दोस्तों! चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ का नमस्कार! सोमवारीय चर्चामंच पर पेशे-ख़िदमत है आज की चर्चा का-
लिंक 1-
ट्रैफिक सिग्नल सी ज़िन्दगी -निवेदिता श्रीवास्तव
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लिंक 2-
लोकतंत्र, मीडिया और मुसलमान-1 -एस.एन. शुक्ल
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लिंक 3-
दूसरे गोलमाल की तरह कोलमाल भी भूल जायेगी जनता -बेचैन आत्मा देवेन्द्र पाण्डेय
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लिंक 4-
माँ की पीर -मनीष सिंह निराला
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लिंक 5-
राम राम भाई! कानों में होने वाले रोग संक्रमण का समाधान भी है काइरोप्रेक्टिक में -वीरू भाई
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लिंक 6-
कुछ तो नाम चाहिए -अमृता तन्मय
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लिंक 7-
अमेरिका से भारत ऐक्टिंग करने भारत आईं दीप्ति नवल -माधवी शर्मा गुलेरी
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लिंक 8-
हिन्दी का सम्मान न काटो -नवीन मणि त्रिपाठी
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लिंक 9-
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लिंक 10-
सोनिया भी नहीं हटा पाएंगी मनमोहन को! -महेन्द्र श्रीवास्तव
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लिंक 11-
सन्तों की वाणी -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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लिंक 12-
छपास के भूखे हमारे मुखिया -दिव्या श्रीवास्तव ZEAL
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लिंक 13-
हिंसा माँगे दुष्कर्म अधिकार - सुज्ञ
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लिंक 14-
बुध ग्रह -पुरुषोत्तम पाण्डेय
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लिंक 15-
जाए न सरकार, दूर तक बड़ी चलेगी -दिनेश चन्द्र ‘रविकर’
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लिंक 16-
शाम के साये में -वाणी गीत
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लिंक 17-
अपनी-अपनी सोच -मीनाक्षी पन्त
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लिंक 18-
एक मुलाकात : अमृता प्रीतम -प्रेम सरोवर
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लिंक 19-
सूरज को क्या रोशनी दें -उदयवीर सिंह
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लिंक 20-
मेरे सपनो का भारत -राजेश कुमारी
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आज के लिए इतना ही, फिर मिलने तक नमस्कार!
उत्कृष्ट लिंक्स में शामिल करने के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंअच्छे और पठनीय लिंकों के साथ सार्थक चर्चा करने के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंएक से एक शानदार लिंक्स!! निरामिष पर शेयर विडियो को सामिल करने के लिए आभार!!
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चामंच सजाया है गाफिल जी ! मेरे आलेख को इसमें स्थान दिया आभारी हूँ !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सजा है मंच आज,
जवाब देंहटाएंलिंक्स संयोजन और प्रस्तुति दोनों लाजवाब
मुझे शामिल करने के लिए शुक्रिया
अन्य पठनीय विद्वजनों के साथ ट्रैफिक सिग्नल को स्थान देने के लिए आभार ....
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंदिल बाग बाग हो गया देख कर चर्चा मंच
हटाएंलगा चर्चा कहीं दिलबाग ने तो नहीं लगाई
गाफिल की ही हमेशा की तरह सुंदर चर्चा !
बहुत अच्छे लिन्क। मुझे कुछ प्रसिद्ध हिन्दी ब्लौगर मंचों के लिंक की आवश्यकता है जहां मैं अपना ब्लौग पंजिकृत कर सकूं, जिससे मेरी नयी रचना आप तक पहुंच सके। मेरा ब्लौग http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com Email: kuldeepsingpinku@gmail.com
जवाब देंहटाएंसादर निवेदन उन सब से जो यहां मेरा निवेदन पढ़े।
बेहतरीन चर्चा.....
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स...
सादर
अनु
उत्कृष्ट सूत्रों से सजा चर्चा मंच मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार गाफिल जी
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स...
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स से सजा आज का चर्चा मंच |
जवाब देंहटाएंआशा
bade achche links hain......
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया लिंक्स का संयोजन | सुंदर चर्चा |
जवाब देंहटाएंखूबसूरत चर्चा सुन्दर लिंक्स
जवाब देंहटाएंपांडे जी का स्पैम बोक्स टिपण्णी खोर है ,खा जाता है टिप्पणियाँ .इस आलेख पे यहाँ दोबारा टिपण्णी दे रहा हूँ .व्यंग्य विनोद और व्यंजना से भर पूर है यह आलेख .हाँ लोगों की याददाश्त छोटी होती है .मंत्री ने सच बोला और दुनिया उनके पीछे पड़ गई -स्साला मरवाएगा ,प्रजा तंत्र में सच बोलता है और वह भी मंत्री बनने के बाद गृह मंत्रालय की लुटिया डुब- वायेगा .पक्ष विपक्ष सब शिंदे की जाँ का प्यासा हो चला है .यह है प्यारे प्रजातंत्र सब कुछ बोल सच मत बोल .पांडे जी का आलेख खुश रहने के नुस्खे भी सिखाए है खुश रहना है तो घर में बीवी से डरके रहो ,कमसे कम डरने को अभिनय करना ही सीख लो .
जवाब देंहटाएं_______________
लिंक 3-
दूसरे गोलमाल की तरह कोलमाल भी भूल जायेगी जनता -बेचैन आत्मा देवेन्द्र पाण्डेय
कैग नहीं ये कागा है ,जिसके सिर पे बैठ गया ,वो अभागा है
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
जहां शब्द कोष के प्रष्ठों (पृष्ठों )से
जवाब देंहटाएंभ्रष्टाचार का नाम नदारद हो
उन्नत हिमालय की गरिमा बढे (बढ़े)
स्वस्थ पर्यावरण की धूप चढ़े
जहां मानव के स्वस्थ मस्तिष्क से
अपराध के मंसूबे गारत हों
जोश भरने वाली आदर्शों को निहारती रचना .
लिंक 20-
मेरे सपनो का भारत -राजेश कुमारी
कैग नहीं ये कागा है ,जिसके सिर पे बैठ गया ,वो अभागा है
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
हाँ ऐसी ही विस्फोटक स्थिति है देश की .बढ़िया रचना .
जवाब देंहटाएंलिंक 6-
कुछ तो नाम चाहिए -अमृता तन्मय
कैग नहीं ये कागा है ,जिसके सिर पे बैठ गया ,वो अभागा है
कैग नहीं ये कागा है ,जिसके सिर पे बैठ गया ,वो अभागा है
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
लो जी पुरुषोत्तम पांडे जी का स्पैम बोक्स भी तीन टिपण्णी खा गया .हम भी ढीठ पूरे हैं एक टिपण्णी और सही .
जवाब देंहटाएंबुद्ध ग्रह बढिया संस्मरण शैली में लिखी सुरुचि पूर्ण प्रस्तुति है .खुशवंत सिंह जी की याद ज़रूर आई लेकिन वह तो कब के स्टीरियोटाइप हो चलें हैं -एक ही अंदाज़ ,वह बहुत बिंदास लग रहीं थीं ,उनके सुर्ख ला ब्लाउज से उरोज उचक रहे थे .
पांडे जी एक दर्शन लेकर आये भारतीय महिला बुद्ध ग्रह की तरह होती है .बुद्ध सर्व-शुद्ध ,सबसे प्रदीप्त ,उत्तपत .एक बानगी देखिए -
जब बात बात में राधा से मैंने पूछा “राबर्ट का कल्चर, रहन सहन, खान-पान सब अलग होगा? क्या तुम उसके साथ खुश रहती हो?” उसने मुस्कुराते हुए बड़ी दार्शनिक बात कही, “बाबा, आप तो जानते ही हैं हम हिन्दुस्तानी औरतें ‘बुध ग्रह’ की तरह होती हैं, जिसका साथ मिलता है उसी की चाल पकड़ लेती हैं.”
कैग नहीं ये कागा है ,जिसके सिर पे बैठ गया ,वो अभागा है
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इसे कहतें हैं सीढ़ी सच्ची बात !दो टूक बे -लाग .वाल मार्ट का तो यहाँ अमरीका में भी विरोध हो रहा है .बेहतरीन आलेख दिव्या जी ने उपलब्ध करवाया है -शर्म इन चर्च के एजेंटों को बिलकुल भी नहीं आती .शर्मो हया खुद शर्मा गईं इन्हें देखके .कहाँ है अब वह कलावती की थाली उड़ाने वाला मंद बुद्धि राजकुमार .भावी प्रधान मंत्री .अब क्या होगा कलावती का .?
जवाब देंहटाएंलिंक 12-
छपास के भूखे हमारे मुखिया -दिव्या श्रीवास्तव ZEAL
हर किसी को चाहिए अब एक ट्रेफिक सिग्नल जहां गति को क्षणिक विराम लगे ,देख भाल के जाए किधर जाना है हर आदमी ....बढिया प्रस्तुति .ट्रैफिक सिग्नल सी ज़िन्दगी : सोमवारीय चर्चामंच-1005
जवाब देंहटाएंचर्चाकार की चर्चा न कि जाए ,जिसने ये सब सेतु दिखाए तो चर्चा पर टिपण्णी भी फलीभूत नहीं होगी .बेहतरीन चर्चा लाए गाफ़िल साहब .साथ में हमें पचाए .कैरोप्रेक्तिक लाये .
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पे मेरी रचना को लिंक देने हेतु
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका !
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