन आचार्य रहें हैं.जहां बहस खत्म होती है वहां से फतवा शुरू होता है बात" इन्नोसेंस आफ इस्लाम" की हो या "शैतान की आयातों" की(सलमान रुश्दी साहब ) जिन्हें अब उसी मुल्क में जयपुर के आर्ट फेस्टिवल में शिरकत करने से भी यह सेकुलर सरकार रोके रही जहाँ वह पैदा हुए थे ,.सवाल विमर्श का है.दुर्भाग्य है देश और समाज और राजनीति धीरे धीरे फतवे की ओर जा रही है.वरना असीम त्रिवेदी ने ऐसा क्या कर दिया था उनका मकसद सिर्फ नेताओं को भ्रष्ट दिखाना था जो उन्होंने ने अपने चित्र व्यंग्य /व्यंग्य चित्रों के मार्फ़त दिखलाया था.

    अविनाश वाचस्पति फेस बुक पे आज पूछ रहें हैं -हिन्दू -मुस्लिम ही क्यों कहा जाता है.मुस्लिम -हिन्दू क्यों नहीं.सवाल उसी सहनशीलता ,संस्कृति के सर्व -समावेशी ,सर्व -ग्राही स्वरूप का है.हिन्दू के आगे कोई भी क्षेपक जोड़ दो भले गाली दो या सेकुलर कहो -विमर्श करेगा.गोली नहीं मारेगा.३६ करोड़ देवी देवता हैं पूरा देव कुल है जिसको मर्जी पूजो.
    कबीर दास कह गए थे -
    पाहन पूजे हरी मिलें ,तो मैं पूजूं पहाड़ ,
    ताते ये चाकी भली पीस खाय संसार.

    कंकर पाथर जोरी के मस्जिद लै,
    त़ा पे मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय.

    यह भी कबीर ही कह गए थे -
    दिन में माला जपत हैं रात हंट हैं गाय |.

    कहीं कोई हंगामा हिन्दुस्तान में नहीं हुआ.

    एक देव वाद हमारा आराध्य नहीं रहा.

    कबीर दास जी यह भी कह गएँ हैं -
    कबीरा तेरी झोंपड़ी ,गलकतियन (कसाई )के पास ,
    करेंगे सो भरेंगे ,तू क्यों भया उदास.

    ईसाइयत और इस्लाम तकरार तो दोस्त बढ़ेगी.अफगानिस्तान में अमरीकी तैयारों का गिराया जाना ,लीबिया में राजदूत की ह्त्या फतवों का ही प्रति -फल है.लेकिन अमरीका भी वह मुल्क है जो कहता है करके दिखाता है.आज ओसामा बिन लादेन नहीं हैं चार साल पूर्व के चुनाव भाषणों में ओबामा ने कहा था हम लादेन को मारेंगे चाहे इसके लिए पाकिस्तान से ढूंढ के लाना पड़े.

    इस मर्तबा भी राष्ट्र पति वही बनेंगे.

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  11. बहुत बढ़िया लिंक्स
    सार्थक चर्चा प्रस्तुति के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत बढ़िया बेहतरीन चर्चा पठनीय सूत्र आभार दिलबाग जी

    जवाब देंहटाएं
  13. दिलबाग विर्क

    आभार !

    हार्दिक शुभकामनाएँ!
    हिन्दी का दिवस
    महीना साल ना बनायें
    बस हिन्दी के हो जायें!

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  14. अच्छे लिंक्स ...बढ़िया चर्चा ...!!
    आभार .

    जवाब देंहटाएं
  15. तुम्हारा दिया नाम

    बहुत सुंदर!!

    आये नाम दिये और
    चल दिये कहीं मगर
    जाने को किसने रोका
    नाम भी ले जाते अगर !

    जवाब देंहटाएं
  16. बढ़िया चर्चा |
    बधाई दिलबाग भाई ||

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  17. खतरनाक शार्टकट

    कोई एक दिन में तैयार नहीं होता है गुनाह
    उसे भी पनपने के लिये कोई जमीन चाहिये !

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  18. नए ब्लॉगर डैशबोर्ड

    जैसा कहा आपने
    कर दिया हमने
    अब ब्लाग हमारा
    बम से उड़ जायेगा
    तो आप्को याद
    फिर किया जायेगा !

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  19. अछि मालूमात देती हुई पोस्ट है.

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  20. गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं

    गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई ...!!

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  21. बहुत शानदार चर्चा....सभी लिंक्स बढ़िया..
    शुक्रिया दिलबाग जी
    अनु

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  22. गधा तो गधा ही रहा

    हमको मालूम है साबुन से कुछ नहीं होता
    होता तो अब तक हम भी सुधर चुके होते !

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  23. बेहतरीन लिंक्‍स का चयन करती उत्‍कृष्‍ट चर्चा आभार

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  24. बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ. यहाँ का set up तो काफी बदला सा नज़र आ रहा है . अच्छा प्रयास है. जारी रखिये.
    हिंदी डिस्कशन फोरम - अपने प्रिय विषयों पर चर्चा करिए -हिंदी में !

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  25. न चैन आता है न नींद
    बहुत सुंदर आमिर जी !

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  26. खरोंच :

    गहरे भाव :

    सोच दिखायी
    जाती है मगर
    हर जगह
    पहने हुऎ
    बहुत ही
    कीमती वस्त्र
    उसका उतरना
    जो देखता है
    वो मगर कुछ
    कहता कहाँ है !

    जवाब देंहटाएं
  27. बेहतरीन लिंक्‍स का चयन करती उत्‍कृष्‍ट चर्चा,धन्यवाद.

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