मित्रों!
आज अवकाश का दिन रविवार है।
परन्तु मेरी तबियत ठीक नहीं है। वायरल से पीड़ित हूँ, इसलिए कल पूरे दिन नेट पर भी नहीं आ पाया था। हमारे पुराने मित्र समझे थे कि जान-बूझकर कुछ टिप्पणियाँ प्रकाशित नहीं की गई हैं, मगर चर्चा मंच पर तो मॉडरेशन है ही नहीं, हाँ कुछ टिप्पणियाँ स्पैम में चली गयीं थी। जिनको मैंने नेट पर आते ही प्रकाशित कर दिया था।
आज नेट की आँख मिचौली के साथ
चर्चा मंच देर से ही सही लेकिन प्रकाशित हो ही गया!
प्रस्तुत है ब्लॉगिस्तान की
पिछले 24 घण्टों की प्रमुख हलचल!
जमाने के नख़रे उठाया करो!कभी ख़ुद की जानिब भी आया करो!आईना देखकर मुस्कुराया करो!!... |
जब भी मैं सुनता हूँ रेलगाड़ी की आवाज
तुर्की कवि ओरहान वेली ( १९१४ - १९५०) की कुछ कविताओं के अनुवाद आप 'कबाड़ख़ाना' और 'कर्मनाशा' पर पहले भी पढ़ चुके हैं। ओरहान वेली, हमारे समय का एक ऐसा कवि जिसने केवल ३६ वर्षों का लघु जीवन जिया--- |
दुआ आज से ठीक एक हफ्ते बाद हम पुएर्तो रिको से अमेरिका चले जाएंगे और ज़िन्दगी के एक नए अध्याय की शुरुआत करेंगे। ये वो वक़्त है जब दिल में कई तरह के ख़याल आते हैं, वाशिंगटन डीसी जैसे शहर में काम करना मतलब.. | न जाने क्यूँ
कहीं कोई तारा टूटा है, या रात ढले चमकती हैं बिजलियाँ, उसकी हर बात में है, बला की ख़ूबसूरती, ज़िन्दगी उलझती जाए हर लम्हा, इक अज़ीब सी कसक है, उसकी आँखों में... |
लघुकथाएं
१- अपराध का ग्राफ* ''मारो स्सारे खों.. हाँथ-गोड़े तोड़ देओ.. अगाऊं सें ऐसी हिम्मत ना परे जाकी. एकई दिना में भूखो मरो जा रओ थो कमीन.. हमायेई खलिहान सें दाल चुरान चलो.. |
दोस्त हम और दुश्मन तुम थे - धीरेन्द्र
क्यों था उङने को व्याकुल मेरा मन । वह नव बसंत का आगमन था । जी हाँ इनका शुभ नाम है - श्री धीरेन्द्र भदौरिया । और इनका Occupation है - कृषि । और इनकी Location है - वेंकट नगर । अनुपपुर । मध्य प्रदेश |
*साथ * गर वक्त देता साथ तो मै, वक्त की चूलें हिला देता मुकम्मल मायने ज़ज्बात के, वक्त को भी बता देता चिलचिलाती धूप में बन पत्थरों की चीख़, यह दिखा देता ये जिंदगी है मंजिलों से "ये कहाँ आ गए हम ? 15 अगस्त' 1947 से 15 अगस्त' 2012 तक की यात्रा पर गौर करें… | गुड खाना और गुलगुलों से परहेज करना जब जब भारत देश में हिंदी दिवस आता है तब एक दिन के लिए कलाकार (अभिनेता / अभिनेत्री), पत्रकार, कवि और साहित्यकार हिंदी का गुणगान करते नजर आते हैं और अपनी टिप्पणी/विचारों को ऐसे व्यक्त करते हैं... |
मन करता है ....!!!
*दूसरों की सुन के,खुद से कह के * *खुश हो लिए,*
*दे के दिल को दिलासा, प्यार से और * *खुद रो लिए ...*
*...अकेला* *मन करता है ....!!!*
*आँख में आंसू साथ नही *
*रोने का मन करता है... *
*खोने को कुछ पास नही * *...
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न्यायप्रिय मोदी
देश के इतिहास मे पहली बार किसी को साम्प्रदायिक सामूहिक हिंसा के अपराध पे सजा हुयी है, भले ही ये हिंसा किसी दूसरे साम्प्रदायिक गिरोह के प्रतिक्रिया स्वरुप हुयी हो. जहाँ आजकल सत्ताधारी अपने अपने मंत्र.. |
*उधारी* तीन रुपये की उधारी करके टेप खरीदी थी पाँच का नोट चिपकाने के लिये , फिर वही फटा नोट चिपकाकर उधारी चुकाई थी और टॉफी खरीदी थी तुम्हारे लिये बचे हुये दो रुपयों से, शायद तुम्हें याद हो | खैर ! तुम्हें ...
| कोई कोट्ठे तों सूरज
*इक्क इक्क दिन मेरा लक्ख लक्ख दा * *पाणी विच लह गया वे माहिया * *इक्क इक्क कदम मेरा मण मण दा * *दिल्ल भुन्जे ढह गया वे माहिया * *साथ अपणे दी तूँ कदर ना जाणी , कन्न मेरे विच्च कोई कह गया वे माहिया... |
संघ, दल और परिषद के लिए हमारे जज़्बात क्या होने चाहियें ? R.S.S. 'वेद क़ुरआन' पर देखिये एक अनोखा सच नफ़ाबख्श बनिए और लोगों के दिलों पर राज कीजिए Spiritual Love अपने परिवार के किसी सदस्य से शिकायतों के बावजूद भी हम उसे सरे आम रूसवा कभी नहीं करते लेकिन संघ, दल और परिषद के... |
तेरी रोटी रोटी थी पर खोटी थी
अपनी एक * *रोटी बनाना * *टेढी़ मेढी़ * *मोटी सूखी * *स्वाद के साथ * *उसको खाना * *खुशी मनाना * *किसी का इसको * *ना देख पाना* *उसका घीं का * *डब्बा एक लाना * *ला लाकर * *सबको दिखाना * *एक दिन * *एक जगह पर... | बदलना बड़ा-मस्तान में ब्रह्मस्थान का
अक्सर स्थानों या जगहों के ऐसे-ऐसे नामसुनने-जानने को मिलते हैं जिनका उस स्थान से दूर-दूर का रिश्ता नहीं होता, नाहीं उस नाम के अर्थ से उसका कोई सम्बंध होता है। फिर भी उसी नाम से उसे प्रसिद्धि मिल जाती है। ... |
राजस्थान=रामदेव, गोगाजी, पाबूजी, भैरूंजी,देवनारायण, हड़बूजी, मल्लिनाथ, तेजाजी , कल्लाजी,मेहाजी देगराय राजस्थान का विविध रंगी लोक जीवन अपने वैविध्य के सौंदर्य से किसी का भी मन मोह सकता है और जब जीवन के हर क्षेत्र में रंगों का वैविध्य हो तो भला आस्था का क्षेत्र अछूता कैसे रह सकता है. शायद इसीलिए राजस्थान... |
शिरत से ही पहचान है
सूरत से नहीं शिरत से ही पहचान है चाँद बेदाग़ नहीं फिर क्यूँ तू अनजान है क्या ला सकोगे चांदनी लाखों दिए जलाकर भी.. | सांसों को को देखता ही नहीं
*दिल ले गया था कोई कभी * *अब तो जिस्म ही बेजान है !* *सांसों को कोई देखता ही नहीं, * *पत्थर भी कहने को यहाँ भगवान है !! .. राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' * |
जिंदगी, जिंदगी की दवा ..,
*कैसे जिंदगी ,
जिंदगी को हवा देती है ,
कैसे जिंदगी, जिन्दगी की दवा होती है -
परछाईयों के अक्स कहाँ,
हमसाये जिंदगी के,
मेहरबा...
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''अम्मा ...श..श...धीरे बोलो .मोदी सुन लेगा " |
तेरी कमीज़ मेरी कमीज़ से सफ़ेद कैसे - यह भी एक इत्तेफाक की ही बात है , जब देश विदेश के जाने माने ख्याति प्राप्त ब्लॉगर अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन में भाग लेने नवाबों की नगरी लखनऊ की ओर प्रस्थान कर रहे थे , ठीक उसी समय हम ... | “बिहार का मूल धर्म है – गुंडों का धर्म” … ? सारे देश में बहस जारी है, मीडिया में, घर में और बाहर भी। आज फ़ुरसत में होते हुए भी फ़ुरसत में नहीं हूं। मन में मंथन चल रहा है। देश के एक नेता के बयान से... |
दिल यूँ ही पिघलते हैं
पिट्सबर्ग की एक खिड़कीजो आग पे चलते हैं
वे पाँव तो जलते हैं कितना समझायें पर अरमान मचलते हैं
युग बीते हैं ये लोग न तनिक बदलते हैं
श्वान दूध पर लाल गुदड़ी में पलते हैं ..
|
वह शक्सियत - जिनकी सिर्फ आलोचना हुई ,पर मुझे सही लगीं |
दर्द-ऐ-दिल किसी से कह ना सका
मन ही मन घुटता रहा दिल बेचारा भी थक गया एक दिन कहने लगा कब तक अकेले ज़िन्दगी गुजारोगे अब दर्द से किनारा कर लो किसी और से मुझे मिला दो मन को सुकून मुझ को राहत दे दो..
| काँग्रेस का झूठ, मोदी का तमाचा
" गुजरात की तरक्की को क्यों रोकना चाहती है कांग्रेस ? ये सवाल आज गुजरात वासियों के दिल में कांटे की तरह चुभ रहा है और चुभेगा भी क्यों की कांग्रेस जो कर रही है उस से जनता अनजान नहीं है. |
सुधीर सक्सेना
*नियति:
मैंने तुम्हें चाहा तुम धरती हो गईं
तुमने मुझे चाहा मैं आकाश हो गया
और फिर हम कभी नहीं मिले, वसुंधरा! *समुद्र::*
समुद्र अजनबी नहीं है किसी भी भूमिपुत्र के लिए...
|
अन्त में देखिए!कार्टून : अगला हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन ऐसा होगा |
अपने स्वास्थ का ख़याल रखें शास्त्री जी....मौसम बड़ा खराब चल रहा है.
जवाब देंहटाएंअस्वस्थता के बावजूद चर्चा लगायी इसके लिए आभारी हैं हम.
लिंक्स देखती हूँ अब.
शुक्रिया
सादर
अनु
"पर नहीं रह सकता भूखा...."
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट का लिंक नहीं दिया है शास्त्री जी...
सादर
अनु
पर नहीं रह सकता भूखा
हटाएंलिंक एक्टिव कीजिये !
बढिया मंच सजाया है आपने
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स
स्वास्थ पर खास दीजिए, जरूरी है
सुन्दर सराहनीय प्रस्तुति । आभार शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंकाजल बनो भैया आंखन का किरकिरी काहे बनत हो काजल कुमार ब्लोगिंग की ......बढ़िया सशक्त ...अपना काम खुद करो समारोह में जा रहे हो तो सीट साथ लेके चलो ...अन्त में देखिए!कार्टून :
जवाब देंहटाएंअगला हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन ऐसा होगा ..
कृपया यहाँ भी पधारें -http://veerubhai1947.blogspot.com/
सादा भोजन ऊंचा लक्ष्य
स्टोक एक्सचेंज का सट्टा भूल ,ग्लाईकेमिक इंडेक्स की सुध ले ,सेहत सुधार .
यही करते हो शेयर बाज़ार में आके कम दाम पे शेयर खरीदते हो ,दाम चढने पे उन्हें पुन : बेच देते हो .रुझान पढ़ते हो इस सट्टा बाज़ार के .जरा सेहत का भी सोचो .ग्लाईकेमिक इंडेक्स की जानकारी सेहत का उम्र भर का बीमा है .
भले आप जीवन शैली रोग मधुमेह बोले तो सेकेंडरी (एडल्ट आन सेट डायबीटीज ) के साथ जीवन यापन न कर रहें हों ,प्रीडायबेटिक आप हो न हों ये जानकारी आपके काम बहुत आयेगी .स्वास्थ्यकर थाली आप सजा सकतें हैं रोज़ मर्रा की ग्लाईकेमिक इंडेक्स की जानकारी की मार्फ़त .फिर देर कैसी ?और क्यों देर करनी है ?
हारवर्ड स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ के शोध कर्ताओं ने पता लगाया है ,लो ग्लाईकेमिक इंडेक्स खाद्य बहुल खुराक आपकी जीवन शैली रोगों यथा मधुमेह और हृदरोगों से हिफाज़त कर सकती है .बचाए रह सकती है आपको तमाम किस्म के जीवन शैली रोगों से जिनकी नींव गलत सलत खानपान से ही पड़ती है .
बहुत सुन्दर चर्चा शास्त्री जी , हमेशा की तरह ..... :)
जवाब देंहटाएंआभार
सुधीर सक्सेना कबीर बन व्यंग्य करते हैं ,भाग जातें हैं काशी से मरने से पहले ,कोई ये न कह दे कबीर पौँगा पंडित था .ब्लॉग जगत के कबीर सुधीर सक्सेना प्रेम शाश्वत प्रेम की बात करतें हैं पता नहीं किस सिरफिरे ने लिखा -न जुबां को दिखाई देता है ,न निगाहों से बात होती है ,और आखिर में हाशिये पे पड़े रह जाने की पीड़ा ,सारा मंच हथिया ले गए हिंदी के नामवर बने कई सिंह ,रास्ते की धूल बन्चाम्कते रहे वो हाशिये पर ,पगडंडियों पर ,मजारों पर ,काबा काशी पर ......*नियति:
जवाब देंहटाएंमैंने तुम्हें चाहा तुम धरती हो गईं
तुमने मुझे चाहा मैं आकाश हो गया
और फिर हम कभी नहीं मिले, वसुंधरा! *समुद्र::*
समुद्र अजनबी नहीं है किसी भी भूमिपुत्र के लिए...
कृपया यहाँ भी पधारें -http://veerubhai1947.blogspot.com/
सादा भोजन ऊंचा लक्ष्य
स्टोक एक्सचेंज का सट्टा भूल ,ग्लाईकेमिक इंडेक्स की सुध ले ,सेहत सुधार .
सुन्दर सराहनीय चर्चा ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया , शास्त्री जी .
नख्ले जां को ख़ूं पिलाया उम्र भर
शाख़े हस्ती आज भी जाने क्यूं ज़र्द है
बहुत अच्छे लिंक्स के साथ बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
लाबी करना सीखिए ,बिन लाबी सब सून ,लाबी बिना न ऊबरे ,लाबिगर परचून ......तेरी कमीज़ मेरी कमीज़ से सफ़ेद कैसे -
जवाब देंहटाएंयह भी एक इत्तेफाक की ही बात है , जब देश विदेश के जाने माने ख्याति प्राप्त ब्लॉगर अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन में भाग लेने नवाबों की नगरी लखनऊ की ओर प्रस्थान कर रहे थे , ठीक उसी समय हम ...
कृपया यहाँ भी पधारें -http://veerubhai1947.blogspot.com/
सादा भोजन ऊंचा लक्ष्य
स्टोक एक्सचेंज का सट्टा भूल ,ग्लाईकेमिक इंडेक्स की सुध ले ,सेहत सुधार
अब तक चार टिपण्णी स्पैम में जा चुकीं हैं .
जवाब देंहटाएंकृपया यहाँ भी पधारें -http://veerubhai1947.blogspot.com/
सादा भोजन ऊंचा लक्ष्य
सूरत न देखो सीरत को देखो ....अच्छी रचना शिरत से ही पहचान है
जवाब देंहटाएंसूरत से नहीं शिरत से ही पहचान है
चाँद बेदाग़ नहीं
फिर क्यूँ तू अनजान है क्या ला सकोगे चांदनी लाखों दिए जलाकर भी..
कृपया यहाँ भी पधारें -http://veerubhai1947.blogspot.com/
सादा भोजन ऊंचा लक्ष्य
स्टोक एक्सचेंज का सट्टा भूल ,ग्लाईकेमिक इंडेक्स की सुध ले ,सेहत सुधार .
aapka saadar dhanyavaad veeru bhaiji
हटाएं
जवाब देंहटाएंकभी ख़ुद की जानिब भी आया करो!
आईना देखकर मुस्कुराया करो!!
मज़े ख़ूब होते हैं नखरों में ग़ाफ़िल!
जमाने के नखरे उठाया करो!
झटकना न जुल्फें ,गिरें कई गाफ़िल
इस कदर बोझ तुम न उठाया करो !
मुराद की है पूरी उस गाफ़िल की तुमने ,
इस रहगुजर से भी तो गुजरा करो !.
तुकबन्दी मिलादी है हमने भी गाफ़िल ,
इस कदर हम पे अब यूं न बिगड़ा करो |
चलो ! इतंजार ,बा -नतीज़ा क्या ,खुश नतीज़ा रहा .बधाई भाई साहब .जमाने के नख़रे उठाया करो!
कभी ख़ुद की जानिब भी आया करो!
आईना देखकर मुस्कुराया करो!!...
sunder ghazal ,aapka bahut aabhaar shashtri ji ,tabiyat ka khyal rakhiye,saadar
हटाएंmeri rachna ko bhi charcha manch par shaamil karne ke liye bahut aabhaar aapka,
जवाब देंहटाएंस्वास्थ लाभ का प्लान
पाँच दिन का बनाइये
सी एल पी एल या मेडिकल
काम में ले आईये
अगले शनिवार तक छुट्टी
पर चले जाइये!
अगला हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन ऐसा होगा
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
कुछ घर पए बैठे लोगों
का भी ध्यान करो
उनको भी कुछ भेज दिया
जाये ऎसा प्लान करो !
नारद जी ,मोदी जी को कोसने वाले सबके सब "आतंकवादी सेकुलर" हैं .इस देश में सेकुलर का मतलब अब आतंक वादी ही हो गया है .और आतंकवादी का सेकुलर .कसाब भाई साहब सेकुलर हैं देख लेना उनकी फांसी कागज़ पे बनी रहेगी .
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच को समर्पित ब्लॉग शास्त्री(जी ) जल्दी स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें .लिक्विड फ़ूड ज्यादा लें.सूप लें लेकिन टमाटर का नहीं .ब्लोगिंग को भी विश्राम करनें दें शास्त्री जी, को भी .अच्छे सेतु लाये ,बढ़िया पुल बनाए .इसीलिए आप चर्चा श्री कहलाये .
जवाब देंहटाएंसुधीर सक्सेना
जवाब देंहटाएंवाह !
आँख का आँख से लड़ना
समझना और भिड़ना
यहाँ गजब हो जा रहा है
आँख युद्ध कोई देखिये
कैसे कैसे करा रहा है !
काँग्रेस का झूठ, मोदी का तमाचा
जवाब देंहटाएंकाँग्रेस का अंत तो हो जायेगा
काँग्रेसी मानसिकता को इस देश
का आदमी कहाँ बेच के आयेगा?
वह शक्सियत - जिनकी सिर्फ आलोचना हुई ,
जवाब देंहटाएंपर मुझे सही लगीं
मान लेती बात चुपचाप
और चली जाती
प्रिया दीदी तुम कहाँ
इस कहानी में फिर
कहीं भी याद आती !
nice presentation....
जवाब देंहटाएंAabhar!
Mere blog pr padhare.
दिल यूँ ही पिघलते हैं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
पर
पाँव को अपने कभी समझाया भी करें
फायर प्रूफ जूते दे कर के जाया करें !
“बिहार का मूल धर्म है –
जवाब देंहटाएंगुंडों का धर्म” … ?
सब खेल टी आर पी का
क्या आपको नहीं लगता है
बटुआ चोरों का ईमानदारी से
कहां कभी भरता है ?
बड़ी ही रोचक चर्चा..
जवाब देंहटाएंतेरी कमीज़ मेरी कमीज़ से सफ़ेद कैसे -
जवाब देंहटाएंबस एक बात समझ में आती है
हम हर जगह भारतीय होते हैं
सौ प्रतिशत प्रूफ हो जाती है !
''अम्मा ...श..श...धीरे बोलो .
जवाब देंहटाएंमोदी सुन लेगा "
अब ये तो सरासर नाइंसाफी है
किसी को भी नहीं दी माफी है
पता है वो शादी नहीं कर पायेगा
तो क्या महिलाओं की बातें सुनने
से भी बेचारा यूँ ही रह जायेगा?
सांसों को को देखता ही नहीं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
रिमाइंडर भेजिये कहाँ ले गया बताये
नहीं बताता है तो आर टी आई लगायें !
बहुत बढ़िया लिनक्स लिए चर्चा.......
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा लगाईं है शास्त्री जी अपनी सेहत का ध्यान रखे
जवाब देंहटाएंशिरत से ही पहचान है
जवाब देंहटाएंअच्छा है चाँद से आप ने पहचान लगाई है
दिये क्यों लगाये कोई चाँदनी जब खुद आई है !
aapka bahut aabhaar sushil ji ,
हटाएंsaadar
चर्चामंच के सभी गुरुजनों एवं मित्रों को मेरा प्रणाम. आदरणीय शास्त्री सर ने आज बेहद सुन्दर लिंक्स पिरोये हैं. पढ़ कर बहुत ही आनंद आया. शुक्रिया सर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मंच सजाया है आज शास्त्री जी ! आभार !
जवाब देंहटाएंस्वास्थ का ध्यान रखे,,,
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंकों के प्रस्तुति के लिए,,,,बधाई,,,आभार,,,
राजस्थान=रामदेव, गोगाजी, पाबूजी, भैरूंजी,देवनारायण,
जवाब देंहटाएंहड़बूजी, मल्लिनाथ, तेजाजी , कल्लाजी,मेहाजी
हर जगह की माटी की पहचान अपनी है
देव देवता भी बदल लेते हैं नाम और पहचान
बहने लगते हैं उसी जगह की हवा के साथ !
उपयुक्त लिनको से सजा चर्चा मंच
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आपका टहे दिल से शुक्रिया :)
जिंदगी, जिंदगी की दवा ..,
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना !
वीर जी आपकी टिप्प्णी यहीं तक आ पाती है
आपके यहाँ दे कर भी आते हैं तो लौट आती है !
संघ, दल और परिषद के लिए
जवाब देंहटाएंहमारे जज़्बात क्या होने चाहियें ? R.S.S.
उसकी मरजी उसकी
हमारी मरजी हमारी
किसको किसकी
बात समझ में आरी?
सुगना फाउण्डेशन मेघलासिया ने
जवाब देंहटाएंअपना 4 वां स्थापना दिवस मनाया गया.
शुभकामनाऎं !
शुक्रिया सर
हटाएंउधारी
जवाब देंहटाएंअच्छी है !
आदरणीय शास्त्री जी
जवाब देंहटाएं"सुगना फाउण्डेशन मेघलासिया ने अपना 4 वां स्थापना दिवस मनाया गया" पोस्ट को स्थान देने के लिए आपका तेहदिल से शुक्रिया....
अच्छे लिंक्स.
जवाब देंहटाएंआप जल्द सेहतमंद हों,शुभकामनाओं सहित.
रोचक चर्चा
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन बना चर्चा मंच मैं मयंक जी का बहुत बहुत आभारी हूँ की उनके इस चर्चा मंच में मेरी छोटी सी अभिव्यक्ति को जगह मिल पायी, आप सभी मित्रों को बहुत बहुत आभार अपना स्नेह और आशीर्वाद बनाये रखना
जवाब देंहटाएंआन्द आ गया। मैं अभी नया प्लौग पर लिखने लगा हूं। मेरा ब्लौग http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com मुझे बतायें कि मुझे अपना ब्लौग कहां प्रकाशित कराना होगा जिससे मेरी प्रत्येक नयी पोस्ट की जानकारी हर पढ़ने वाले तक पहुंचे। मेरा मार्गदर्शन करें।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्झा मंच है।
जवाब देंहटाएंमन करता है पर :
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना :
यहाँ का मन भी देखिये जरा
कितना हो गया है मसखरा
आदमी तो बन नहीं पाया हूँ मैं
भगवान बन जाने का मन करता है !
कौर कौर कोयरा कर कुहु कुहुक कुहुककार ।
जवाब देंहटाएंकारी कारी कोर कर धोरी धारी धार ।।
धन्यवाद शास्त्री जी! कार्टून तो ग़ज़ब का रहा!
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर आकर और जगह पाकर सम्मानित महसूस करता हूं।
जवाब देंहटाएंSundar charcha ke liye aapko sadhuwaad
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स...........
जवाब देंहटाएंbahut anand aaya......
जवाब देंहटाएंहमारी पोस्ट को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंnice presentation
जवाब देंहटाएंसर , जल्दी recover हो जाइए | viral fever काफी परेशान करता है :(
जवाब देंहटाएंचर्चा तो हमेशा की तरह अच्छी ही है |
It is a pleasure going through your post. I have bookmarked you to check out new stuff from your side.
जवाब देंहटाएं