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गुरुवार, सितंबर 06, 2012

"ज्ञान से बड़ी चाकरी" (चर्चा मंच-994)

मित्रों!
      बृहस्पतिवार की चर्चा आदरणीय दिलबाग विर्क जी को लगानी थी मगर उन्हें कुछ अपरिहार्य काम आड़े आ गया इसलिए चर्चा मुझे ही लगानी पड़ रही है।

दोहे "शिक्षक दिवस"
सर्वपल्ली को आज हम, करते नमन हजार।
जिसने शिक्षक दिन दिया, भारत को उपहार।।
      सबसे पहले देखिए जीवन पर लिखे गये कुछ हाइकु(१) रात का दर्द समझा है किसने देखी है ओस? (२) दिल का दर्द दबाया था बहुत छलकी आँखें. (३) जीवन राह बहुत है कठिन जीना फिर भी. (४) जाता है राही वहीं रहती राह सहती दर्द....आदरणीय डॉ. पवन कुमार मिश्र जी सुना रहे हैं- एक शिक्षक दास्तान बनाम शिक्षा व्यवस्था की पोल. गर्त मे गयी शिक्षा और टीचर बना फटीचर्...! गीता पंडित जी अपने  आलेख  के माध्यम से कह रही हैं- ' शिक्षक एक कुम्हार '...! कुछ रिश्‍तों में कुछ भी तय नहीं होता फिर भी वे समर्पित होते हैं एक दूसरे के लिए बिना कुछ पाने या खोने की अभिलाषा लिए ...  कुछ रिश्‍ते .. रूहानी होते हैं जिनकी हर बात साझा होती है ....! उसकी पोस्ट पर एक लाईक उनकी पर दो उनकी पर तीन उनकी पर पांच और तुम्हारे पर एक भी नहीं ?? क्या समझूं मैं ? तुम बकवास लिखते हो ! एक भी लाईक नहीं है तुम्हारे आलेखों पर ! नहीं पढूंगी तुम्हारी पोस्टों को ..हमारे मिथिलांचल में एक कहावत प्रचलित है, “नहि वो देवी आ नहिये वो कराह !” वही बात सब जगह है। अपने संस्कृति प्रधान देश में कितनी ऐसी सुप्रथा थीं जिस पर सहज गर्व हो।  स्मृति शिखर से – 22 : तस्मै श्री गुरुवे नमः ! शब्दों की यात्रा में सिर्फ एहसासों का आदान प्रदान नहीं होता रास्तों के नुकीले पत्थर भी चुभते हैं ठेस लगती है पर बंधु - यह यात्रा आत्मा परमात्मा के दोराहों को एक करती है ...परिस्थितियों का क्षोभ ना हो तो सीखना मुमकिन नहीं ! शिक्षक दिवस की आप सभी को हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें शिक्षक दिवस के अवसर पर समस्त गुरुजनों का हार्दिक अभिनन्दन एवं नमन...गुरु की महिमा क्या कहूँ, शब्दों से न कह पाते हैं; इत्र ज्यों तन को महकाए, ये जीवन महका जाते हैं| जीने का ढंग बतलाते हैं, पाठ कई सिखला जाते हैं; अर्थ जीवन का भी बताते, रंग कितने हैं समझा जाते हैं ...! मुद्रा से है ज्ञान, ज्ञान से बड़ी चाकरी  माता ने बंधवा दिया, इक गंडा-ताबीज | डंडे के आगे मगर, हुई फेल तदबीज | हुई फेल तदबीज, लुकाये गुरु के डंडे | पड़े पीठ पर रोज, व्यर्थ सारे हतकंडे | रविकर जाए चेत, पाठ नित पढ़ कर आता | अक्षरश:दे सुना, याद कर भारति...!
        इन्तज़ार..........एक आहट का ! इन्तज़ार है मुझे उस आहट का जो होगी तेरे क़दमों की लड़खड़ाते हुए बढ़ेंगे जो मेरी ओर और मैं थाम लूँगी तुझे गिरने के डर से... देखती रहती हूँ तुझे लेटे हुए उस पालने में और सोचती हूँ कि कब होगी तू आज़ाद....! अज्ञात की श्रेणी मे हूँ ……क्या ढूँढ सकोगे मुझे?  मै कोई दरो-दीवार नही कोई इश्तिहार नही कोई कागज़ की नाव नहीं ना अन्दर ना बाहर कोई नही हूँ कोई पता नहीं कोई दफ़्तर नही कोई सूचना नहीं कोई रपट नहीं ऐसा किरदार हूँ ...! चार्वाक बकबास क्यों है ? ब्लागिंग शुरू करते समय ऐसा ही एक और किन्हीं संजय ग्रोबर का - नास्तिकों का ब्लाग.. नाम से ब्लाग मेरे सामने आया था । वह भी चार्वाक और लोकायत दर्शन की माला जपता था । जिस पर किसी भले आदमी ने टिप्पणी की थी....! आवारा ख्याल एक छत मय्सर है चाँद तारों की और न जाने उस ताने हुए शामियाने तले कितनी और ईंटगारों का शमियाना तानते हुए उन्हें नाम कई छतों का दे डाला उस इंसान ने जो खुद एक छत की तलाश में भटकता रहा....! धधके अंतर आग, लुटाते लंठ खदाने..   *जीवन शैली में बदलाव ,जोखिम क्या हैं इस बीमारी के इसकी समझ रखिये और खून में शक्कर की निगहबानी कीजिए , फिर मजे से रहिए मधु- मेह के साथ .....जीवन शैली रोग मधुमेह २ में खानपान ,जोखिम और ....वहां इतनी मायूसी और खदबदाहट भरी खामोशी थी कि क़ब्रगाह भी उस जगह से बेहतर ही होती होगी. शीशियाँ,गोलियां,सैंपल्स, तरह -तरह के नए-नए  औज़ार और लम्बे चेहरे वाले उदास लोग वहां की ज़रूरी चीज़ें थे... एट्टी/सिक्सटी पर तितली का नाच...! आमजनों के शुभचिंतक का, दिल्ली में तकरार देखिये लेकिन सच कि अपना अपना, करते हैं व्यापार देखिये होड़ मची बस दिखलाने की, है कमीज मेरी उजली पर मुश्किल कि समझ रहे सब, है कुर्सी की मार देखिये..ये कैसी सरकार देखिये...!
        एक बेटी के मन की आवाज माँ के लिए माँ थारी लाडी नै, तूं लागै घणी प्यारी | सगळा रिश्तां में, माँ तूं है सै सूं न्यारी निरवाळी || नौ महीना गरभ मै राखी, सही घणी तूं पीड़ा | ना आबा द्यूं अब, कोई दुखड़ा थार...माँ थारी लाडी नै, तूं लागै घणी प्यारी...! वो दूर से भागता हुआ आया था इतनी सुबह...शायर कि भाषा में अल सुबह और गर मैं कहूँ तो कहूँगा सुबह तो इसे क्या..क्यूँकि अभी तो रात की गिरी ओस मिली भी नहीं थी उस उगने को तैयार होते सूरज की किरणों से...विलिन हो...तारीखें क्या थीं.....चलो!!! तुम बताओ!! मेरे शिक्षक भी मेरी शिक्षा के अनुसार मिलते रहे और सिखाते रहे लेकिन वो जो जीवन के उस पक्ष में मिले जब कि सीखने के साथ साथ उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से जीवन के कुछ ऐसे मंत्र भी सिखाये जो जीवन को सही रूप में...मेरे शिक्षक को शत शत नमन ! यह वही जीवन शैली रोग है जिससे दो करोड़ अठावन लाख अमरीकी ग्रस्त हैं और भारत जिसकी मान्यता प्राप्त राजधानी बना हुआ है और जिसमें आपके रक्तप्रवाह में ब्लड ग्लूकोस ... जीवन शैली रोग मधुमेह :बुनियादी बातें...! पुराने समय मे हर बच्चा गुरुकुल जाता था, २५ वर्षों तक हर प्रकार की विद्द्यायें सीखता था जिससे उसका जीवन सुखमय बन सके. वेद सीखता था जिससे धर्म के राह मे चलने की ललक पैदा होती थी...शिक्षा का स्वरुप और शिक्षक का योगदान...! जब भी तेरी याद आती है, लबों पे मुस्कान थिरक जाती है, पता नहीं वो कौन सी डोर है, जो मुझे तुझसे बांध जाती है | नजाने अनजाने होकर भी, क्यों लगते हो मुझे अपनों से...उलझनें...! टैक्सी ड्राईवर ने स्टेशन के सामने जाकर गाड़ी पार्क कर दी । साहब ने गाड़ी का मीटर देखा और ड्राईवर पर चिल्लाने लगे तुम लोग हेरा फेरी करे बिना नहीं मानते इतना मीटर कैसे आ सकता हैं । ड्राईवर ने मुस्करा कर कहe...कैसे कैसे लोग........"मैंने कहा था" उसकी जिंदगी का हिस्सा है ज़िन्दगी में मौजूद हर शख्स बस ये तीन लफ्ज़ बोलकर अपनी हर चिंता से मुक्त हो जाता है या स्वयं को शासक और उसे सेवक की जगह खड़ा कर देता है..."मैंने कहा था"....! नहीं कोई ठाँव सा .... काग़ज़ की नाव सा ... बहता हूँ जीवन की नदिया में ... शनै: शनै: डूबता हुआ .... क्षणभंगुर जीवन ... किंकर क्षणों मे ही ... आकण्ठ डूब जाऊँगा ... अब तुम पर .. सब तुम पर है .. पार लगाओ ...! कब तक तुम अपने अस्तित्व को पिता या भाई पति या पुत्र के साँचे में ढालने के लिये काटती छाँटती और तराशती रहोगी ? तुम मोम की गुड़िया तो नहीं ...अब तो जागो...! मनोज पान्डे की अपील लम्पट और नक्कालों से सावधान सुनने में आ रहा है कि वटवृक्ष के ब्लोगर दशक विशेषांक की अपार सफलता को देखकर कुछ नक्कालों ने वटवृक्ष की सारी सामग्रियों को हूँ ब हूँ छपवाकर बेचने की तैयारी ...बुरे लोग भी ब्लोगिंग में हैं , सावधान...! *माता पिता समाज परिवेश घर गाँव शहर देश पता नहीं यहाँ तक आते आते किसने क्या क्या **पढा़या शिक्षक दिवस पर आज अपने गुरुजनों के साथ साथ हर वो शख्स मुझे याद आया जिसने...उल्लूक टाईम्स का शिक्षक दिवस...! १.जब-जब--- रूठी हूं---तुमसे सो बार मरी हूं, मैं हर मौत को ओढ,कफ़न सा अर्थी सी, उठ गई हूं,मैं २.देखो---- हर ओर,इठलाती सी छिटकन,बिछड्न की ...कुछ अहसास—सुनामी से---जब भी कोई राजनेता ---"देश को खा नहीं पायेंगे तो बिखेर ही देंगे " के हथकंडे अपनाता है तो अंत में आरक्षण का दांव अजमाता है. मोरारजी के प्रधानमन्त्रित्व काल मे... आरक्षण भारतीय राजनीति के इतिहास का उपहास है...! डॉ. अनवर ज़माल की...शिक्षक दिवस पर विशेष भेंट...! शिक्षक दिवस पर प्रश्न उठती कुछ क्षणिकाएं * * * *१. * *मिलती है शिक्षा * *शक्ति से, * *भक्ति से नहीं * *आपने बहुत पहले * *स्थापित कर दिया था* *आज भी है **जारी ** * ** * * * * *२.* *शिक्षा पर* *सबका * *एक सा ...द्रोण...! 

मेरे ब्लोगिंग गुरु

और अन्त में देखिए ये दो कार्टून!

57 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे ब्लोगिंग गुरु:

    खुश रहें आगे बढे़
    छू लें एक नया आकाश
    बना रहे आप के सर
    पर ऎसे गुरुओं का
    आशीर्वाद !

    जवाब देंहटाएं
  2. कार्टून कुछ बोलता है
    कोलमाल है भई सब कोलमाल है !

    क्या कोल है दे रहा माल ही माल है
    सब सही है कहीं नहीं कुछ गोलमाल है !

    जवाब देंहटाएं
  3. कार्टून :- ना, नहीं दूँगा..

    इस्तीफा कैसे दे देंगे भाई
    हमें मम्मी से मार नहीं खानी है!

    जवाब देंहटाएं
  4. ...द्रोण...!

    वाह !
    शक्ति अधिकार और समता
    पढा़ये तो जाते हैं
    जिसकी समझ में आ गये
    काम में भी लाये जाते हैं
    जो काम में ले आते हैं
    कक्षा में नहीं जाते हैं
    संसद में देखिये जरा
    बहुतायत में पाये जाते हैं !

    जवाब देंहटाएं
  5. आरक्षण भारतीय राजनीति के इतिहास का उपहास है...!

    आम आदमी के सोचने के विषयों पर भी आरक्षण है। कुछ विषय संसद के अंदर खेलने के लिये रह गये हैं !

    जवाब देंहटाएं
  6. ...कुछ अहसास—सुनामी से---

    बहुत सुंदर !

    चिंगारी चटकाती है
    अपनी इच्छा से
    नहीं जलाती
    लकड़ी को भी
    लोहे को गलाती है
    जब उसके मन
    आती है !

    जवाब देंहटाएं
  7. ...बुरे लोग भी ब्लोगिंग में हैं , सावधान...

    बुरे लोगों से नहीं जमाना अच्छे लोगों से सावधान रहने का है !

    जवाब देंहटाएं
  8. ..अब तो जागो...!

    बहुत सुंदर !

    उड़कर जब तक नहीं
    देखोगी आसमान में स्वछंद
    कैसे जान पाओगी
    आसमान और भी है
    और रास्ते भी
    कहीं नहीं हैं बंद !

    जवाब देंहटाएं
  9. ... काग़ज़ की नाव सा ..

    बहुत खूब !

    हर क्षण गुँजाइश
    रहती है कहीं
    जीवन संवरता
    भी है और
    सुधरता भी
    है तो
    केवल यहीं !

    जवाब देंहटाएं
  10. शुभप्रभात !
    थोड़ी सी हड़बड़ी में गड़बड़ी ............... ??

    जवाब देंहटाएं
  11. ."मैंने कहा था

    बहुत सुंदर !

    मैने कहा था
    रोज ही कहता हूँ
    उसने कहा था
    कहाँ सुनता हूँ
    मैं इसलिये कुछ
    कहाँ लिख पाता हूँ
    वो सब कुछ
    लिख भी दे
    तब भी नहीं
    समझ पाता हूँ !

    जवाब देंहटाएं
  12. बेहतरीन प्रस्तुति सुन्दर अन्दाज । आभार शास्त्री जी

    जवाब देंहटाएं
  13. .कैसे कैसे लोग.......

    अपने अंदर हो
    अगर चोर
    जमाना अपना ही
    नजर आता है
    फिर तो जो चोरी
    नहीं करता
    सबसे कमजोर
    हो जाता है !

    जवाब देंहटाएं
  14. ...उलझनें...!

    बहुत सुंदर !

    प्यार होता है तो प्रश्न आते हैं
    धीरे धीरे सुलझ भी जाते है
    शादी कर ले कोई उसके बाद
    फिर से उलझना शुरू हो जाते हैं !

    जवाब देंहटाएं
  15. ..शिक्षा का स्वरुप और शिक्षक का योगदान...!
    सही है
    और भी है बहुत कुछ :

    जो गुरु शिक्षा की बात करता है
    उसका कौन मान करता है
    किसी पार्टी या संघ से अगर
    कोई नाता नहीं रखता है
    ऎसे गुरु को छात्र ठेंगे में रखता है !

    जवाब देंहटाएं
  16. .मेरे शिक्षक को शत शत नमन !

    सौभाग्यशाली हैं आप !

    जवाब देंहटाएं
  17. सेकुलर सेकुलर भजतें हैं सब ,है कैसा उन्माद देखिये,
    आरक्षण सब खेल खेलते वोटों का अंजाम देखिए .
    रवानी लिए हुए है यह गजल आपकी पढने वाला भी कुछ पढ़ते पढ़ते घसीट जाए .बहुत शानदार व्यंजना है कुर्सी राज की .कुर्सी प्रधान देश की .
    आमजनों के शुभचिंतक का, दिल्ली में तकरार देखिये लेकिन सच कि अपना अपना, करते हैं व्यापार देखिये होड़ मची बस दिखलाने की, है कमीज मेरी उजली पर मुश्किल कि समझ रहे सब, है कुर्सी की मार देखिये..ये कैसी सरकार देखिये...!

    जवाब देंहटाएं
  18. जो कुछ भी सिखाये वह उस क्षण गुरु ही है हमारा . यह शिष्य भाव ताउम्र बना रहे ,आदमी तरक्की करता रहे .

    मेरे ब्लोगिंग गुरु
    बृहस्पतिवार, 6 सितम्बर 2012
    नारी शक्ति :भर लो झोली सम्पूरण से
    नारी शक्ति :भर लो झोली सम्पूरण से

    आधी दुनिया के लिए सम्पूरण -पूरी तरह स्वस्थ रहे आधी दुनिया इसके लिए ज़रूरी है देहयष्टि की बस थोड़ी ज्यादा निगरानी ,रखरखाव की ओर थोड़ा सा ध्यान और .बस पुष्टिकर तत्वों को नजर अंदाज़ न करें .सुखी स्वस्थ परिवार के लिए इन खुराकी सम्पूरकों पर थोड़ा गौर कर लें:

    जवाब देंहटाएं
  19. बेहतरीन लिनक्स मिले हैं पढने को ! आभार शास्त्री जी !

    एक नज़र इधर भी --" दशक का ब्लॉगर"

    http://zealzen.blogspot.in/2012/09/blog-post_6.html

    Happy teachers' day.

    .

    जवाब देंहटाएं
  20. ऑक्सीजन पर चलती इस सरकार का अब और कुछ बिगड़ना तो है नहीं जाते जाते अपनी जात दिखा रही है यह रिमोटिया सरकार .जब भी कोई राजनेता ---"देश को खा नहीं पायेंगे तो बिखेर ही देंगे " के हथकंडे अपनाता है तो अंत में आरक्षण का दांव अजमाता है. मोरारजी के प्रधानमन्त्रित्व काल मे... आरक्षण भारतीय राजनीति के इतिहास का उपहास है..

    बृहस्पतिवार, 6 सितम्बर 2012
    नारी शक्ति :भर लो झोली सम्पूरण से
    नारी शक्ति :भर लो झोली सम्पूरण से

    आधी दुनिया के लिए सम्पूरण -पूरी तरह स्वस्थ रहे आधी दुनिया इसके लिए ज़रूरी है देहयष्टि की बस थोड़ी ज्यादा निगरानी ,रखरखाव की ओर थोड़ा सा ध्यान और .बस पुष्टिकर तत्वों को नजर अंदाज़ न करें .सुखी स्वस्थ परिवार के लिए इन खुराकी सम्पूरकों पर थोड़ा गौर कर लें:

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  21. shubhprabhat ...Bahut abhar Shastri ji behtareen charcha me meri rachna ko bhi sthan dene ke liye ...!!

    जवाब देंहटाएं
  22. २.
    शिक्षा पर
    सबका
    एक सा अधिकार
    है नहीं,
    नहीं तो
    एकलव्य भी होता
    अर्जुन की कक्षा में .....आरक्षण से होता गर लोगों का बेड़ा पार तो लोग कहीं के कहीं होते लेकिन लोग वहीँ के वहीँ हैं.बहुत सशक्त विचार कणिकाएं हैं हमारे वक्त का आइना हैं .

    बृहस्पतिवार, 6 सितम्बर 2012
    नारी शक्ति :भर लो झोली सम्पूरण से

    जवाब देंहटाएं
  23. बहुत सुन्दर एवं पठनीय सूत्रों से सुसज्जित है आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को भी इसमें स्थान दिया, आभारी हूँ !

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  24. पीड़ा का भी साधारणीकरण कर दिया है आपने -सौ बार अगर तुम रूठ गए हम तुमको मना ही लेते थे ,एक बार अगर हम रूठ गए तुम हमको मनाना क्या जानो ..... १.जब-जब--- रूठी हूं---तुमसे सो बार मरी हूं, मैं हर मौत को ओढ,कफ़न सा अर्थी सी, उठ गई हूं,मैं २.देखो---- हर ओर,इठलाती सी छिटकन,बिछड्न की ...कुछ अहसास—सुनामी से---!
    बृहस्पतिवार, 6 सितम्बर 2012
    नारी शक्ति :भर लो झोली सम्पूरण से

    जवाब देंहटाएं
  25. बेहतरीन पठनीय सूत्र मिले हैं पढने को ! आभार शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं
  26. हम सब उत्पाद हैं शिक्षा के ,शिक्षक के ,जैसा बोया वैसा पाया ......
    बृहस्पतिवार, 6 सितम्बर 2012
    नारी शक्ति :भर लो झोली सम्पूरण से

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  27. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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    उत्तर
    1. इटेलियन सैलून में, कटा सिंह नाखून ।

      भारी भोलापन पड़ा, लगा देश को चून ।

      लगा देश को चून, नून जख्मों पर छिड़का ।

      करते गंडा-गोल, तभी जी डी पी लुढका ।

      है दैनिक विज्ञप्ति, आज भी सहें इंडियन ।

      किया पुन: ब्रेक-फास्ट , पीजा मिला इटेलियन ।।

      हटाएं
  28. उन सभी शिक्षकों को नमन जिनकी वजह से मैं आज मैं हूँ .उन गुरु समान दोस्तों को नमन जो मेरे वागीश हैं .बढ़िया पोस्ट .कोशिश यही रही मैं अपने शिक्षकों सा कुछ तो बनूँ ,शतांश ही सही ,,,,,,मेरे शिक्षक भी मेरी शिक्षा के अनुसार मिलते रहे और सिखाते रहे लेकिन वो जो जीवन के उस पक्ष में मिले जब कि सीखने के साथ साथ उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से जीवन के कुछ ऐसे मंत्र भी सिखाये जो जीवन को सही रूप में...मेरे शिक्षक को शत शत नमन
    बृहस्पतिवार, 6 सितम्बर 2012
    नारी शक्ति :भर लो झोली सम्पूरण से

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  29. कार्टून कुछ बोलता है
    कोलमाल है भई सब कोलमाल है !

    दाने दाने को दिखा, कोयलांचल मुहताज ।
    दान दून दे दनादन, दमके दिल्ली राज ।
    दमके दिल्ली राज, घुटे ही करें घुटाला ।
    बाशिंदों पर गाज, किसी ने नहीं सँभाला ।
    नक्सल भी नाराज, विषैला धुवाँ मुहाने ।
    धधके अंतर आग, लुटाते लंठ खदाने ।।

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  30. एक गुरु अफज़ल भी तो हैं अफज़ल गुरु साहब ,सेकुलरों के चहेते मन प्राण ,और जेहादी गुरु और भी तो हैं .एक से एक गुरु हैं आज ,अब ये आप पर है ,चयन करता आप हैं .जैसा गुरु वैसा चेला ...दशम गुरु हैं सिखों के ...सीखने वाला चाहिए जो अच्छी सीख दे वही गुरु ,जो आगे बढाए जीवन में वही गुरु ...पुराने समय मे हर बच्चा गुरुकुल जाता था, २५ वर्षों तक हर प्रकार की विद्द्यायें सीखता था जिससे उसका जीवन सुखमय बन सके. वेद सीखता था जिससे धर्म के राह मे चलने की ललक पैदा होती थी...शिक्षा का स्वरुप और शिक्षक का योगदान...!.
    नारी शक्ति :भर लो झोली सम्पूरण से

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  31. Zeal par

    आकाओं से दोस्ती, काकाओं का नाम |
    बाँकी काकी ढूँढ़ के, पहुँचाना पैगाम |
    पहुँचाना पैगाम, राम का नाम पुकारो |
    जाओ ब्लॉगर धाम, चरण चुम्बन कर यारो |
    पायेगा पच्चास, मगर बचना घावों से |
    रविकर पाए पांच, कुटटियां आकाओं से |


    प्रश्न: अंतिम पंक्ति में - कुटटियां के समान वजन वाले ५ शब्द बताएं -
    और एक उपयुक्त चुन लें |

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  32. आभार शास्त्री जी इस शानदार प्रस्तुति हेतु !
    रबिकर जी के सवाल का संभावित जबाब ; अनबन, खटपट, कलह, बिगाड़, निस्तब्ध

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  33. बुतपरस्ती के दौर मे जिन्दा कौमो की बात करना फिजूल है. आदरणीय शास्त्री जी आभार आपका मुझे जगह देने के लिये.

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  34. गुरूजी आपने बहुत सुन्दर चर्चा की है ... वंदन अभिनंदन

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  35. सभी बेहतरीन सूत्र मिले हैं मंच पर हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  36. सुन्दर सूत्र....रोचक प्रस्तुति..आभार

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  37. The post is handsomely written. I have bookmarked you for keeping abreast with your new posts.

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  38. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स लिये बेहतरीन प्रस्‍तुति।

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  39. आपको अचानक में भी बढिया लिंक लगाये हैं

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  40. आदरणीय शास्त्री जी | मेरी दो रचनाओं को जगह देने के लिए बहुत बहुत आभार | ब्लोगिंग एवं काव्य लेखन में मैंने बहुत लोगों से बहुत कुछ सिखा है | सभी को मेरा शत शत नमन और देर से ही सही, शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनायें |

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  41. आदरणीया विभारानी श्रीवास्तव चर्चा मंच की 900वीं समर्थक के रूप में जुड़ी हैं।
    चर्चा मंच आपका स्वागत और अभिनन्दन करता है!

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  42. दोहे "शिक्षक दिवस"
    बहुत सुंदर !!

    विचार कर रहा हूँ
    सुधर जाऊँ
    किधर जाऊँ
    इधर जाऊँ
    या ऊधर जाऊँ ?

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  43. हाइकु!

    बहुत सूंदर
    लिखे हैं
    तोड़ तोड़ !

    जवाब देंहटाएं
  44. एक शिक्षक दास्तान बनाम शिक्षा व्यवस्था की पोल. गर्त मे गयी शिक्षा और टीचर बना फटीचर्...

    अपना खुद घड़ा बनना चाह रहा है
    अब ना खुद को गड़ रहा है ना उसे !

    जवाब देंहटाएं
  45. आलेख

    हर शाख पर टीचर बैठा है
    उल्लू अब यहाँ नहीं रहता है !

    जवाब देंहटाएं
  46. भाई साहब यह जीवन खुद एक पाठशाला है हम रोज़ कुछ न कुछ नया सीखतें हैं या सिखा जाता हरेक दिन नया कुछ न कुछ बस आँखें खुली हों ,तटस्थ भाव लिए ,साक्षी बने रहें हैं हम घटनाओं और पात्रों के ,एक बहुत ही बढ़िया आलेख में वर्तनी की अशुद्धियाँ अखरतीं हैं ,कुछ कसूर कंप्यूटर का भी रहता है टंकड़ का भी ,कम्प्यूटरी शब्द कोष की सीमाओं का भी .कृपया अनुनासिक /अनुस्वार /नेज़ल शब्दों पर ध्यान दें यथा - 40 वर्ष एक आदर्श शिक्षक के रूप मे (मैं ) व्यतीत किए. उनमे एक महान आदर्श शिक्षक के सारे गुण मौजूद थे . अन्यत्र भी" मे"
    चला आया है में के स्थान पर .


    उन्होंने अपना जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप" मे "मनाने की इच्छा व्यक्त की थी

    एक बार ब्रिटेन के एडिनबरा विश्वविद्यालय "मे"(में) भाषण देते हुए डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने कहा था कि मानव को एक होना चाहिए .मानव इतिहास का संपूर्ण लक्ष्य मानव जाति की मुक्ति है जब "देशो" (देशों )की" नीतियो "(नीतियों )का आधार विश्व शांति की स्थापना का प्रयत्न करना हो.

    सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी : शिक्षक दिवस ५ सितम्बर ...

    ram ram bhai
    बृहस्पतिवार, 6 सितम्बर 2012
    नारी शक्ति :भर लो झोली सम्पूरण से

    जवाब देंहटाएं

  47. दोहे "शिक्षक दिवस"
    सर्वपल्ली को आज हम, करते नमन हजार।
    जिसने शिक्षक दिन दिया, भारत को उपहार।।

    अध्यापकदिन पर सभी, गुरुवर करें विचार।
    बन्द करें अपने यहाँ, ट्यूशन का व्यापार।।
    बढ़िया रचना मौजू ,एक दम से ,समय की पुकार .कर लो सब स्वीकार भाई ,कर लो सब स्वीकार ...
    बृहस्पतिवार, 6 सितम्बर 2012
    नारी शक्ति :भर लो झोली सम्पूरण से

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  48. कुछ रिश्‍ते ..
    बहुत खूब
    जहाँ तय होता है
    वहाँ बाजार होता है
    रिश्ता खरीदने को
    कोई तैयार होता है
    जहाँ तय नहीं होता
    वहाँ जरूर कुछ होता है
    वो क्या होता है
    पर रिश्ता नहीं होता है !

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  49. सुन्दर चर्चा , हमेशा की तरह , मेरी रचना ".शिक्षा का स्वरुप और शिक्षक का योगदान" शामिल करने के लिए आभार ...

    सादर

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  50. नहीं पढूंगी तुम्हारी पोस्टों को ..!

    बिल्कुल नहीं पढ़ना चाहिये
    कमेंट और लाईक को
    जरूर गिनना चाहिये
    आदमी का फोटौ दिख
    जाये अगर लगा हुआ
    तुरंत आगे को बढ़ना चाहिये !

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