फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, सितंबर 11, 2012

मंगलवारीय चर्चा-मंच -- 999 कालसर्प योग कब जाएगा भारत का?


आज की मंगलवारीय चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते आप सब का दिन मंगल मय हो  
अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लोग्स पर  
--------------------------------------------------------------------------


                                                                                                (2)आधा सच...
                                                                                                         (3)
  (4)                                                                                      DEKHIYE EK NAJAR IDHAR BHI                                                                                     हकीकत से आँखें मूंद के जीना नासमझी नहीं - *ना पूछ 
(5)

(6)


(7)
(8)
(9)
नज़रिया - नज़रिया बादल 
(10)
(11)
                                                                                                         वटवृक्ष
(12)
(13)
                                            (14)
                                               उड़न तश्तरी ....
                                         मुझे उस पेड़ का दर्द मालूम
                                          (15)
                          पार्टी प्रवक्ता पार्टी प्रवक्ता जब 

              (16)

           (17)

(18)

फिर मंदिर ? - लाल कृष्ण आडवानी जी फिर मंदिर के

(19)
 (प्रवीण पाण्डेय) at न दैन्यं न पलायनम् 


बस दोस्तों आज के लिए इतना ही थोड़ी व्यस्तता के कारण  सूत्र कम लगा पाई क्षमा करना। अगले मंगलवार फिर मिलूंगी तब तक के लिए शुभ् विदा *********************************************************************                                            

46 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति । बेहतरीन पठनीय सूत्र ।
    आभार राज्जेश जी

    जवाब देंहटाएं
  2. पुस्तक का विमोचन (पूर्व मुख्य मंत्री उत्तराखंड)बी सी खंडूरी जी के करकमलों द्वारा सफलता पूर्वक संपन्न हुआ .

    Mubarak ho apko.

    जवाब देंहटाएं

  3. कवि धूमल ने बहुत पहले कहा था -गणतंत्री चूहे प्रजातंत्र को कुतर कुतर के खा रहें हैं .कौन सी संसद की बात कर रहें हैं आप जो आपातकाल पहले घोषित करती है राष्ट्रपति के दस्तखत अगले दिन करवाती है अध्यादेश पे .आज गरिमा बची कहाँ है इस देश में इस सरकार में जिसे पूडल चला रहें हैं सोनियावी पूडल .वो वाघा चौकी पे मोमबत्तियां जलाने वाले हिन्दू देवी देवताओं की नग्न तस्वीर बनाने वालों की हिमायत में निकल खुद को सेकुलर कहल वातें हैं .गणेश के चित्र तो जूते चप्पलों बीडी के बंडल पे छपते हैं हमारा देश कब से इतना असहिष्णु हो गया प्रतीकात्मक कार्टूनों को देख के फट गई .क्या कर लेंगे असीम का आप जैसे लेफ्टिए और उनके शुभ चिन्तक .उसने कोई ऐसा अप कर्म नहीं किया जिससे लोग शर्मिंदा हों .
    ram ram bhai
    सोमवार, 10 सितम्बर 2012
    आलमी हो गई है रहीमा शेख की तपेदिक व्यथा -कथा (आखिरी से पहली किस्त )

    जवाब देंहटाएं
  4. हुश हुश करती है ,बैठके संसद में ,
    कुत्ते लडवाती है संसद में .
    ram ram bhai

    जवाब देंहटाएं
  5. बेघर हूँ सब कुछ, लुटाया हुआ हूँ,
    अपने ही दिल का, सताया हुआ हूँ,

    घर से मेरे रौशनी, खो गई है,
    जलता दीपक, बुझाया हुआ हूँ,

    बूंदों की मुझको, जरुरत नहीं है,
    अश्कों का सागर, उठाया हुआ हूँ,

    काटों से मुझको, मुहब्बत हुई है,
    फूलों को दुश्मन, बनाया हुआ हूँ,

    अब तो तेरी, दिल्लगी जिंदगी है,
    यादों में जी भर, नहाया हुआ हूँ,

    चाहा है तुझको, हदों की हदों तक,
    रब से भी आगे, बिठाया हुआ हूँ,

    तेरे वास्ते है दुआ, भी दवा भी,
    मैं गम का मरहम, लगाया हुआ हूँ.
    मेरा मौन भी है ये तेरी अमानत ,
    मैं मोहन से मौन सिंह बनाया हुआ हूँ .क्या गजब लिखते भो यार राजनीति पे लिखो तो छा जाओ .
    ram ram bhai
    सोमवार, 10 सितम्बर 2012
    आलमी हो गई है रहीमा शेख की तपेदिक व्यथा -कथा (आखिरी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय बहुत बहुत शुक्रिया आपकी सराहना मेरे लिए बहुत बड़ी ख्याति है, मैं राजनीति पर लिखने की कोशिश करूँगा आपका सभी गुरुजनों का आशीर्वाद चाहिए.

      हटाएं
  6. तो परोस दिया तुमने अपना बदन ,
    हो गईं

    तुम आज़ाद ,
    हुई प्रति शोध की ज्वाला शांत ,
    या हो अभी भी आक्रान्त .

    तुम अपने ही जाल में आ गईं ,खुद को ही भरमा गईं .
    भूल गईं पुरुसुह तुम्हारा ही घुंघराले बालों वाला कुत्ता है
    (स्सारी पूडल है )

    ram ram bhai
    सोमवार, 10 सितम्बर 2012
    आलमी हो गई है रहीमा शेख की तपेदिक व्यथा -कथा (आखिरी से पहली किस्त )

    जवाब देंहटाएं
  7. तो परोस दिया तुमने अपना बदन ,
    हो गईं

    तुम आज़ाद ,
    हुई प्रति शोध की ज्वाला शांत ,
    या हो अभी भी आक्रान्त .

    तुम अपने ही जाल में आ गईं ,खुद को ही भरमा गईं .
    भूल गईं पुरुष तुम्हारा ही घुंघराले बालों वाला कुत्ता है ,
    स्सारी पूडल है .

    जवाब देंहटाएं
  8. बढिया चर्चा,
    अच्छे लिंक्स

    मेरी बात को और दूर तक ले जाने के लिए बहुत बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं
  9. जीवन नहीं है खेल शह और मात ,
    शतरंज की बिसात !

    कब कहा मैंने तुम केवल एक शरीर हो !

    सिर्फ एक योनी हो !
    बेशक मेरी कमजोरी हो !

    कमजोरी को तुम भुना न सकीं ,
    काम किसी के आ न सकीं .

    माना कुछ सिरफिरे होंगे ,
    होंगे संपूरक इनके भी .

    कब कहा मैंने तुम केवल सप्लीमेंट हो ,
    सेहत की सेज हो .

    तुम तुम हो !
    पहचानो खुद का !
    भूलो जो कहा ,इसने उसने ,
    मैंने !


    ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र
    शतरंज के खेल मे शह मात देना अब मैने भी सीख लिया है …400 वीं पोस्ट - तुम्हारा प्रश्न आज की

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सार्थक पोस्ट !किसी भी बिंदु पर आप से मत -विरोध नहीं .भाजपा से आज भी उम्मीदें हैं और अन्ना इस देश की धडकन हैं "आधा सच" वाले ये क्या जानें .कैसे मौसम को पहचानें .
    ram ram bhai
    सोमवार, 10 सितम्बर 2012
    आलमी हो गई है रहीमा शेख की तपेदिक व्यथा -कथा (आखिरी से पहली किस्त )

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सार्थक पोस्ट !किसी भी बिंदु पर आप से मत -विरोध नहीं .भाजपा से आज भी उम्मीदें हैं और अन्ना इस देश की धडकन हैं "आधा सच" वाले ये क्या जानें .कैसे मौसम को पहचानें .

    मेरा सरोकार
    फिर मंदिर ? - लाल कृष्ण आडवानी जी फिर मंदिर के
    ram ram bhai
    सोमवार, 10 सितम्बर 2012
    आलमी हो गई है रहीमा शेख की तपेदिक व्यथा -कथा (आखिरी से पहली किस्त )


    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत हो लिया मंदिर मस्जिद अब कोयले की बात करो .

    मेरा सरोकार
    फिर मंदिर ? - लाल कृष्ण आडवानी जी फिर मंदिर के
    ram ram bhai
    सोमवार, 10 सितम्बर 2012
    आलमी हो गई है रहीमा शेख की तपेदिक व्यथा -कथा (आखिरी से पहली किस्त )


    जवाब देंहटाएं
  13. सरकार के सर में दर्द?? !!!
    Cartoon, Hindi Cartoon, Indian Cartoon, Cartoon on Indian Politcs: BAMULAHIJA


    लगा तेल नवरत्न का, मोहन बोले आज ।
    सिरदर्दी कम न हुई, सर सर सर आवाज ।
    सर सर सर आवाज, दर्द मीडिया बढाए ।
    नवरत्नों पर गाज, भूल से हमीं गिराए ।
    जनता भोरी मस्त, त्रस्त न हमको करती ।
    डरते सारे लोग, मीडिया किन्तु अकड़ती ।।

    जवाब देंहटाएं
  14. जहां जनता के द्वारा ,जनता के लिए ,जनता की ऐसी की तैसी होती है,डेमोक्रेसी ऐसी होती है .
    रूप राजशाही
    नाम लोकशाही
    जनता के द्वारा
    जनता का कानून
    भ्रष्टाचार
    लोकतन्त्र का जुनून
    दुर्गति ही दुर्गति
    यही तो है
    हमारी नियति!
    ram ram bhai
    सोमवार, 10 सितम्बर 2012
    आलमी हो गई है रहीमा शेख की तपेदिक व्यथा -कथा (आखिरी से पहली किस्त )


    जवाब देंहटाएं
  15. दूसरे लिंक का शीर्षक अधूरा रह गया है, अगर संभव हो तो उसे पूरा कर दें...

    क्या "नेशनल टायलेट" है संसद

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत सुंदर चर्चा !
    बेहतरीन लिंक्स !

    जवाब देंहटाएं
  17. (3)
    HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR

    बधाई एवम शुभकामनाऎं !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार आप की शुभकामना ह्रदय से स्वीकार

      हटाएं
  18. क्या "नेशनल टायलेट" है संसद ?
    महेन्द्र श्रीवास्तव
    आधा सच...
    सीमा से बाहर गए, कार्टूनिस्ट असीम |
    झंडा संसद सिंह बने, बेमतलब में थीम |
    बेमतलब में थीम, यहाँ आजम की डाइन |
    कितनी लगे निरीह, नहीं अच्छे ये साइन |
    अभिव्यक्ति की धार, भोथरी हो ना जाये |
    खींचो लक्ष्मण रेख, स्वयं अनुशासन लाये ||

    जवाब देंहटाएं
  19. सपना साकार हुआ ,मेरी पुस्तक का विमोचन (पूर्व मुख्य मंत्री उत्तराखंड)बी सी खंडूरी जी के करकमलों द्वारा सफलता पूर्वक संपन्न हुआ |
    Rajesh Kumari
    HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR

    सफल साधना हो गई, जमा विमोचन रंग |
    खंडूरी जी का सुलभ, सतत समय सत्संग |

    सतत समय सत्संग, गंग की कृपा अनोखी |
    पढ़कर पाठक दंग, जंग कर्नल की चोखी |

    रविकर परम प्रसन्न, पर्व इक पुन: नाधना |
    आऊंगा इस बार, विमोचन सफल साधना ||

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार आप की शुभकामना ह्रदय से स्वीकार

      हटाएं

  20. "हमारी नियति" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
    नीति-नियत पर दृष्टि है, रहा नियंता देख |
    चन्द्रगुप्त की लेखनी, प्रभु जांचे आलेख |
    प्रभु जांचे आलेख, जँचे न इनकी करनी |
    उड़े हवा में ढेर, समय पर सकल बिखरनी |
    अपनों को यदि भूल, छलेगा अपना रविकर |
    पायेगा वह दंड, भरोसा नीति नियत पर ||

    जवाब देंहटाएं
  21. नज़रिया
    मनोज कुमार
    विचार
    हलवाई झपड़ा रहा, छोटू को दिन रात ।
    सदा बात बेबात पर, दिखलाए औकात ।
    दिखलाए औकात, पालता छोटू कुत्ता ।
    अब खाए जब लात, छड़ी से मारे इत्ता ।
    हो जाए संतोष, पिटे पर करे पिटाई ।
    वा रे छोटू नीति, दुष्ट कितना हलवाई ।।

    जवाब देंहटाएं
  22. बड़े रोचक व पठनीय सूत्र सजाये हैं आपने।

    जवाब देंहटाएं
  23. बहुत सुन्दर और रोचक लिंक्स ....आभार

    जवाब देंहटाएं
  24. बहुत सुंदर लिंक्स , मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  25. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स ... आभार

    जवाब देंहटाएं
  26. बहुत सुन्दर लिंक्स् संजोये हैं।

    जवाब देंहटाएं
  27. हकीकत से आँखें मूंद के जीना नासमझी नहीं
    गर टूट भी जाए तो सपनो(सपनों ) से खुबसूरत क्या है

    इश्क में डुबके(डूबके) जिसने खुद को भुलाया नहीं
    क्या जाने वो की लज्ज़त-ए-मोहब्बत क्या है
    बढ़िया रचना है .बढ़िया भाषिक प्रयोग .गर टूट भी जाए तो सपनों से खूब सूरत क्या है .

    EK NAJAR IDHAR BHI हकीकत से आँखें मूंद के जीना नासमझी नहीं - *ना पूछ

    जवाब देंहटाएं
  28. बहुत सुन्दर अंदाज़ हम धरती तुम चाँद ,बने रहो आकाश सभी के ....बढ़िया प्रस्तुति .

    जवाब देंहटाएं
  29. हृदय के उद्गार के विमोचन के लिए बहुत-बहुत बधाइयाँ!
    आज की चर्चा में बहुत उपयोगी लिंक लगाए हैं आपने!
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार आप की शुभकामना ह्रदय से स्वीकार

      हटाएं
  30. अक्षर तत्व ही परम ब्रह्म है,
    अध्यात्म स्वभाव को कहते.
    भाव प्राणियों में पैदा करती,
    उस सृष्टि को कर्म हैं कहते.
    बहुत सुन्दर भावानुवाद अर्थ गर्भित सार लिए .

    जवाब देंहटाएं

  31. और न जाने क्या-क्या, कौन-कौन-सी उपाधि उससे (उसे )मिलती रही! शरीर पर लगी चोट से कहीं अधिक और गहरी पीड़ा अपमान की थी। रातभर दुख और अवसाद में डूबा वह सो नहीं पाया। बार-बार उसे ख्‍याल आता श्‍वान से इतना प्रेम और इंसान से ........ । वर्षो की वफादारी का ये सिला मिला। मेरा क्या दोष था?

    स्वानों को मिलता दूध यहाँ ,भूखे बालक (रामू )अकुलाते हैं ....

    वह आगे बढकर जॉंटी को उठा कलेजे से लगा लिया। जॉंटी की प्यार भरी कूं-कूं से पास खड़े लोग हमारी तरफ मुडे़। फिर से शुरु हो चुकी वर्षा की फुहारों से बचने के लिए जब मैं छाता तान रहा था तो रामू का सीना गर्व से फूला हुआ था! ज्यों-ज्यों मुड़े हुए छाते का आकार बढ़ता और फैलता गया मुझे लगा इस छाते में रामू का कई गुना बढ़ चुका कद समा सकता है। मैंने रामू को अपने छाते में समा लिया।
    मुंह चढ़ी छोटकी बबुनी (बबून कहतें हैं बिना पूंछ वाले बन्दर को )और नीम रईस हिन्दुस्तान के कई घरों के निरीह रामुओं को बंधक बनाए उनका खून चूस रहें हैं . बाल श्रम कानूनों को धता बताते हुए .और हम पडोसी धर्म निभा रहें हैं .चुप्पा सोनियावी चढ़ा रहें हैं .
    सरकार आंकड़े गिना रही है कितने बच्चे और स्कूल जाने लगें हैं ,जायेंगे फलानी योजना में ....३२ रूपये में निर्वाह परोस रही है .

    रामू तो फिर ऐसे ही लुड़ेंगे.

    जवाब देंहटाएं
  32. मंगलवार, 11 सितम्बर 2012
    देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने

    आज भारत के लोग बहुत उत्तप्त हैं .वर्तमान सरकार ने जो स्थिति बना दी है वह अब ज्यादा दुर्गन्ध देने लगी है .इसलिए जो संविधानिक संस्थाओं को गिरा रहें हैं उन वक्रमुखियों के मुंह से देश की प्रतिष्ठा की बात अच्छी नहीं लगती .चाहे वह दिग्विजय सिंह हों या मनीष तिवारी या ब्लॉग जगत के आधा सच वाले महेंद्र श्रीवास्तव साहब .

    असीम त्रिवेदी की शिकायत करने वाले ये वामपंथी वहीँ हैं जो आपातकाल में इंदिराजी का पाद सूंघते थे .और फूले नहीं समाते थे .

    त्रिवेदी जी असीम ने सिर्फ अपने कार्टूनों की मार्फ़त सरकार को आइना दिखलाया है कि देखो तुमने देश की हालत आज क्या कर दी है .

    अशोक की लाट में जो तीन शेर मुखरित थे वह हमारे शौर्य के प्रतीक थे .आज उन तमाम शेरों को सरकार ने भेड़ियाबना दिया है .और भेड़िया आप जानते हैं मौक़ा मिलने पर मरे हुए शिकार चट कर जाता है .शौर्य का प्रतीक नहीं हैं .
    असीम त्रिवेदी ने अशोक की लाट में तीन भेड़िये दिखाके यही संकेत दिया है .

    और कसाब तो संविधान क्या सारे भारत धर्मी समाज के मुंह पे मूत रहा है ये सरकार उसे फांसी देने में वोट बैंक की गिरावट महसूस करती है .
    क्या सिर्फ सोनिया गांधी की जय बोलना इस देश में अब शौर्य का प्रतीक रह गया है .ये कोंग्रेसी इसके अलावा और क्या करते हैं ?

    क्या रह गई आज देश की अवधारणा ?चीनी रक्षा मंत्री जब भारत आये उन्होंने अमर जवान ज्योति पे जाने से मना कर दिया .देश में स्वाभिमान होता ,उन्हें वापस भेज देता .
    बात साफ है आज नेताओं का आचरण टॉयलिट से भी गंदा है .
    टॉयलट तो फिर भी साफ़ कर लिया जाएगा .असीम त्रिवेदी ने कसाब को अपने कार्टून में संविधान के मुंह पे मूतता हुआ दिखाया है उसे नेताओं के मुंह पे मूतता हुआ दिखाना चाहिए था .ये उसकी गरिमा थी उसने ऐसा नहीं किया .
    सरकार किस किसको रोकेगी .आज पूरा भारत धर्मी समाज असीम त्रिवेदी के साथ खड़ा है ,देश में विदेश में ,असीम त्रिवेदी भारतीय विचार से जुड़ें हैं .और भारतीय विचार के कार्टून इन वक्र मुखी रक्त रंगी लेफ्टियों को रास नहीं आते इसलिए उसकी शिकायत कर दी .इस देश की भयभीत पुलिस ने उसे गिरिफ्तार कर लिया .श्रीमान न्यायालय ने उसे पुलिस रिमांड पे भेज दिया .


    Posted

    जवाब देंहटाएं
  33. बहुत सुंदर चर्चा लगाया है आपने....मेरी कवि‍ता शामि‍ल करने के लि‍ए धन्‍यवाद

    जवाब देंहटाएं
  34. बहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  35. सुंदर सार्थक चर्चा,,,,
    मेरी रचना को मंच में स्थान देने के लिये आभार,
    आपकी पुस्तक "हृदय के उद्गार" के विमोचन के लिए बहुत-बहुत बधाई,,राजेश जी,,,,

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार आप की शुभकामना ह्रदय से स्वीकार

      हटाएं
  36. सुन्दर प्रस्तुति । बेहतरीन पठनीय सूत्र ।
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  37. आदरणीया राजेश कुमारी जी का आज मैं जीतनी प्रसंशा करूँ कम पड़ जायेगी. पहली बात तो चर्चा मंच पर शामिल होना ही बहुत बड़े सौभाग्य की बात होती है, और जब चर्चा मंच पर सबसे पहली रचना अपनी दिखे तो तो बस ह्रदय गद गद हो जाता है. आज वो दिन आ ही गया जब मेरी रचना को पहला स्थान प्राप्त हुआ है, जिसका पूरा श्रेया पूज्यनीय राजेश कुमारी जी को जाता है. आज आपने मेरा दिन बना दिया आपका सदा मैं ऋणी रहूँगा. शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।