एकताल
Rahul Singh
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मैं हूँ ना!!
चला बिहारी ब्लॉगर बनने
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ज़लजला(एक भीषण परिवर्तन) ((क)वन्दना(३) गुरु-वन्दना !! हे गुरु कृपा कर दीजिये !!
Devdutta Prasoon
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रचना जब विध्वंसक हो !
संतोष त्रिवेदी
विध्वंसक-निर्माण का, नया चलेगा दौर ।
नव रचनाओं से सजे, धरती चंदा सौर । धरती चंदा सौर, नए जोड़े बन जाएँ । नदियाँ चढ़ें पहाड़, कोयला कोयल खाएं । होने दो विध्वंस, खुदा का करम दिखाते । धरिये मन संतोष, नई सी रचना लाते ।। |
♥ गणेशोत्सव पर विशेष ♥ (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
♥ गणेशोत्सव पर विशेष ♥
मित्रों! इन दिनों गणेशकोत्सव की धूम है!
इस अवसर पर
मेरी जीवन संगिनी
श्रीमती अमर भारती के स्वर में!
मेरी लिखी हुई यह गणेश वन्दना सुनिए
और आप भी साथ-साथ गाइए!
विघ्न विनाशक-सिद्धि विनायक।
कृपा करो हे गणपति नायक!!
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भगवान् राम की सहोदरा (बहन) : भगवती शांता परम-17
नव महिने में जो भरे, मानव तन में प्राण |
ग्यारह में क्यों न करे, अपना नव-निर्माण ||1।।
दस शिक्षक के तुल्य है, इक आचार्य महान |
सौ आचार्यों से बड़ा, पिता तुम्हारा जान || 2।। सदा हजारों गुनी है, इक माता का ज्ञान | शिक्षा शाश्वत सर्वथा, सर्वोत्तम वरदान ||3।। |
अब आई कॉंग्रेस की बारी
शालिनी कौशिक
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एक हादसा जिसने हिलाकर रख दिया था.
आमिर दुबई
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सियानी गोठ
अरुण कुमार निगम
सर्वाधिक शुद्धता लिए, मिलती राखी मात्र || |
बधाई हो!! मनमोहनजी बड़े हो गए!!! |
दो-स्वास्थ्य-चर्चाकाश,बर्फी के कानों की जांच हुई होती !
Kumar Radharaman at स्वास्थ्य - 1 hour ago
क्या है यह बीमारी डिश (पहली और दूसरी किस्त संयुक्त )
Virendra Kumar Sharma
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दो घुमक्कड़
हर्षिल सेब का बाग व गंगौत्री से दिल्ली तक लगातार बस यात्रा Harsil Apple Garden, Bus journey from Gangautri to Delhiदक्षिण भारत का सुहाना और धार्मिक सफर ,Tour of south india
Manu Tyagi
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हम मरें भूख , महंगाई, गरीबी , बदहाली से
जवाब देंहटाएंऔर वो ख़ामोशी ओढ़े ,कोयले की दलाली से
दाग अच्छे है ! कोयले से भी न टूटा ईमान
अबे चुप रहो ! हो रहा भारत निर्माण .....
इटली से आया है एक रोबोटीय मचान ,
अबे चुप रहो ,मेरा भारत महान .
बढिया व्यंजना है विलुप्त प्राय सरकार की .
हो रहा भारत निर्माण ( व्यंग्य कविता )
मुकेश पाण्डेय "चन्दन"
बहुत बढ़िया लिंकों के साथ सन्तुलित चर्चा करने के लिए रविकर जी का आभार!
जवाब देंहटाएंमोबाइल से जुडी है आपके कानों की सेहत ,शोर से जुडी है धमनी की हरारत .ज्यादा शोर में रहने से धमनी में अव्रोश पैदा होता है ब्लड प्रेशर बढ़ता है .
जवाब देंहटाएंकानों के स्वास्थ्य पर इससे ज्यादा व्यापक जानकारी वाला आलेख हमने इससे पहले नहीं पढ़ा है .विस्तृत जानकारी के लिए शुक्रिया .इत्तेफाक है बर्फी फिल्म आज ही देखी है जिसका सन्देश है -एक गूंगे बहरे युवक और एक आत्म -विमोही युवती के बीच यदयपि शब्द नहीं हैं लेकिन सम्वाद मौजूद हैं ,दोनों एक दूसरे की हरारत को समझतें हैं लेकिन जिनके साथ लडकी को यह समझ के ब्याह दिया जाता है कि वहां यह बेहतर रहेगी वहां दोनों पति -पत्नी के बीच भाषा तो है संवाद नहीं है .औपचारिकताएं हैं एक घर में रहने निभाने की .
बढ़िया आलेख लेकर आये राधा रमण जी .बधाई .
दो-स्वास्थ्य-चर्चा
काश,बर्फी के कानों की जांच हुई होती !
Kumar Radharaman at स्वास्थ्य - 1 hour ago
जवाब देंहटाएंबधाई हो!! मनमोहनजी बड़े हो गए!!!
Cartoon, Hindi Cartoon, Indian Cartoon, Cartoon on Indian Politcs: BAMULAHIJA
लेकिन दोस्त बैठते अभी भी इटली निर्मित मचान पे हैं .
जवाब देंहटाएंबधाई हो!! मनमोहनजी बड़े हो गए!!!
Cartoon, Hindi Cartoon, Indian Cartoon, Cartoon on Indian Politcs: BAMULAHIJA
लेकिन दोस्त बैठते अभी भी इटली निर्मित मचान पे हैं .
मौसम ने ली अंगड़ाई
जवाब देंहटाएंदेवेन्द्र पाण्डेय
बेचैन आत्मा
खेत बजे शहनाई !
परछाईं सा जो सदा साथ चले ....
जवाब देंहटाएंसाथ साथ उड़े भी ...
हर लम्हा ...हर घड़ी ...हर पल .....
मन के उजाले में ....
मन के अंधेरे में भी ...
जो रक्षा करे ....
बस तुम ....लाली मेरे लाल की जीत देखूं उत लाल ,.......सुन्दर मनोहर प्रस्तुति .
दिल टूट गया आवाज़ न हुई ,किरचे इतने यहाँ वहां बिखरे ,किसी को खबर न हुई ....बढ़िया प्रस्तुति ,ब्लॉग की पहली सालगिरह मुबारक .
जवाब देंहटाएंमेरी कविता
आशा बिष्ट
शब्द अनवरत...!!!
आने वाले को आना होगा ,
जवाब देंहटाएंजाने वाले को जाना होगा ,
कल भी कितना सुहाना होगा ,
अब न कोई बहाना होगा .
बहुत बढ़िया रचना है -सर्वोत्तम की प्रतीक्षा करो ....
The Story of Young Woman and Fork
SM
Politics To Fashion
छांट छांट कर नगीने लाये हैं आप
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मेरी यात्रा को शामिल करने के लिये
और वो अकेली ही रह गई बाल यौन शोषण के एक और आयाम घरेलू कलह पर प्रकाश डालती है .सौ फीसद खरी कहानी कहानी कला के तत्वों पर खरी .
जवाब देंहटाएंजब तलाक की अर्जी दे दी और पुलिस में शिकायत भी दर्ज़ करवा दी घरेलू हिंसा की फिर यह तो कुसूर हमारी लचर सामाजिक व्यवस्था और उससे भी लचर मृत प्राय :व्यवस्था का है न कि बोल्ड होने का .आपके शीर्षक की कथा के साथ संगती नहीं बैठती है .क्या कहना चाहते हैं आप ?
जवाब देंहटाएंलिटमस पेपर टेस्ट प्रेम का कर लेना चाहती है कवियित्री .सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएं.आंसू..
रश्मि
रूप-अरूप
दक्षिण भारत का सुहाना और धार्मिक सफर,
जवाब देंहटाएंTour of south india
Manu Tyagi
yatra
हम भी चल रहे हैं
आपकी ब्लाग ट्रेन में !
दो घुमक्कड़
जवाब देंहटाएंहर्षिल सेब का बाग व गंगौत्री से दिल्ली तक लगातार बस यात्रा Harsil Apple Garden, Bus journey from Gangautri to Delhi
जाट देवता का सफर -
अरे तीन रुपिये किलो सेब
लूट हो गयी भाई ये तो !
क्या है यह बीमारी डिश (पहली और दूसरी किस्त संयुक्त )
जवाब देंहटाएंVirendra Kumar Sharma
कबीरा खडा़ बाज़ार में
आपका भी जवाब नहीं !
घोटाला - है रिश्वत - भ्रस्ठाचार (भ्रष्टाचार )बढा है, .......भ्रष्टाचार
जवाब देंहटाएंजनता की बिगड़ी हालत, सरकार बनाके,
धड़कन को मेरी साँसों, को काम यही है,
जख्मों को रक्खा मुझमे(मुझमें ), त्योहार बनाके, ..........मुझमें
बहुत सशक्त रचना है .युवा कवि भविष्य के लिए अपार संभावनाएं छिपाए है अपनी कलम में .
सर तहे दिल से शुक्रिया आप सभी आदरणीय गुरुजनों का आशीर्वाद बना रहे .
हटाएंकाश,बर्फी के कानों की जांच हुई होती !
जवाब देंहटाएंKumar Radharaman at स्वास्थ्य - 1 hour ago
बहुत उपयोगी !
न जाने किस तरह तो रात भर छप्पड़ बनातें हैं ,
जवाब देंहटाएंसवेरे ही सवेरे आंधियां ,फिर लौट आतीं हैं .
यही है बुधिया का असल भारत .बहुत सशक्त रचना है "चाँद और ढिबरी ",बचपन की ढिबरी और लालटेन याद आगई .वो चूने का कच्चा पक्का मकान ,वो पिताजी का झौला ,सुरमे मंजन का ,वो छज्जू पंसारी से रोज़ चार आने का कोटोज़म खरीदना ,लिफ़ाफ़े रद्दी में बेचके आना ,माँ के कहे उसी दूकान पे ,दोस्तों से आँख बचाते ,सब कुछ तो याद आगया ये कविता पढके .
पांचवीं से बारवीं कक्षा तक का दौर (१९५६-१९६३ )याद आगया .
वही है हिन्दुस्तान आज भी .फिर भी रोज़ होता है यहाँ भारत बंद .
ज़लजला(एक भीषण परिवर्तन) ((क)वन्दना(३) गुरु-वन्दना !! हे गुरु कृपा कर दीजिये !!
जवाब देंहटाएंDevdutta Prasoon
साहित्य प्रसून
बहुत ही सुंदर !
रचना जब विध्वंसक हो !
जवाब देंहटाएंसंतोष त्रिवेदी
बैसवारी baiswari
है क्या पास में करने को
रचना को अगर कोई फोड़ने
को जा रहा हो
विध्वंसक बना रहा हो
चुप रहते हों जहाँ सभी
वहाँ एक शब्दों का बम
कहीं बना रहा हो
दिखता नहीं फिर भी
कहीं कोई मरता हुआ
शब्दों के तीर कोई
कितना ही चला रहा हो !
भाईसाहब ये तमाम सेतु पढ़े इनकी काव्यात्मक अभिव्यक्ति भी .सोने पे सुहागा और उससे आगे क्या होता है भला वह सभी कुछ मिल गया .बधाई .
जवाब देंहटाएंगैरों का दुष्कर्म, करे खुद को भी लांछित-
♥ गणेशोत्सव पर विशेष ♥ (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जवाब देंहटाएंवाह!
शब्द और स्वर
दोनो बहुत ही सुंदर !
भगवान् राम की सहोदरा (बहन) : भगवती शांता परम-17
जवाब देंहटाएंअदभुत !
अनामिका की सदाएं और आप एक साथ छा गईं .गूंजित हैं टिप्पणियाँ और मूल लेखन और उसकी लेखिका .
जवाब देंहटाएंएक अध्याय और - उपन्यास ('एक थी तरु' )के समापन के बाद !
प्रतिभा सक्सेना
लालित्यम्
एक हादसा जिसने हिलाकर रख दिया था.
जवाब देंहटाएंआमिर दुबई
मोहब्बत नामा
सब ऊपर वाले के हाथ में है !
आंच-120 : चांद और ढिबरी
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार
मनोज
जितनी सुंदर कविता उतना सुंदर ही विश्लेशण भी !
छोड़ा है मुझको तन्हा बेकार बनाके
जवाब देंहटाएं"अनंत" अरुन शर्मा
दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की )
क्या मिल गया आखिर तुझको
मुझको बस एक उल्लू बनाके !!
बहुत सुंदर !
आदरणीय सुशील सर मेरी रचना को जब भी चर्चा मंच पर स्थान मिलता है बड़ी ख़ुशी होती है और उस पर आपकी टिप्पणियां सोने पे सुहागा का काम करती हैं. शुक्रिया
हटाएंअब आई कॉंग्रेस की बारी,
जवाब देंहटाएंहिन्दुस्तान की कब आयेगी बारी ?
''देश बेचकर खाने का जिस पर आरोप लगाते हैं ,
परदे की पीछे उससे ही दोस्ती निभाते हैं .
हम नेता हैं देश के मांगे सबकी खैर
न काहू से दोस्ती न काहू से बैर.''
आखिरी दो लाइनें बस यूं कर लें -
हम नेता हैं देश के खाएं सब कुछ बेच ,
इटली से है दोस्ती ,अपने घर से वैर .
अब आई कॉंग्रेस की बारी
शालिनी कौशिक
! कौशल !
मौसम ने ली अंगड़ाई
जवाब देंहटाएंदेवेन्द्र पाण्डेय
बेचैन आत्मा
इसके बाद की पोस्ट पर कमेंट का लिंक कहाँ छुपा दिया?
इसलिये यहीं पर लिख दे रहे हैं !
तीनो फोटो में बैचेन आत्मा की फोटो
सबसे सुंदर नजर आ रही है
दो फोटो में हमको पता चल गया है
रविकर की कविता आ रहे है !
अब आई कॉंग्रेस की बारी
जवाब देंहटाएंशालिनी कौशिक
! कौशल !
देश क्या भाजपा और कांग्रेस की लुगाई है जिसे दोनों बारी बारी से भुगताएंगे.बहुत ही तंग दायरा है सोच का शब्द चयन का .
असल सवाल गुम है देश की बारी कब आयेगी
क्या जनता यूं ही सब कुछ लुटायेगी ?
आंसू..
जवाब देंहटाएंरश्मि
रूप-अरूप
बहुत सुंदर!
आँसू में आसूँ अगर
मिला दिया जाये
देखिये क्या पता
नमकीन कुछ
मीठा हो जाये !
घर में पिटाई क्यों सहती हैं बाहर बोल्ड रहने वाली महिलायें ?
जवाब देंहटाएंDR. ANWER JAMAL
Blog News
पत्नियां पिटती है
ये तो आप बता रहे हैं
कैसे पिट जाती होंगीं
ये हम नहीं समझ
अभी पा रहे
वैसे ज्यादातर
पति भी पिटा
करते हैं कई जगहों पर
ये बात तो आप
हमें नहीं बता रहे !
आनुप्रासिक छटा बिखेर दी है आपने इन पंक्तियों में गीत तो खुद ही गायन हार भी बना हुआ है गेयता से भरा हुआ है .स्वर भी अर्थ भी प्रस्तुति भी .धुन और बंदिश दोनों सहज माधुर्य से संसिक्त .
जवाब देंहटाएंबस तुम ....
जवाब देंहटाएंAnupama Tripathi
anupama's sukrity.
वाह !
कोई कहाँ जा कर पिटे
कोई तो जगह कहीं बचे !
समस्त भुवन मे प्रभु का संरक्षण ...!!
हटाएंबहुत आभार सुशील जी ।
आज के लेख में हर्षिल में बगौरी गाँव जाकर सेब के बाग से सेब खरीदना व बस में लगातार चौबीस घन्टे सफ़र कर घर वापसी तक का वर्णन किया है। चलो बताता हूँ, मुझे गंगौत्री में आये हुए लगभग एक सप्ताह पूरा हो रहा था, घर पर मम्मी से फ़ोन पर बात की तो उन्होंने कुछ जरुरी काम बता दिया था जिस कारण घर जाना पड रहा था। वैसे तो गंगौत्री से दिल्ली जाने का मन बिल्कुल भी नहीं हो रहा था लेकिन क्या करे? काम-धाम भी जरुरी है, जिसके बिना जीवन निर्वाह नहीं हो सकता है। जिस समय मैंने यह यात्रा की थी उस समय मैं कक्षा 10 के बच्चों को गणित का ट्यूशन अपने घर पर दिया करता था। बच्चों की पहली परीक्षा तो हो गयी थी। उनकी चिंता नहीं थी। घर पर मम्मी अकेली रह गयी थी। बिजली का बिल मैंने एक साल से भरा नहीं था। जिस कारण बिजली विभाग का एक कर्मचारी घर आया था और बोला था कि जल्दी बिल भर दो नहीं तो घर-घर औचक निरीक्षण अभियान में आपका बिजली का केबिल उतार दिया जायेगा। यह अचानक की मुसीबत जानने के बाद मुझे एक दो दिन में ही घर पहुँचना था।
जवाब देंहटाएंदोस्त बहुत बिंदास लिखते हो और अपनों को इधर उधर उलझाने से भी बचाए रहते हो एक साथ दो यात्रा एक सामाजिक और दूसरी पर्यटन वाली .बधाई इस खूब सूरत रिपोर्ताज के लिए .
दो घुमक्कड़
हर्षिल सेब का बाग व गंगौत्री से दिल्ली तक लगातार बस यात्रा Harsil Apple Garden, Bus journey from Gangautri to Delhi
जाट देवता का सफर -
मेरी कविता
जवाब देंहटाएंआशा बिष्ट
शब्द अनवरत...!!!
बहुत सुंदर रचना !
दर्पण बहुत ही सीधा था
सादगी से टूट गया
वरना अब तो बस
आवाज आती है
टूटने की कई बार
पर दर्पण टूटता नहीं
ठहाके लगाता है !
yakinan... aabhar
हटाएंबहुआयामी चर्चा है |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंवाह ... बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसर आज तो एक से बढ़कर एक लिंक्स चर्चा में सम्मिलित किया है आपने, मेरी रचना को स्थान दिया वो भी अपने उम्दा दोहों के साथ मेरा दिन बन गया सर, तहे दिल से शुक्रिया
जवाब देंहटाएंपोस्ट अच्छी है.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया चर्चा मंच टीम.मोहब्बत नामा का लिंक देने के लिए दिल से शुक्रिया.आज छुट्टी होने के बावजूद भी मै चर्चा मंच पर आया हूँ.
जवाब देंहटाएंmeri pravishti ko sthan dene ke liye aapka punah dhnywaaad ravikar ji..bahut hi achchhe links..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया विस्तृत परिश्रम से लगाईं चर्चा वाह हार्दिक बधाई रविकर भाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही विस्तृत चर्चा, रसमयी..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंकों से सजी सुंदर चर्चा,,,,,
जवाब देंहटाएंआभार!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार रविकर जी आपको मेरी रचना मे गीता का सार दिखा ...!!आध्यात्मिक आलेख पढ़ते पढ़ते ही इसे लिखने की प्रेरणा मिली थी ....!!
जवाब देंहटाएंपुनः आभार ...!!
जवाब देंहटाएंमैं हूँ ना!!
चला बिहारी ब्लॉगर बनने
चला बिहारी ब्लॉगर बनने
पहले सोचा बीबी को भी पढ़वा देता हूँ ये सुंदर लघु कथा फिर सोचा रहने दो मैं थोडे़ मैं हूँ ना :)).
बहुत सुंदर चर्चा |
जवाब देंहटाएंकृपया इस समूहिक ब्लॉग में आए और इस से जुड़ें|
काव्य का संसार
बहुत सुंदर चर्चा सजाई है आपने...मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअब आई कांग्रेस की बारी
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत में बहनापा है यह अच्छी बात है मान लो दो बहनें हैं एक एम ए हिंदी है ,भाषा प्रवीण है .दूसरी वकील है.एक के पास अच्छी भाषा है दूसरी के पास तर्क है . दोनों मिलके एक तर्क खडा करतीं हैं .चलो यह भी ठीक है .लेकिन इस तर्क के कोई सामाजिक सरोकार भी तो होना चाहिए .यह महज़ एक तमाशाई प्रवृति है .दो मुर्गों को आपस में लड़ वाना है जब एक हार जाए तो कहना है चौधरी साहब आपका मुर्गा तो हार गया .
"अब कांग्रेस की बारी है "शीर्षक में मानसिक सरोकार कम हैं तमाशबीनी ज्यादा है .देश के सरोकारों से कोई लेना देना नहीं है .यह उसी तरह से है जैसे कोई कहे कि मैं कहता न था देखा ये भी भ्रष्ट है .अब ऊँट पहाड़ के नीचे आया है .
चलिए मान लिया गडकरी साहब ने कहा भी -मैं नहीं कहता पवार को पर उन्होंने यह तो नहीं कहा कि दूसरे भी ये मुद्दा न उठाएं .
राजनीति में दो विरोधी एक दूसरे के उस तरह से विरोधी नहीं हैं जैसे दो मुर्गे गर्दन ऊंची करके एक दूसरे को काटतें हैं .इनके आपस में भी सरोकार हैं .भाई चारा है .होता है .होता रहेगा .
हमारा कहना यह है सच्चा सरोकार रखिए देश के मुद्दों से तमाश बीन मत बनिए .तमाशबीन बनके दूसरों को हड्काने का कोई फायदा नहीं है .
राष्ट्र ऊपर है व्यक्ति से .
लिए आइना फिरते हरदम,
जवाब देंहटाएंखुद झांकेंगे तब क्या होगा ?
सामने दर्पण के जब तुम आओगे ,
अपनी करनी पे बहुत पछताओगे .
बहुत बढ़िया रचना हर पंक्ति एक चित्र उकेरती है इसका उसका ...
रचना जब विध्वंसक हो !
संतोष त्रिवेदी
बैसवारी baiswari
छतीसगढ़ अंचल की एक बेहतरीन परम्परा गत कला और कलाकारों से रु -बा -रु करवाया .आभारा एकताल एक लय एक नूखा गाँव नुपूर सा बाजे रे ....
जवाब देंहटाएंकितनी ढूँढ बटोर कर ,जमा किये हैं रत्न ,
जवाब देंहटाएंउस पर सोंधी छौंक-का कितना-कितना यत्न .
अभी लगेगा कुछ समय ,पाने में आस्वाद ,
बंधु ,धन्य है आपका यह आयास-प्रयास !