नया परिचय (पुत्र) WoRds UnSpoKeN !!
आज उठा तो दिल में एक दर्द सा महसूस किया . .
बड़े अरसों बाद मिले थे वो आज हमसे ख्याबों में . .
उन नजरों ने देखा हमें पलकें उठा के . .
हम आज तलक चल रहे लड़खड़ा के . . (पिता) भगवान् राम की सहोदरा (बहन) : भगवती शांता परम-4(II)रिस्य विविन्डक कर रहे, शोध कार्य संपन्न ।
विषय परा-विज्ञान मन, औषधि प्रजनन अन्न ।
विकट तपस्या त्याग तप, इन्द्रासन हिल जाय ।
तभी उर्वशी अप्सरा, ऋषि सम्मुख मुस्काय ।
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Asha Saxena
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ये मोहब्बत जो ना कराये थोडा
Sonal Rastogi
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~: कुछ हाइकु :~
Mukesh Kumar Sinha
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नपुंसकता
Dr.Ashutosh Mishra "Ashu"
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शेक्सपीयर का जुलियस सीज़र बनाम अन्ना और उनका पी आर
kanu.....
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गाँव : धूमिल
मनोज कुमार
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मेरा आकाश
मनोज कुमार
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चार रोटी का महत्व "Bas Yaari Rakho"
Bhagat Singh Panthi
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लेखन मौलिक होना चाहिए....साहित्य --लेखक व समाज -व्यक्ति का सम्बन्ध ....डा श्याम गुप्त .. |
शाम, श्याम ...
(दिगम्बर नासवा)
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दारू पियत में ...
mahendra mishra
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दोहे – हिन्दी
अरुण कुमार निगम
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दो गज़ल
ओम पुरोहित'कागद'
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.......... नकाब -- संजय भास्कर |
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"नेता सचमुच महान हैं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक)उच्चारण
बेटी है,
बँगला है,
खेती है,
सभी जगह
घोटाले
हैं,
कपड़े
उजले हैं,
दिल काले
हैं, |
मनमोहन की डायलोगबाजी. |
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गंगा-दामोदर ब्लॉगर्स एसोसियेशन
आज धनबाद के ब्लॉगर्स को माननीय देवेन्द्र गौतम जी का सानिध्य प्राप्त हुआ ।
इस गोष्ठी में गंगा-दामोदर ब्लॉगर्स एसोसियेशन की स्थापना की आवश्यकता महसूस की गयी । आपके विचार और सुझाव सादर आमंत्रित हैं ।
--------रविकर---------
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बहुत ही अच्छे लिंकस हैं अब एक एक पर जाकर देख रहा हूं पर आपको बधाई पहले ही
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंकों से सजी मनमोहक चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार रविकर जी!
कंटकाकीर्ण सकरी(संकरी ) पगडंडी......संकरी / उलझनो(उलझनों ) में फसता गया.....
जवाब देंहटाएंएक नक्सली /आतंकी की हताशा फलीभूत हुई है इस रचना में .हिंदी की बिंदी /चन्द्र बिंदु का अपना सौन्दर्य बोध है पटा नहीं क्यों अनुस्वार /अनुनासिक से लोग छिटक रहें हैं .
हम नव -मीडिया के पुरोधा हैं वर्तनी तो हमें सुधारनी ही होगी सम्पादक भी हैं न .सबका सहयोग अपेक्षित है .
बहुत बढ़िया रचना है आशा सक्सेना जी की .बधाई .
आंचलिक भाषा का मार्दव एवं सौन्दर्य लिए हुए है यह सहज रचना .बधाई .
जवाब देंहटाएंकथरी
देवेन्द्र पाण्डेय
बेचैन आत्मा
बढिया व्यंग्य विनोद वैसे बात वैसे ही जैसे कोई ये कहे बरसों की शोध से सिद्ध हुआ सैर करना सेहत के लिए अच्छा है .पैसे पेड़ पे न लगें देश के लिए यही अच्छा है .पेड़ को प्रजातंत्र की तरह जड़ से उखाड़ के ले जायेंगे लोग .
जवाब देंहटाएंram ram bhai
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मंगलवार, 25 सितम्बर 2012
आधे सच का आधा झूठ
आलिंगन आबध्द(आबद्ध ) युगुल(युगल ) तब
जवाब देंहटाएंप्रणय पाश में है बँध जाता,
बढ़िया प्रस्तुति ,समय ठहर उस क्षण है जाता
समय ठहर उस क्षण,है जाता,
dheerendra
जवाब देंहटाएंगुण से विहीन हैं
अवगुण की खान हैं..............अवगुण का पर्याय वाची अब कोयला हो गया
जेबों में रहते,
इनके भगवान हैं/इनकी दुनिया का
नया विज्ञान है
दिन में इन्सान हैं
रात को शैतान हैं.......दिन में माला जपत हैं ,रात हनत हैं गाय .... /न कोई धर्म है
न ही ईमान है
मुफ्त में करते
नही अहसान(एहसान ) हैं/....................इनके स्साले बहनोई और फूफा सब शैतान हैं .../देश का गिरवीं रखते ईमान है ...मेरे देश के नेता बड़े महान हैं .........नेता माने प्रेत ....कविता में मात्रा की छूट है भाई हो गया "प्रेता "...आजकल बहुत प्रखर(बहुत तेज़ ) आंच लिए आ रही है आपकी हर रचना .बधाई .
"नेता सचमुच महान हैं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक)
उच्चारण
रोटी है,
बेटी है,
बँगला है,
खेती है,
सभी जगह
घोटाले हैं,
कपड़े उजले हैं,
दिल काले हैं,
ram ram bhai
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मंगलवार, 25 सितम्बर 2012
आधे सच का आधा झूठ
कहां तक थामेंगे हाथ सफ़र-ए-ज़िन्दगी में ।
जवाब देंहटाएंवो जो उम्र का हर लम्हा आज जिए बैठै हैं ॥
वो क्योंकर आने लगे अब मेरे अलाव पर ।
जो अपने दामन में आफ़ताब लिए बैठै हैं ।
हर अश आर खूब सूरत काबिले दाद .मर्बेहया.
ram ram bhai
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मंगलवार, 25 सितम्बर 2012
आधे सच का आधा झूठ
http://veerubhai1947.blogspot.com/
कहां तक थामेंगे हाथ सफ़र-ए-ज़िन्दगी में ।
जवाब देंहटाएंवो जो उम्र का हर लम्हा आज जिए बैठै हैं ॥
वो क्योंकर आने लगे अब मेरे अलाव पर ।
जो अपने दामन में आफ़ताब लिए बैठै हैं ।
हर अश आर खूब सूरत काबिले दाद .मर्बेहया.
ram ram bhai
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मंगलवार, 25 सितम्बर 2012
आधे सच का आधा झूठ
http://veerubhai1947.blogspot.com/
हिंदी पखवाड़े में ,हिंदी के चौमासे में दोहों की बारिश .आनंद वर्षण कर दियो .मन हर्षायो .
जवाब देंहटाएंअरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)
TUESDAY, SEPTEMBER 25, 2012
दोहे – हिन्दी
[दोहा – प्रथम और तृतीय (विषम) चरणों में 13 मात्राएँ. द्वितीय और चतुर्थ (सम) चरणों में 11 मात्राएँ . प्रत्येक दल में 24 मात्राएँ. अंत में एक गुरु ,एक लघु.]
हर आदमी में होतें हैं दस बीस आदमी ,जिसे भी देखना दस बीस बार देखना .अब तो राजनीति में भी सिर्फ मुखोटे ही हैं बोले तो रोबोट .बढ़िया प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएं.... नकाब -- संजय भास्कर
संजय भास्करatआदत....मुस्कुराने की !
ये राजनीति
जवाब देंहटाएंकुल की अव -नीति
कर ले प्रीती .
मार दिया तुक्का हमने भी भाई .
बढ़िया हाइकु लाये हो .
,
ram ram bhai
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मंगलवार, 25 सितम्बर 2012
आधे सच का आधा झूठ
शाम
जवाब देंहटाएंश्याम
जप लो
नाम
बोल
राम
तू ही
धाम
सुर को
थाम
खोल
जाम
क्या है
काम
सुबहो शाम ,
कर सलाम
दिल को थाम,
बन गुलाम .
सुर को साध ,
कर प्रणाम .
बढ़िया बंदिश है भाई साहब .बधाई .एकाक्षरी पर कब आओगे .
,
ram ram bhai
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मंगलवार, 25 सितम्बर 2012
आधे सच का आधा झूठ
शाम, श्याम ...
(दिगम्बर नासवा)
स्वप्न मेरे................
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मूत और गोबर की सारी गंध उठाए
जवाब देंहटाएंहवा बैल के सूजे कंधे से टकराए
खाल उतारी हुई भेड़-सी
पसरी छाया नीम पेड़ की।
डॉय-डॉय करते डॉगर के सींगों में
आकाश फँसा है। उपकृत हुए आपने कवि धूमिल को सुनवाया -संसद से सड़क तक के रचनाकार से रु -बा -रु करवाया जिन्होनें तब कहा था -
गणतंत्री चूहे प्रजा तंत्र को कुतुर कुतुर (कुतर कुतर )के खा रहें हैं .........शुक्रिया ...
सफलता के लिये कोई लिफ्ट नही(नहीं ) जाती इसलिये सीढ़ियों से ही जाना पड़ेगा। सार्थक सन्देश रुकना नहीं बढ़ते जाना है .....हर बाधा से टकराना है .
जवाब देंहटाएं,
ram ram bhai
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मंगलवार, 25 सितम्बर 2012
आधे सच का आधा झूठ
,
बेहद उम्दा चर्चा .........मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार ....... रविकर जी!
जवाब देंहटाएंअत्यन्त पठनीय चर्चा..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स !
गंगा-दामोदर ब्लॉगर्स एसोसियेशन
जवाब देंहटाएंबधाई !
देवघर के सत्संग आश्रम में भगदड़, 9 की मौत
जवाब देंहटाएंभीड़ को नियंत्रित करने के साधन होने चाहिये
सरकार को बैरिकेडिंग रास्तों में करनी चाहिये
आने का एक अलग और जाने का एक अलग
रास्ता जरूर ऎसी जगहों पर बनाना चाहिये
आदमी को मरने से पहले बचाना चाहिये !
कथरी
जवाब देंहटाएंदेवेन्द्र पाण्डेय
बेचैन आत्मा
बहुत उम्दा रचना !
पेड़ पर नहीं उगते पैसे क्या ? उगते हैं, उगते हैं, उगते हैं
जवाब देंहटाएंनुक्कड़
समझ में आ गया जी
अब मैं भी पेड़ लगाउंगा
पैसे लगना शुरू हो गये हैं
किसी को नहीं बताउंगा
मन्मोहन को भी एक पत्ता
सबूत के तौर पर
तोड़ कर दे के आउंगा !
गाँठ पड़ना ठीक है !
जवाब देंहटाएंसंतोष त्रिवेदी
बैसवारी baiswari
बाँध ली मैने ये बात
आपकी गाँठ की तरह
गाँठ पड़ गयी अगर
खोलूंगा ही नहीं मगर
जुड़ा रहूँगा पास पास
दूर भी नहीं जाउंगा
और रहूंगा भी बेखबर !
बहुत सुन्दर चर्चा है काफी पढ़ने योग्य लिंक मिले.... समयचक्र के माध्यम से पंडितजी के लोकगीत को चर्चा में स्थान देने के लिए आभारी हूँ ...
जवाब देंहटाएं"नेता सचमुच महान हैं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक)
जवाब देंहटाएंउच्चारण
बहुत सुंदर !
कुछ भक्त चमचों के ये
खुद होते ये भगवान हैं
भक्त इनके और
ये भक्तों के करते
रहते गुणगान हैं !
.......... नकाब -- संजय भास्कर
जवाब देंहटाएंसंजय भास्करatआदत....मुस्कुराने की !
बहुत खूब जनाब
जरा इसे भी सुनिये आप
आप चेहरे पर कुछ
नकाब देख कर आये हैं
इसलिये इतना भड़भड़ाये हैं
यहाँ तो चेहरे मिलते ही नहीं
सबके चेहरे नकाब पे होते हैं
हम चेहरे हटा के धो लेते हैं
बेनकाब कोई नहीं होते हैं !
मेरा आकाश
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार
विचार
सुंदर रचना !
गाँव : धूमिल
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार
राजभाषा हिंदी
वाह !!
बहुत सुंदर !
नया परिचय
जवाब देंहटाएं(पुत्र)
बेतरतीब
WoRds UnSpoKeN
जेनेटिकैली सुंदर होना ही है !
पर रविकर को भी तो शुक्रिया कह लो जी !
टूटे- रिश्ते जोड़ती , गाँठ मिलाती योग
जवाब देंहटाएंभले काम के वास्ते ,इसका करें प्रयोग
इसका करें प्रयोग,आप हर गठबंधन में
सात उम्र का साथ, बाँधती प्रेमांगन में
जीवन के दिन चार, न कोई साथी छूटे
गाँठ मिलाती योग , जोड़ती रिश्ते टूटे ||
बहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंआप एग्रीगेटर की कमी नहीं खलने देते
जवाब देंहटाएंरोटी है,
जवाब देंहटाएंबेटी है,
बँगला है,
खेती है,
सभी जगह
घोटाले हैं,
कपड़े उजले हैं,
दिल काले हैं,... सुंदर और स्पस्ट
बढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंएक से बढकर एक लिंक्स
बढिया चर्चा.
जवाब देंहटाएंaabhar.
बढ़िया लिंक्स, अच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर कई लिंक्स पढने को मिलीं | मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार|
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुन्दर चर्चा बढ़िया सूत्र रविकर भाई बहुत बहुत बधाई आपको
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर चर्चा | मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार | बहुत ही उम्दा लिंक्स का संयोजन |
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय ।
जवाब देंहटाएंटूटे से फिर ना जूड़े, जूड़े गाँठ परि जाय ।।
----- ।। रहीम ।। -----
बहुत सुन्दर चर्चा बढ़िया सूत्र
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिये हादिक आभार,,,,,
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मेहनत आपकी और मीठा फल हम खातें हैं, धन्यवाद
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