मित्रों!
आ गया शनिवार और हम भी दो-दो प्रान्तीय राजधानियों (लखनऊ और देहरादून) से बीमार होकर लौट आये। शायद वायरल का प्रकोप हुआ है। बुखार के कारण चर्चा लगाने का नम तो नहीं था, मगर काम में कोताही करना मैंने सीखा ही नहीं। शायद इसीलिए आज ब्लॉगिस्तान में चर्चा मंच और उच्चारण जीवित है।
खैर! देखिए मेरी पसंद के कुछ लिंक!
सम्मान किसे और क्यों?
कुछ लिखने का मन हुआ और फिर आज कल 27 अगस्त को हुए परिकल्पना द्वारा संचालित ब्लोगर मीट के विषय में चर्चा गर्म है . हम तो उसमें गए नहीं या नहीं जा पाए लेकिन कुछ ऐसा महसूस किया कि जो अपनी कलम से ऊँचाइयों को छू चुके हैं अगर उन्हें बार बार सम्मानित किया भी जाए तो वे उस स्थिति तक पहुँच चुके हैं कि किसी परिचय या सम्मान के मुंहताज नहीं है। अपने हाथ से अपने ही मस्तक पर तिलक लगाने से जो सम्मान होता है वह आत्ममुग्ध होने के लिए तो ठीक है लेकिन कहीं न कहीं आलोचना का विषय बन जाता है। इससे बेहतर तो होता कि नवोदित लोगों को पुरस्कृत किया जाए तो विचारों की नयी और ऊँची उड़ान और ऊँची जायेगी
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आपकी सेवा में ये दो लिंक भी हैं-
मित्रों!
27 अगस्त को राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह, क़ैसरबाग, लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मलेन का आयोजन किया गया। जिसमें अव्यवस्थाओं का अम्बार देखने को मिला। लेकिन यदि कोई खास बात थी तो वह यह थी कि आयोजकद्वय ने स्वयं को ही सम्मानित करवाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। जिसके चलते द्वितीय सत्र को कैंसिल कर दिया गया। विदित हो कि इसमें शेफाली पांडे, हल्द्वानी (उत्तराखंड), निर्मल गुप्त, मेरठ, संतोष त्रिवेदी, रायबरेली, रतन सिंह शेखावत, जयपुर,सुनीता सानू, दिल्ली और सिद्धेश्वर सिंह, खटीमा (उत्तराखंड) मुख्य वक्तागण थे। जो इसके लिए आवश्यक तैयारी भी करके आये थे।
ब्लॉग विश्लेषक से मैं यह प्रश्न तो कर ही सकता हूँ कि बाबुषा कोहलीGoogleProfilehttps://profiles.google.com/baabusha बाबुषा कोहली Educationist - KVS - Jabalpur) को लंदन की क्यों घोषित कर किया गया? उन्हें तो यह पता ही होना चाहिए कि ये जबलपुर के केन्दीय विद्यालय में अध्यापिक के रूप में कार्यरत हैं।
अब बात करता हूँ- तस्लीम परिकल्पना सम्मान-2011 की जिसमें डॉ रूप चंद शास्त्री मयंक (खटीमा) वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार और नीरज जाट, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ लेखक, यात्रा वृतांत) के रूप में सम्मानित होने थे। मगर इनका नाम केवल ब्लॉग की पोस्टों में प्रकाशित करने के लिए ही था। संचालक ने इन दो नामों को लिएबिना ही सम्मान-समारोह को समाप्त करने की घोषणा कर दी। तब हमने एक जिम्मेदार आयोजक से जाने की अनुमति चाही तो उन्होंने कहा कि थोडी देर और बैठते।
इसपर मैंने कहा कि सम्मान समारोह तो समाप्त हो गया है अब बैठने का क्या लाभ? तब आनन-फानन में बन्द पेटी को खोला गया और दो कोरे सम्मान पत्रों पर जैसे-तैसे नीरज जाट का और मेरा नाम लिखा गया। लेकिन तब तक अधिकांश लोग हाल से बाहर जा चुके थे।
मेरा नाम पुकारा गया तो मैं सम्मान लेने के लिए अपनी सीट से उठा ही नहीं इस पर रणधीर सिंह सुमन ने आग्रह करके मुझे बुलाया। सम्मान की तो कोई लालसा मैंने कभी भी नहीं की है क्योंकि माँ शारदा की कृपा से मैं साहित्यकारों को सम्मानित करने में स्वयं ही सक्षम रहा हूँ। इस पर प्रश्न उठता है कि ऐसी भारी चूक कैसे हो गई आयोजकद्वय से।
खैर इस बात को यदि नजरअंदाज कर भी दिया जाए तो सम्मान समारोह को दो चरणों में कराने का क्या औचित्य और मंशा आयोजकद्वय का रहा होगा मेरी समझ में यह बात अभी तक नहीं आ सकी है। मैं सीधे ही आरोप लगाता हूँ कि जिसमें आयोजक द्वय को सम्मानित होना था उसे कार्यक्रम के प्रथम सत्र में अंजाम दिया गया और पूड़ी-सब्जी खाने के लिए दूर-दूर से आने वाले ब्लॉगरों को उस समय सम्मानित किया गया जब कि अधिकांश ब्लॉगर अपने गन्तव्य को जा चुके थे। फिर मीडिया भला क्यों ठहरती और इन सम्मानित हुए ब्लॉगरों का नाम किसी पन्ने पर खबर का रूप कैसे लेता?
अपने जीवन काल में मैंने यह इकलौता कार्यक्रम ही देखा जिसका नाम सम्मान समारोह था जिसमें सम्मानदाताओं का नाम तो सुर्खियों में था मगर सम्मान लेने वालों का नाम किसी भी अखबार या मीडियाचैनल में नदारत था। हाँ, उनका नाम जरूर था जिसमें आयोजकद्वय सम्मानित हुए थे।
अब अगर व्यवस्था की बात करें तो मैंने समारोह से 8 दिन पूर्व एक मेल आदरणीय रवीन्द्र प्रभात जी को किया था-“
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
19 अगस्त (12 दिनों पहले) ravindra
27 अगस्त के कार्यक्रम में जो ब्लॉगर्स आयेंगे, उनके विश्राम, स्नानादि की व्यवस्था कहाँ पर होगी?
लेकिन इसका उत्तर देना इन्होंने मुनासिब ही नहीं समझा।
यहाँ मैं यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मेरे तो बड़े पुत्र की ससुराल भी लखनऊ में ही है, इसलिए मेरे लिए तो कोई समस्या थी ही नहीं मगर उन ब्लॉगरों का क्या हुआ होगा जो कि सुदूर स्थानों से बड़े अरमान मन में लिए हुए इस कार्यक्रम में पधारे थे।
मेरे मित्र आ.धीरेन्द्र भदौरिया चारबाग रेलवे स्टेशन की डारमेट्री में रुके थे और रविकर जी अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ ठहरे थे। सबके मन में यही टीस थी कि दूर-दराज से ब्लॉगर आये हैं जो यह अपेक्षा करते थे कि रात्रि में एक अनौपचारिक गोष्ठि करते और अपने साथियों की सुनते और अपनी कहते।
अब इन दो प्रमाणपत्रों की विसंगति भी देख लीजिए..!
और ये हैं
सम्मानित होते हुए
आयोजकद्वय..!
मेरे तथ्यों की पुष्टि नीचे दिया गया आमन्त्रण करता है।
आमंत्रण : अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मलेन
संभावित कार्य विवरण
अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन
एवं परिकल्पना सम्मान समारोह
(दिनांक : 27 अगस्त 2012,
स्थान : राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह, क़ैसरबाग, लखनऊ )
प्रात: 11.00 से 12.00 उदघाटन सत्र
उदघाटनकर्ता : श्री श्रीप्रकाश जायसवाल, केंद्रीय कोयला मंत्री, दिल्ली भारत सरकार
अध्यक्षता : श्री शैलेंद्र सागर, संपादक : कथा क्रम, लखनऊ
मुख्य अतिथि : श्री उद्भ्रांत, वरिष्ठ साहित्यकार, दिल्ली
विशिष्ट अतिथि : श्री के. विक्रम राव, वरिष्ठ पत्रकार, लखनऊ
: श्री समीर लाल समीर, टोरंटो कनाडा
: श्री मती शिखा वार्ष्नेय, स्वतंत्र पत्रकार और न्यू मीडिया कर्मी, लंदन
: श्री प्रेम जनमेजय, वरिष्ठ व्यंग्यकार, दिल्ली
: श्री मती राजेश कुमारी, वरिष्ठ ब्लॉगर, देहरादून
स्वागत भाषण : डॉ ज़ाकिर अली रजनीश, महामंत्री तस्लीम, लखनऊ
धन्यवाद ज्ञापन : रवीन्द्र प्रभात, संचालक : परिकल्पना न्यू मीडिया विशेषज्ञ, लखनऊ
संचालन : प्रो मनोज दीक्षित, अध्यक्ष, डिपार्टमेन्ट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन,एल यू ।
विशेष : वटवृक्ष पत्रिका के ब्लॉगर दशक विशेषांक का लोकार्पण तथा दशक के हिन्दी ब्लोगर्स का सारस्वत सम्मान ।
12.00 से 1.30 चर्चा सत्र प्रथम : न्यू मीडिया की भाषायी चुनौतियाँ
अध्यक्षता : डॉ सुभाष राय, वरिष्ठ पत्रकार, लखनऊ
मुख्य अतिथि : श्री मति पूर्णिमा वर्मन, संपादक : अभिव्यक्ति, शरजाह, यू ए ई
विशिष्ट अतिथि : श्री रवि रतलामी, वरिष्ठ ब्लॉगर, भोपाल
सुश्री वाबुशा कोहली, लंदन, युनाईटेड किंगडम
डॉ रामा द्विवेदी, वरिष्ठ कवयित्री, हैदराबाद
डॉ अरविंद मिश्र, वरिष्ठ ब्लॉगर, वाराणसी
डॉ अनीता मन्ना, प्राचार्या, कल्याण (महाराष्ट्र)
आमंत्रित वक्ता : हेमेन्द्र तोमर, पूर्व अध्यक्ष लखनऊ पत्रकार संघ, डॉ ए. के. सिंह, अध्यक्ष, इंस्टीट्यूट ऑफ जर्नलिज़्म एंड मास कम्यूनिकेशन, कानपुर, शहंशाह आलम, चर्चित कवि, पटना (बिहार)एवं अरविंद श्रीवास्तव, वरिष्ठ युवा साहित्यकार, मधेपुरा (बिहार) और सुनीता सानू, दिल्ली ।
संचालक : डॉ. मनीष मिश्र, विभागाध्यक्ष, हिन्दी, के एम अग्रवाल कौलेज, कल्याण (महाराष्ट्र)।
विशेष : साहित्यकार सम्मान समारोह (प्रबलेस और लोकसंघर्ष पत्रिका द्वारा) ।
अपराहन 1.30 से 2.30 : दोपहर का भोजन
अपराहन 2.30 से 3.30 : चर्चा सत्र द्वितीय : न्यू मीडिया के सामाजिक सरोकार
अध्यक्षता : श्री मती इस्मत जैदी, वरिष्ठ गजलकार, पणजी (गोवा)
मुख्य अतिथि : श्री कृष्ण कुमार यादव, निदेशक डाक सेवाएँ, इलाहाबाद
विशिष्ट अतिथि : श्री मती रंजना रंजू भाटिया, वरिष्ठ ब्लॉगर, दिल्ली
श्री गिरीश पंकज, वरिष्ठ व्यंग्यकार, रायपुर (छतीसगढ़)
श्री मती संगीता पुरी, वरिष्ठ ब्लॉगर, धनबाद (झारखंड)
सुश्री रचना, दिल्ली
श्री पवन कुमार सिंह, जिलाधिकारी, चंदौली (उ. प्र.)
मुख्य वक्ता : शेफाली पांडे, हल्द्वानी (उत्तराखंड), निर्मल गुप्त, मेरठ, संतोष त्रिवेदी, रायबरेली, रतन सिंह शेखावत, जयपुर,सुनीता सानू, दिल्ली और सिद्धेश्वर सिंह, खटीमा (उत्तराखंड)
संचालक : डॉ हरीश अरोड़ा, दिल्ली
विशेष: ब्लॉगरों को नुक्कड़ सम्मान
अपराहन 3.30 से 4.00 : चाय एवं सूक्ष्म जलपान
शाम 4.00 से 6.00 : चर्चा सत्र तृतीय : न्यू मीडिया दशा, दिशा और दृष्टि
अध्यक्षता : श्री मुद्रा राक्षस, वरिष्ठ साहित्यकार, लखनऊ
मुख्य अतिथि : श्री वीरेंद्र यादव, वरिष्ठ आलोचक, लखनऊ
विशिष्ट अतिथि : श्री राकेश, वरिष्ठ रंगकर्मी, लखनऊ
श्री शिवमूर्ति, वरिष्ठ कथाकार, लखनऊ
श्री शकील सिद्दीकी, सदस्य प्रगतिशील लेखक संघ, उत्तरप्रदेश इकाई
श्री अविनाश वाचस्पति, वरिष्ठ ब्लॉगर, दिल्ली
श्री नीरज रोहिल्ला, टेक्सास (अमेरिका)
मुख्य वक्ता : शैलेश भारत वासी, दिल्ली,मुकेश कुमार तिवारी, इंदोर (म प्र), दिनेश गुप्ता (रविकर), धनबाद, अर्चना चव जी,इंदोर, श्री श्रीश शर्मा, यमुना नगर (हरियाणा), डॉ प्रीत अरोड़ा, चंडीगढ़, आकांक्षा यादव, इलाहाबाद ।
संचालक : डॉ विनय दास, चर्चित समीक्षक, बाराबंकी ।
धन्यवाद ज्ञापन : एडवोकेट रणधीर सिंह सुमन, प्रबंध संपादक लोकसंघर्ष और वटवृक्ष पत्रिका ।
विशेष : परिकल्पना सम्मान समारोह ।
अन्य आमंत्रित अतिथि : सर्वश्री रूप चन्द्र शास्त्री मयंक (उत्तराखंड),दिनेश माली(उड़ीसा), अलका सैनी (चंडीगढ़), हरे प्रकाश उपाध्याय (लखनऊ), गिरीश बिल्लोरे मुकुल (जबलपुर) ,कनिष्क कश्यप (दिल्ली),डॉ जय प्रकाश तिवारी(छतीसगढ़), राहुल सिंह (छतीसगढ़) ,नवीन प्रकाश(छतीसगढ़), बी एस पावला(छतीसगढ़), रविन्द्र पुंज (हरियाणा), दर्शन बवेजा(हरियाणा), श्रीश शर्मा(हरियाणा), संजीव चौहान(हरियाणा), डा0 प्रवीण चोपडा(हरियाणा), मुकेश कुमार सिन्हा(झारखण्ड), शैलेश भारतवासी(दिल्ली), पवन चन्दन(दिल्ली), शाहनवाज़(दिल्ली),नीरज जाट (दिल्ली),कुमार राधारमण (दिल्ली), अजय कुमार झा (दिल्ली), सुमित प्रताप सिंह (दिल्ली), रतन सिंह शेखावत(राजस्थान,मनोज कुमार पाण्डेय(बिहार), शहंशाह आलम(बिहार), सिद्धेश्वर सिंह (उतराखंड),निर्मल गुप्त(मेरठ),संतोष त्रिवेदी (रायबरेली), कुमारेन्द्र सिंह सेंगर, शिवम मिश्रा(मैनपुरी),कुवर कुसुमेश (लखनऊ), डॉ श्याम गुप्त (लखनऊ), हरीश सिंह (भदोही) आदि ।
द्रष्टव्य : इस अवसर पर अल्का सैनी का कहानी संग्रह लाक्षागृह और डॉ मनीष कुमार मिश्र द्वारा संपादित न्यू मीडिया से संबंधित सद्य: प्रकाशित पुस्तक का लोकार्पण भी होगा ।
शाम 6.00 से 7.00 : सांस्कृतिक कार्यक्रम/
तत्पश्चात समापन
तस्लीम परिकल्पना सम्मान-2011
मुकेश कुमार सिन्हा, देवघर, झारखंड ( वर्ष के श्रेष्ठ युवा कवि) , संतोष त्रिवेदी, रायबरेली, उत्तर प्रदेश (वर्ष के उदीयमान ब्लॉगर), प्रेम जनमेजय, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ व्यंग्यकार ),राजेश कुमारी, देहरादून, उत्तराखंड (वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका, यात्रा वृतांत ), नवीन प्रकाश,रायपुर, छतीसगढ़ (वर्ष के युवा तकनीकी ब्लॉगर),अनीता मन्ना,कल्याण (महाराष्ट्र) (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग सेमिनार के आयोजक),डॉ. मनीष मिश्र, कल्याण (महाराष्ट्र) (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग सेमिनार के आयोजक),सीमा सहगल(रीवा,मध्यप्रदेश) रू रश्मि प्रभा ( वर्ष की श्रेष्ठ टिप्पणीकार, महिला ), शाहनवाज,दिल्ली (वर्ष के चर्चित ब्लॉगर, पुरुष ), डॉ जय प्रकाश तिवारी (वर्ष के यशस्वी ब्लॉगर), नीरज जाट, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ लेखक, यात्रा वृतांत), गिरीश बिल्लोरे मुकुल,जबलपुर (मध्यप्रदेश) (वर्ष के श्रेष्ठ वायस ब्लॉगर), दर्शन लाल बवेजा,यमुना नगर (हरियाणा) (वर्ष के श्रेष्ठ विज्ञान कथा लेखक),शिखा वार्ष्णेय, लंदन ( वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका, संस्मरण), इस्मत जैदी,पणजी (गोवा) (वर्ष का श्रेष्ठ गजलकार),राहुल सिंह, रायपुर, छतीसगढ़ (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग विचारक),बाबूशा कोहली, लंदन (यूनाइटेड किंगडम) (वर्ष की श्रेष्ठ कवयित्री ), रंजना (रंजू) भाटिया,दिल्ली (वर्ष की चर्चित ब्लॉगर, महिला),सिद्धेश्वर सिंह, खटीमा (उत्तराखंड) (वर्ष के श्रेष्ठ अनुवादक), कैलाश चन्द्र शर्मा, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ वाल कथा लेखक ),धीरेंद्र सिंह भदौरोया (वर्ष के श्रेष्ठ टिप्पणीकार, पुरुष),शैलेश भारतवासी, दिल्ली (वर्ष के तकनीकी ब्लॉगर),अरविंद श्रीवास्तव, मधेपुरा (बिहार) (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग समीक्षक),अजय कुमार झा, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग खबरी),सुमित प्रताप सिंह, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ युवा व्यंग्यकार),रविन्द्र पुंज, यमुना नगर (हरियाणा) (वर्ष के नवोदित ब्लॉगर), अर्चना चाव जी, इंदोर (एम पी) (वर्ष की श्रेष्ठ वायस ब्लॉगर),पल्लवी सक्सेना,भोपाल (वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका, सकारात्मक पोस्ट) ,अपराजिता कल्याणी, पुणे (वर्ष की श्रेष्ठ युवा कवयित्री ),चंडी दत्त शुक्ल, जयपुर (वर्ष के श्रेष्ठ लेखक, कथा कहानी ),दिनेश कुमार माली,बलराजपुर (उड़ीसा) वर्ष के श्रेष्ठ लेखक (संस्मरण ), डॉ रूप चंद शास्त्री मयंक (खटीमा) वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार, सुधा भार्गव,वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका, डॉ हरीश अरोड़ा, दिल्ली ( वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग समीक्षक ) आदि..!
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परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,,,, धीरेन्द्र सिंह भदौरिया | श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (३०वीं-कड़ी) भाव से मोहित होकर, सारा जगत भ्रमित है रहता. लेकिन मेरे अव्यय स्वरुप से, इस कारण अनजान है रहता. (१३) मेरी दैवी गुणमयी ये माया… |
उनकी हर बात से डरता हूँ कब तक रहेंगे खुश समझ नहीं पाता हूँ कब हो जायेंगे नाराज़ जान नहीं पाता हूँ खुद से लड़ता रहता हूँ निरंतर दुआ करता हूँ कुछ कहना सुनना भी छोड़ दिया गलत ना समझ जाएँ इस बात से डरता हूँ… | चल रहे हैं लोग जलती आग पर.. Kunwar Kusumesh बेसुरे भी लग रहे हैं राग पर. नज़्म अच्छी या बुरी जैसी भी हो, वाह,कहने का चलन है ब्लॉग पर. आदमी पर मत कभी करिये यक़ीं, आप कर लीजे भरोसा नाग पर… | वो स्याही जिसने मेरी कलम को अर्थ बख्शा है लोग कहते हैं उसका रंग तेरे आंसुओं सा है काली रात,काली आँखें गहरे दर्द में डूबी शक होता है सब पर रंग तेरे गेसुओं का है मुस्कुराहटों ने मायूसी का कफ़न पहना है... |
मैं पत्थर ही सही मैं पत्थर ही सही पर, पुत्र हिमालय का हूँ ! मुझ पर नज़रें लाखों की थी, मैं तो निशाना कुछ नज़रों का हूँ ! मुझे लूटने कितने आये, हर एक ने शीश नवाया ! |
ऊर्जा का अथाह भण्डार : कीर्तिदान गढ़वी प्यारे मित्रों ! पिछले कुछ दिनों में 'जय माँ हिंगुलाज' की निर्माण प्रक्रिया में कुछ ऐसे अनुभव हुए जिन्होंने मन को आनन्द से भर दिया . इन ख़ुशनुमा एहसासों को मैं आपके साथ बांटना चाहता हूँ…. |
वे अब भगवान का पद छोड़ना चाहते हैं सुबह सुबह जब ई मेल के साथ फ़ेसबुक पेज भी खोला । तो श्री कृष्ण मुरारी शर्मा ( राजस्थान ) ने श्री रवि रतलामी की साइट का ये लिंक मेरे वाल पर जोङा था । मैंने लिंक चैक किया… | *सच* दुष्यंत के सच वाकई में कल्पना से आगे नकलने लग गये हैं यूँ कहो आदमी अब आदमी को भून कर खाने लग गए हैं बरगद साक्षी है भीड़ बन हुंकार कैसे घर जलाने लग गये हैं जिन्दा जलाओ ... | रोज पछताता यहाँ कौन किसको पूछता है कौन समझाता यहाँ, आईने का दोष देकर सच को भरमाता यहाँ, मौत से आगे की खातिर धुन अरजने की लगी, अपना अपना गीत गाते कौन सुन पाता यहाँ…… |
मैं अबला नहीं - डॉ नूतन गैरोला मेरी हदों को पार कर मत आना * * तुम यहाँ मुझमे छिपे हैं * *शूल और विषदंश भी जहाँ, *फूल है तो खुश्बू मिलेगी* *तोड़ने के ख्वाब न रखना…… | मेरे शहर में ....मेरे देश में ...मेरी दुनिया में.. मेरे घर से ज्यादा क्या खूबसूरत हो सकता है ! |
वो इमली का पेड़१.खेतों के बीच हुआ करता था एक इमली का पेड़ (अब वे खेत ही कहाँ हैं)… |
साईबर कैफे पर कम्प्यूटर प्रयोग..... पर ध्यान से साईबर कैफे पर जाकर अपने बैक या अन्य किसी अकाउन्ट को खोलने से पहले सर्तक हो जाये। कही आपका यह कदम आपके आकउन्ट तथा आपकी अन्य जानकारीया तो लीक नही कर रहे... |
आँच पर विमर्श जारी है... आदरणीय मनोज जी के ब्लॉग 'मनोज' पर मेरी एक कविता आँच पर चढ़ी है। आचार्य परशुराम राय जी ने इसकी शानदार समीक्षा लिखी है। सलिल जी और मनोज जी ने विमर्श को आगे बढ़ाया है। मेरी हालत उस विद्यार्थी की तरह हो ... | रुबाईयाँ Munkir द्वारा Junbishen लोगों के मुक़दमों में पड़े रहते हो, नज़रों को नज़ारों को तड़े रहते हो, खुद अपने ही हस्ती से नहीं मिलते कभी, और ताज में ग़ैरों के जड़े रहते हो. बेचैन सा रहता भरी महफ़िल में, है कौन छिपा बैठा.. | कुपोषण की वजह शाकाहार है -Narendr Modi 'आर्य भोजन' ब्लॉग पर नई पोस्ट कुपोषण की वजह शाकाहार है -*सौंदर्य के प्रति अधिक जागरूक* वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए इंटरव्यू में मोदी ने कहा, मध्यमवर्ग सेहत के बजाय सौंदर्य के प्रति अधिक जागरूक है... |
३१ अगस्त .... हरकीरत ' हीर' *३१ अगस्त ....* *नींव **हिली .... देह थरथराई .... नीले पड़े होंठों पर ** इक **फीकी सी मुस्कराहट थी .... ''इक नज़्म का जन्म हुआ है ''* *आज उम्र की कंघी का इक और टांका टूट गया ....... | शिकारहो गया उन्नयन (UNNAYANA) मेरा देश, साजिसों का, शिकार हो गया स्वस्थ था संपन्न था, बीमार हो गया फासले दिलों में बेसुमार हो गया... |
शिष्य हो तो नामवर सिंह जैसा, मुद्राराक्षस जैसा नहीं सच आज की तारीख में अगर शिष्य हो तो नामवर सिंह जैसा। मुद्राराक्षस जैसा नहीं। नामवर जी बीते ३० अगस्त को लखनऊ आए । उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के बुलावे पर। हिंदी संस्थान ने भगवती चरण वर्मा, अमृतलाल नागर और… |
सामाजिकता के मायने...! बहुत समय पहले पढ़ा था कहीं कि मनुष्य होता है एक सामाजिक प्राणी अरस्तू ने कहा था शायद... तब नहीं पता थे सामाजिक होने के मायने नहीं पता था कि |
कोयले की खान में दबकर रहा हीरा बहुत. हर किसी की आंख में फिर क्यों नहीं चुभता बहुत. कोयले की खान में दबकर रहा हीरा बहुत. इसलिए मैं धीरे-धीरे सीढियां चढ़ता रहा पंख कट जाते यहां पर मैं अगर उड़ता बहुत…. | भारत परिक्रमा- पांवचां दिन- असोम और नागालैण्ड आंख खुली दीमापुर जाकर। ट्रेन से नीचे उतरा। नागालैण्ड में घुसने का एहसास हो गया। असोम में और नागालैण्ड के इस इलाके में जमीनी तौर पर कोई फर्क नहीं ... | कुलधर में जो देखा वो तो कुल धरा में कहीं देखा नहीं मैंने पहली बार कोई उजड़ी हुई इतनी व्यवस्थित बस्ती देखी. वैसे तो कुलधरा के लिए कहा जाता है ..... कुलधर मंदिर मजीद कुलधर कुल री सायबी कुलधर में ... |
लम्पटता के मानी क्या हैं ? *कई मर्तबा व्यक्ति जो कहना चाहता है वह नहीं कह पाता उसे उपयुक्त शब्द नहीं मिलतें हैं .अब कोई भले किसी अखबार का सम्पादक हो उसके लिए यह ज़रूरी नहीं है वह भाषा का सही ज्ञाता ... | ये नरगिसी आँखें.... आँखें हैं, तो जहान है, आँखें नहीं, तो सारी दुनिया एक धुप्प अंधकार के सिवा कुछ भी नहीं। सोचिए उनके बारे में जो किसी दुर्घटना या बीमारी के कारण अपनी आँखें खो देते हैं। क्या बचता होगी उनकी ... |
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ । डॉ.सुशील जोशी दो और दो पाँच दो और दो होता है चार किताबों से पढा़ जाता है ब्लैक बोर्ड में लिखा जाता है कोई पूछता है तो समझाया भी उसे जाता है कि दो और दो हमेशा ही चार हो जाता है... |
आमोद-प्रमोद मेरे "दिल की आवाज" ! गज़ल क्या है, मुझे नहीं मालूम ! नज्म क्या है, मुझे नहीं मालूम ! कविता क्या है, मुझे नहीं मालूम! अल्फाज़ क्या है, मुझे नहीं मालूम ! मैं तो लिखता हूँ... |
कैराना उपयुक्त स्थान :जनपद न्यायाधीश शामली *जिला न्यायालय के लिए शामली के अधिवक्ता इस सत्य को परे रखकर सात दिन से न्यायालय के कार्य को ठप्प किये हैं जबकि सभी के साथ शामली इस प्रयोजन हेतु कितना... | अब आई बारी श्री नरेंद्र मोदी की ! गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य वर्ग को लेकर विवादास्पद बयान दिया है। अमेरिका के मशहूर अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल को ... | फांसी को नहीं, फांसी पर लटकाना चाहिए फांसी की सजा पाने वालों की फेहरिश्त में एक और दुश्मन आ गया। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर यानि संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरू को… |
जानिए बड़े ब्लॉगर्स के ब्लॉग पर बहती मुख्यधारा बड़ा ब्लॉगर बनने के लिए मुझे क्या करना होगा गुरूजी ? -मेरे मन के आंगन में दाखि़ल होते हुए एक काल्पनिक पात्र ने पूछा। विचार के पैरों से चलते हुए वह अचानक वहां आ खड़ा हुआ जहां मेरा अवधान उस पर टिक गया और यह... | बदलता इंसान .. इंसानियत की दहलीज़ को पार कर, हैवानियत के संसार में खो गया है वो मार कर अपने ज़मीर को , खुद का ही क़ातिल हो गया है वो अपने पराये का जो भेद जानता भी न था , आज अहम् ( मैं )... |
हिन्दी ब्लॉगिंग का ऑस्कर : परिकल्पना सम्मान दिल के बहलाने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है.. गतवर्ष दिल्ली में भी इससे बड़ा आयोजन था मगर किसी ने भी ऑस्कर सम्मान नहीं कहा… |
अन्त में देखिए- (1) और तुम तो मेरी प्रकृति का लिखित हस्ताक्षर हो (2) लम्पट-ब्लॉगर प्रिंट मीडिया के एक समाचार पत्र में हिंदी ब्लॉगर्स को 'लम्पट' कहा गया ! कारण -- ईर्ष्या ! हिंदी ब्लॉगर्स दुनिया की सबसे शान्तिपूर्ण प्रजाति के हैं ! वे बेख़ौफ़ हर विषय पर अपनी लेखनी चलाते हैं… (3) लखनऊ का वो यादगार दिवस (4) आदरणीय रवीन्द्र प्रभात जी से कुछ सवाल:तथाकथित अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन और इसके मायने
डिस्क्लैमर : इस पोस्ट का उद्द्येश्य किसी को ठेस पहुचाना नही
वरन कुछ संशयो का निराकरण करना है. साथ ही लेखक अभी तक गुटनिरपेक्ष है.
बात निकली है तो फिर दूर तलक जायेगी. मुद्दे की बात है कि
ये जो तथाकथित अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन हुआ इसके मायने
और जो इससे निष्कर्ष निकले उनकी प्रासंगिकता क्या है?
मै बिन्दुवार चर्चा करने की कोशिश करूंगा...
1. इस सम्मेलन को अंतर्राष्ट्रीय दरज़ा कैसे मिला?
उसके मानक क्या है?
2. इस समारोह के प्रायोजक और फंडिंग करने वाले कौन थे?
सम्मान सूची मे शामिल कितने लोगो से
समारोह के नाम पर सम्मान के नाम पर चन्दा लिया गया.
इस कार्यक्रम मे जो खर्चे आये उनको कब सार्वजनिक किया जायेगा
एवम उनके स्रोतो की जानकारी को
कितने समय मे ब्लागजगत को दिया जायेगा?
3."परिकल्पना" वालो ने जो वोटिंग करायी थी उसे सार्वजनिक कब करेगे?
दशक ब्लागर दम्पत्ति का उल्लेख उसमे कही नही था
तो यह सम्मान क्या तुष्टीकरण के चलते जोडा गया? ....
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बेहतरीन शोधक प्रस्तुति । सुन्दर पेशकश ।
जवाब देंहटाएंआभार शास्त्री जी
बहुत ही बढ़िया लिंक्स. पढने की पर्याप्त सामग्री. मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार..
जवाब देंहटाएंNice Links.
जवाब देंहटाएंघड़ा मथा जाए तो माखन निकले और समुद्र मथो तो निकले अमृत.
मथने के लिए दो पक्ष बहुत ज़रूरी हैं.
आपका पक्ष जानकर पता चला
बड़े ब्लॉगर्स के ब्लॉग पर बहती मुख्यधारा का .
धन्यवाद.
पीड़ा मन को सालती , जब होता अपमान
जवाब देंहटाएंन्यौता तब ही भेजिये , जब दे पायें मान
जब दे पायें मान, सभी का स्वागत कीजे
कद पद रिश्ते नात,देख मत निर्णय लीजे
देकर सबको मान , उठायें कोई बीड़ा
जब होता अपमान, सालती सब को पीड़ा ||
यही तो समझ में हमारे भी नहीं आता है
जवाब देंहटाएंकाँग्रेसी ही हर जगह गाली क्यों खाता है
देश में कोई भी काम कहीं हो पाता है
संस्कृ्ति आदमी वही तो दिखाता है
अपने घर में जब परिवर्तन नहीं कर पाता है
पूरे देश का ठेका ऎसे में कौन ले पाता है
ब्लागर सम्मेलन हो चाहे मिलन हो कहीं भी
आदमी का व्यवहार ये सिद्ध कर ले जाता है
राष्ट्रीय चरित्र की कमी क्या ये नहीं दर्शाता है ?
(3)
जवाब देंहटाएंलखनऊ का वो यादगार दिवस
सुंदर प्रस्तुति बधाई एवम शुभकामनाऎं !
सुन्दर सूत्र...
जवाब देंहटाएं(2)
जवाब देंहटाएंलम्पट-ब्लॉगर
लम्पटता की चर्चा करना बेकार है
लम्पटता तो दिखती साकर है
लम्पटता सूरत में नजर आती है
लम्पटता सीरत में दिख जाती है
लम्पटता लिखने में आ जाती है
लम्पटता छिपने नहीं जाती है
लम्पट को लम्पट ही कहा जायेगा
अपनी हरकतों से वो दिख जायेगा
कही बोल के बतायेगा कहीं
लिख कर के दे जायेगा !
आदरणीय शास्त्री जी, लगता है आपकी उम्र वास्तव में अधिक हो गयी है, इसीलिए मंचासीन अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किये जाने की घटना को उल्टा आयोजकों को दिये जाने वाला सम्मान प्रमाणित करने का कुप्रयत्न कर रहे हैं। (कम से कम शैलेन्द्र सागर जी से फोन करके कन्फर्म कर लिया होता कि ये फोटो उनको स्मृति चिन्ह देये जाने के हैं, या..... कहिए तो उनके नं0 का मैं ही जुगाड करूं) और क्या ऐसी अनर्गल बात कहके आप शैलेन्द्र सागर जी का अपमान नहीं कर रहे ?
जवाब देंहटाएंवैसे चिन्ता की कोई बात नहीं, इस उम्र में ऐसा अक्सर होता है। लगता है इतना सफल कार्यक्रम आपसे देखा नहीं गया, इसीलिए जिसने आपका सम्मान किया, आप उसी का अपमान करने बैठ गये।
इतने बडे कार्यक्रम में छोटी-मोटी त्रुटियां तो होती रहती हैं। अगर पहला सत्र एक घंटा देर से शुरू हुआ, तो अगला सत्र तो गायब होना ही था। आयोजकों ने इसके लिए मंच से खेद व्यक्त तो कर दिया था। फिर इसमें इतना चें-चें मचाने की क्या बात है ?
और अगर आप इस कार्यक्रम से इतने ही अपमानित महसूस कर रहे थे, तो फिर सम्मान लेने की फोटुएं क्यों पहले अपने ब्लॉग में चेंप दिये। अगर आपकी जगह मैं होता, और इस कार्यक्रम से इतनी नाराजगी होती, तो न तो उनसे सम्मान लेता और न ही सम्मान की फोटुएं अपने ब्लॉग पर चेंपता। अजी मैं तो थूंक देता ऐसे सम्मान पर। लेकिन आपने ऐसा किया, यानी कि आप सम्मन तो लेना चाहते थे, लेकिन किसी के हुसकाने में...।
शायद ऐसी ही किसी घटना को देखकर यह कहावत बनी है- जिस थाली में खाओ, उसी में हगो।
राम, राम। क्या जमाना आ गया है।
और हां, आपके मन की दुर्भावना इससे भी परिलक्षित होती है कि आपने यहां पर दूसरों की पोस्टों के छोटे-छोटे अंश लगाए, मगर अपनी घृणित मानसिकता को प्रकट करने वाली पूरी की पूरी पोस्ट ही चेंप दी।
जब आप खुद इतने बडे पक्षपाती और ढ़ोंगी हैं, तो फिर दूसरों के बारे में सवाल पूछने का आपको क्या अधिकार बनता है ?
सुन्दर लिंक्स.... सम्मेलन और सम्मान के बारे में पोस्टें पढ़-पढ़कर दिमाग का दही हो गया है...
जवाब देंहटाएंमस्तिष्क मंथन करने वाले सूत्र लगाए हैं आज तो मेरे सूत्र को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार अभी सब के ब्लोग्स पढ़ती हूँ
जवाब देंहटाएंबेहतर चर्चा।
जवाब देंहटाएंवाह भाई मजा आ गया.काश की मै भी होता आप सभी के साथ.दिल में बड़ा ही अरमान है की मै भी अपने देश के हिंदी ब्लोगर्स के साथ कुछ लम्हात बिताता.मगर नसीब.मेरी तरफ से सभी को बहुत बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंachchhee charchaa , aabhaar
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंसाठ के बाद व्यक्ति सचमुच सठिया जाता है, दिल्ली वाले कार्यक्रम मे भी आप परिकल्पना के मंच से सम्मानित हुये थे, इस बार भी हुये हैं । दो-दो बार सम्मानित होकर भी आयोजक को गाली देना कहीं-न कहीं आपके दुराग्रह को दर्शा रहा है । शर्म कीजिये शास्त्री जी, आप जिन दो फोटो को दुखाकर आयोजकों को सम्मानित होने की बात कह रहे हैं, उस फोटो को गौर से देखिये एक मेन रवीन्द्र प्रभात जी ने उद्भ्रांत को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित कर रहे हैं तो दूसरे मे ज़ाकिर आली जी स्मृति चिन्ह देकर शैलेंद्र शागार को । तरस आती है आपकी बचकाना हरकत पर । बहुत गंदी प्रवृति के हो आप । जहां जाने से आपका कद छोटा हो जाता है वहाँ जाते ही क्यों हो शास्त्री जी ।
वाकई अमृत मंथन के समान आज की चर्चा है ... बहुत हूब काफी कुछ जाना समझा ... आभार
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी, आपने मेरे कॉमेंट को प्रकाशित न कर यह साबित किया की आपके मन मे चोर है, मैं आपके इस कृत्य पर पोस्ट लगाऊँगा, क्योंकि आपके द्वारा किया गया यह भ्रामक कार्य सचमुच घृणित है, आपको अबिलंब ये दोनों फोटुए हटा लेनी चाहिए और अपने इस घृणित कार्य के लिए आयोजकों से माफी मंगनी चाहिए ।
यदि ऊपर के दोनों फोटो में आयोजकों के द्वारा वरिष्ठ साहित्यकारों को स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया जा रहा है, तो फिर यह दुष्प्रचार क्यों की आयोजक सम्मान ग्रहण कर रहे हैं । आप अब बच्चे नहीं रहे शास्त्री जी । उम्र के आखिरी दहलीज पर हैं द्वेष मत फैलाईए ।
जवाब देंहटाएंअगर ऐसा है तो यह सचमुच घृणित कार्य है । शास्त्री जी जैसे वरिष्ठ लोगों को यह शोभा नहीं देता ।
जवाब देंहटाएंब्लॉगर को लमपट कहकर सुभाष राय जी ने गलत नहीं किया, आज भ्रामक बातें उछलकर शास्त्री जी ने सिद्ध कर दिया की सचमुच ब्लोगजगत में कुछ लनपट हैं । शास्त्री जी आपको यह पोस्ट हटा लेना चाहिए । कहीं ऐसा न हो की मान-हानी हो जाये आपकी ।
जवाब देंहटाएंकिसी को लम्पट ब्लोगर का सम्मान मिला या नहीं ....
जवाब देंहटाएं-----वैसे देखने से तो सब कुछ थी-ठाक ही लग रहा था ..आम साहित्यिक -समारोहों की भांति, अफरातफरी भी थी ...मुझे तो शाम को बेंगलोर निकलना था अतः अधिक देर रुक नहीं पाया....पर जिनसे दुआ-सलाम हुई वे भी बडे रूखेपन सहित( जो प्रायः आम साहित्यिक खेमेबाजी में देखी जाती है ) और टेंशन में दिखाई दिए ...यह ब्लॉग्गिंग-विधा के लिए अच्छा लक्षण नहीं है...
बहुत सुन्दर लिंक्स ...रोचक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंहा !हा !हा!
जवाब देंहटाएंसम्मलेन और आयोजन के बारे में आप ने बहुत बढ़िया लिखा है.
फुरसतिया इनकी पोल पहले ही खोल चुके हैं .
वहाँ तो इनके पुर्जे- पुर्जे उड़ चुके हैं.
डॉ.अरविन्द मिश्रा भी अपनी पोस्टों में ,अनजाने में मगर इनका मजाक बना चुके हैं.
आप की पोस्ट थोड़ी देर में आई लेकिन बिलकुल सही आई है.एक प्रत्यक्षदर्शी के हवाले से
सही रिपोर्ट आनी भी ज़रुरी है .वहाँ से आये लोग दबे मुंह यहाँ-वहाँ बतिया रहे हैं सामने कोई कुछ नहीं कह रहा .दोगले सारे के सारे .
पेटी में से आनन-फानन में खाली सर्टिफिकेट निकाले और थमा दिए .'
आप की हिम्मत है जो इनके खिलाफ सही बोले.अन्यथा यहाँ के लोग भीगी बिल्ली बने बैठे हैं कि कहीं कुछ कह दिया तो अगले साल के पुरस्कार से वंचित न रहना पड़े.
बढ़िया चर्चा....
जवाब देंहटाएंअंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन की कुछ झलकियाँ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स.... सम्मेलन और सम्मान के बारे में
बढ़िया चर्चा....|
बढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंसच्चाई तो सबके सामने आनी ही चाहिए
अभी तक लग रहा था
जवाब देंहटाएंकुछ हुआ है कहीं
पर अब लग रहा है
वाकई बहुत कुछ हुआ है !
जो होता है वो दिखाई देता है
जवाब देंहटाएंसच सच होता है झूट दिखता है
झूट छिपता है सच सामने होता है
सच का फोटो होता है झूट कहीं
कैमरे के अंदर सोता है !
हिन्दी ब्लॉगिंग का ऑस्कर : परिकल्पना सम्मान
जवाब देंहटाएंदिल के बहलाने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है..
बहुत सुंदर !
ये किसी को क्यों नहीं दिखाई दिया?
अरे वाह...!
जवाब देंहटाएंयहाँ भी चमचे!
मुझसे कोई भील हुई होती तो क्षमा भी माँग लेता और पोस्ट भी हटा लेता। मगर मैंनें अपनी बात सप्रमाण कही हैं।
पिष्टपेषण करना मैं जानता नहीं मगर सत्य कहने से कभी पीछे नहीं हटूँगा।
चमचों की आदत होती है चमचागिरि करने की तो वो पोस्ट लगाकर अपनी सभ्यता का परिचय ही देंगें। ऐसा मेरा मानना है।
सब जगह के माफिया देख के आया था
जवाब देंहटाएंलगा था यहां कुछ सुकून सा अब तक
गलतफहमी आज दूर हो गयी
ब्लाग माफिया कैसे नहीं पैदा हुआ अब तक !
Anonymous कोई भी हो उसकी पोस्ट नहीं आनी चाहिये । हटा देनी चाहिये चाहे वो सच कह रहा हो ।
जवाब देंहटाएंमजे की बात है आज टिप्पणी कर्ता में वो लोग दिखाइ दे रहे हैं जो यहाँ मैने तो कभी नहीं देखे वो आज यहाँ आये उनका स्वागत है !
जवाब देंहटाएंरविकर कहाँ गया लेकिन?
जवाब देंहटाएंसो गया तो अच्छा किया
दिन में आ जाना भूलना मत !
आदरणीय शास्त्री जी यही चमचे बेलन मूसल मेरे ब्लाग पर है वास्तव मे ये एक विषेश कम्पनी के पालित गुंडो की तरह है जो इशारा पाते ही हमला करते है. सुशील जी ये सब वायरस है जो विशेष परिस्थितियो मे सक्रिय किये जाते है आप हमारीवाणी देखिये किस तरह से मुझे टार्गेट किया गया है जबकी मैने कुछ सवाल किये थे.
जवाब देंहटाएंलखनऊ ब्लॉगर सम्मान पर समाचार पत्रों के शीर्षक:
जवाब देंहटाएं"तकनीकी के कलाकारों ने किया मंथन"
"ब्लॉगर बोले, गलत हाथों में ना पड़े तकनीक"
"विचारों की स्वतन्त्र अभिव्यक्ति का माध्यम है ब्लॉग"
"Govt Regulation not needed"
"इतिहास बनेगा ब्लॉगर सम्मेलन"
"ब्लॉग की दुनिया में लम्पटों की कमी नहीं"
"Bloggers discuss need for setting up Blog Akademi"
"सामाजिक कुरीतियों से लड़ने का माध्यम है ब्लॉग"
"देश के ८०% लोग ब्लॉग से अनभिज्ञ"
"Calling for code of positive net effect"
अब बताईये आप किस पर विचार विमर्श करना चाहेंगे?
क्या यही इकलौती बात साबित नहीं करेगी कि लम्पट कौन?
बातें जब कुछ नई हो,आते नए नए लोग
जवाब देंहटाएंबेनामी बनाने का ,मिलता कम संजोग,,,,,,
मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार ,,,,,