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शुक्रवार, जनवरी 21, 2011

आज की चर्चा - २१-१-२०११ - डॉ नूतन

                 सभी को मेरा सादर अभिनन्दन | 

  आज की चर्चा के लिए मैं कुछ ब्लॉग्स और उनकी पोस्ट लायी हूँ |
 
  
कविताएँ, गज़ल ,लेख
आज जो पहली दो पोस्ट “अ” हिंदी की प्रथम वर्णमाला से शुरू की है | 
     आज ब्रोडबेंड भी काम नहीं कर रहा है और कंप्यूटर भी धोखा दे रहा है अतः बिना रंग समायोजन के चर्चा पोस्ट कर रही हूँ | बस चर्चा पोस्ट हो जाये डर है के ये पोस्ट भी ना हो पाए | भगवान के नाम से पोस्ट करती हूँ | 
                    जय हो प्रभु की
                    जय हो कंप्यूटर की 
                    जय नेटवर्क की ..

           
            अभिलाषा


       श्री श्री प्रकाश डिमरी जी

    

    लिखते हैं सिन्दूरी शाम
  ब्लॉग अनुभूति / anubhuti
में
        
         
अम्बु से ..

 
    श्री प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल जी 

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      कहतें है हौसला है तो ..
      ब्लॉग चिंतन मेरे मन का
       श्री हरी जोशी जी

      मेरा फोटो
    के ब्लॉग इर्दगिर्द से
मेरी पसंद : राजेन्‍द्र चौधरी की रचनाएं, अनिल कुमार जी की पोस्ट
   श्रीमती वंदना गुप्ता जी 

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     वो वक़्त आने से पहले

    जिंदगी एक खामोश सफर
  
    रश्मि प्रभा जी कहती हैं

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         माँ माँ ...
  ब्लॉग मेरी भावनायें... में
  
   अभिषेक कुमार जी का लेख

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अम्बानी के महंगे घर में उनका एक दिन
      ब्लॉग मेरी बातें में

    संगीता स्वरुप जी

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बिखरे मोती में बेहद सुन्दर अंदाज में कहतीं हैं कताई

    अजित वडनेरकर जी

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अपने ब्लॉग शब्दों का सफर में बताते हैं सम्पादक, एडिटर और मुदीरे-आला के बारे में | एक सुन्दर लेख
     
    
        कविताएं , लेख, गज़ल

  शन्नो अग्रवाल जी की पहली
        गज़ल

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     ये दुनियां उनके
      ब्लॉग ओंस में
  
   Er सत्यम शिवम जी

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कहते हैं तेरा साथ चाहिए 
ब्लॉग काव्य कल्पना में |
       नीलेश माथुर

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मेरा कुछ सामान , पांच सामान और पांच आवाज पांच कविताओं में ..  आवारा बादल में 
        दीपाली सांगवान "आब"

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     मासूम लम्हे .... में कहती हैं
क्या इजाफा हुवा है इम्तिहान में मेरे

आर्जव
में अभिषेक आर्जव कहते हैं
दुनिया चलती रहती है !

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भोजपूरी में सुनिए कमलवा गुलबवा कै बतिया..

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     हिमांशु जी अंजोर में

      हरकीरत "हीर"
जी

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जर्द पत्ते जाड़ों में धूप की बात, चार कवितायेँ 

जयप्रकाश नारायण की एक दुर्लभ कहानी "दूज का चाँद "

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         जानकी पुल में
      
       नागफनी का प्रेम

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     चंद्रमोहन जी कहते हैं

कलम बोलती है इस लिए दिल चुप है
    
      "निरंतर" की कलम से

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        डॉ राजेंदर "तेला" जी
यूँ मुझे भुला ना पाओगे,दूर जाना चाहो जा ना सकोगे
 
   
       डिवाइन कॉन्सपिरेसी

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         दर्पण साह जी
       प्राची के पार .. से

        राजीव थेपडा  जी

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  ऐ.. तू, तू है.. कोई चीज नहीं है 
ब्लॉग कवि को कुछ कहने दो ना      
     
                      
        अब आई हँसने की बारी


                             मस्तान सिंह जी 
     
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            के ब्लॉग MASTAN TOONS से दो ताज़ा कार्टून

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                                     और
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                                    भड़ास से
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                        व्यंग - अथ श्री कांदादेवः कथा
  
                          रतन जैसवानी जी का लेख

      
                               हास्य फुहार से

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                                 दो पोस्ट

          उत्तम उपहार

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       फाटक बाबू का सपना

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               लघु कथाएं, कथाएं 
  
      दानी मितव्ययी       पंकज त्रिवेदी जी के  

      प्रधान संपादक : पंकज त्रिवेदी
          विश्वगाथा 
     
      ब्लॉग में कहानी 

    खुश्बू जैसे लोग
  
      रश्मि प्रभा जी के

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          वटवृक्ष
   
    ब्लॉग में कहानी 
 
      शाकाहारी हाथी 
      अजीत गुप्ता जी की

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       कथा उनके ब्लॉग
    अजीत गुप्ता का कोना  में

            चालीस 

      गौरव सोलंकी जी के

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  ब्लॉग मेरा सामान
   में छपी कहानी |

             तम्मना

        शिखा कौशिक जी
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            के ब्लॉग
          मेरी कहानियाँ से

     ये कैसा करवाचौथ था

      डॉ नूतन गैरोला की
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      सत्य घटना पर आधारित
          कहानी ब्लॉग 
           अमृतरस से
    
         आप सभी एक बेहतर ब्लॉग एग्रीगेटर की तलाश में होंगे
          तो जानिये नए ब्लॉग एग्रीगेटर ब्लॉगमंच के बारे में |


            अब आप पढ़ पढ़ कर बोर ना हो गए होंगे तो अब पढ़ते      

                      नहीं, सुनते हैं - बाल कविता – डस्टर
                         
                           डॉ रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक " के 
          
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                                 ब्लॉग नन्हे सुमन से
आज की चर्चा यहीं  पर समाप्त करती हूँ | मिलते हैं गणतंत्र दिवस के बाद अर्थात २७ जनवरी को | तब तक के लिए विदा 

                    “भारत माता की जय”
                                    चर्चाकार -
                            डॉ, नूतन डिमरी गैरोला

31 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर। मन ख़ुश हो गया मंच की प्रस्तुति से। नूतन जी ने चर्चा को चार चांद लगा दिया है।

    जवाब देंहटाएं
  2. लीजिये जनाब भगवान् का नाम लेकर मैंने पढ़ भी लिया -डॉ नूतन ,आपने समग्र चर्चा तो की है -
    ब्राडबैंड और कंप्यूटर अवरोधों के बाद भी ऐसी समग्र चर्चा तो फिर अनवरोधों की चर्चा क्या होगी ?
    प्रतीक्षा रहेगी !

    जवाब देंहटाएं
  3. डॉ.नूतल गैरोला जी!
    चर्चा मंच के प्रति आपका समर्पण और आज का प्रस्तुतिकरण सराहनीय है।
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर चर्चा है,नेट की स्पीड कम हो तो लाईव रायटर पर काम करना मुस्किल रहता है।

    आपके जज्बे को सलाम करते हैं।

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  5. बहुत ही ख़ूबसूरत तरीके से सजाई गई है आज की महफ़िल , अच्छे लिंक्स , डा: नूतन जी को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  6. sabhi ko sadar namaskaar.... kyoonki jis jagah main hoo vaha kal se broadband nahi chal raha hai... jaise taise charcha ke liye par mai unko suchit nahi kar payi aur dhanyvaad nahi de pai jinke blog maine charcha ke liye liye hain... page load hone me 20 minute tak lag rahe hai...
    जिनके लिंक्स से आज मंच सजा है उन्हें मै यही पर धन्यवाद देती हूँ ..और कोशिश करुँगी की शाम तक उनेह इन्फोर्म कर दूं

    आप सभी को पुनः मेरा अभिवादन

    जवाब देंहटाएं
  7. sabhi ko sadar namaskaar.... kyoonki jis jagah main hoo vaha kal se broadband nahi chal raha hai... jaise taise charcha ke liye par mai unko suchit nahi kar payi aur dhanyvaad nahi de pai jinke blog maine charcha ke liye liye hain... page load hone me 20 minute tak lag rahe hai...
    जिनके लिंक्स से आज मंच सजा है उन्हें मै यही पर धन्यवाद देती हूँ ..और कोशिश करुँगी की शाम तक उनेह इन्फोर्म कर दूं

    आप सभी को पुनः मेरा अभिवादन

    अरविन्द जी ! परसों मैंने कई पोस्ट खोलीं थी वह काम आयीं .. कल रात दो बजे तक और आज सुबह ५ बजे से ... ये किसी इम्तिहान से कम नहीं... :))
    कल वंदना जी ने ५ मिनट में जो पोस्ट बनायीं ..उसको बनाने में मुझे इस स्पीड में पूरा दिन से ज्यादा लगता ..पर गनीमत है मैंने लिंक्स का संग्रह परसों से शुरू कर दिया था ... ब्रोड बेंड कल से बंद है ...

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  8. नूतन जी हौसला है तो राहे है, राहे है तो मंजिल है को पूरी तरह चरितार्थ करता आपका प्रयास.. बहुत ही खुबसूरती से परोसा गया.. सभी चर्चा मंच मे शामिल ब्लाग(लेख. कविताये) जायकेदार.. शुभकामनाये

    जवाब देंहटाएं
  9. नूतन जी बहुत ही सुंदरता से सजाया है आज का चर्चा मंच...मेरी कविता"तेरा साथ चाहिए" को आज के चर्चा मंच का हिस्सा बनाने हेतु धन्यवाद,.........यूँही अपना आशीर्वाद बनाये रखे.........आभार

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  10. bahut achchhi charcha .meri kahani ko charcha me sthan dene ke liye hardik dhaywad .

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  11. अरे नूतन जी …………कमाल कर दिया…………कितनी सुन्दर और सुव्यवस्थित चर्चा लगाई है देखकर ही आनन्द आ गया ………अभी पढी नही है बाद मे पढूँगी सभी लिंक्स्………मगर बहुत ही बढिया चर्चा …………आभार्।

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  12. ये तो गागर में सागर हो गया नूतन जी ....इनमे से कुछ रचनाएं नहीं पढ़ पाया था ..आज उन्हें भी पढ़ा ...सराहनीय और समर्पित प्रयास है आपका ..

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  13. nutan ji ,
    naam ki hi tarah karya kiya hai.
    charch manch ko anokhe roop me sajaya hai.bahut sundar .badhai..

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  14. नूतन जी ! साहित्य की इन महान हस्तियों के बीच मुझे जगह देने के लिए धन्यवाद , आपने ऐसे समय मुझे सामिल किया जब मेरी सारी रचनाये एक भूलबस हट गयी हैं ... फिर भी दूसरो की रचनाओं की ओर का संकलन में आन्दित होने का सुअवसर मिला सभी रचनाकारों का आभार ...

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  15. नूतन जी आप जो सेवा कर रही हैं साहित्य की, सहज ही प्रशंसनीय है| आज के भौतिकता वादी युग में साहित्य की सेवा में इतना समय देना! वाकई साधुवाद की हकदार हैं आप|

    जवाब देंहटाएं
  16. नूतन जी, आपकी मेहनत सफल रही है, धन्यवाद !

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  17. नूतन तुम्हारी क्षमता पर मैं अचंभित हूँ. डाक्टर होते हुये भी साहित्य में तुम्हारी इतनी रूचि व समय निकाल कर योगदान देना..इस कार्य को तुम सफलता पूर्वक निभा रही हो. इस बार भी प्रभु के नाम से की गयी ये प्रस्तुति बहुत सुंदर रही :) भविष्य के लिये भी मेरी शुभकामनायें.

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  18. Manch par aakar ek suhana safar shuro hota hai jahan shabdon ke arth bilkul saaf saaf nazar aane lagte hain.
    bahut hi shubhkamnaon ke saath
    Devi Nangrani

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  19. आपने पढ्ने के लिए काफी मसाला दे दिया। आभार।

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  20. sabse pehle to nutan ji apko sadar pranam or koti koti sukriya.. apke karan ham itni pyari pyari rachnaye padh pate hai....... Anubhuti ki poem sinduri Shaam.. poet- Shri Prakash Dimri ji.. ne sach mai dil ko chu liya... kitne sundar sabdon se rachna ko sawara hai.. esa lagta hia jese suraj sam ko apni kirno ko chupa leta hai.. ek naye suboh ke liye... qki ujale ka mahatwa tav hai jab andhera hai... santulan prakriti ka niyam hai.. usi prakar dukh or sukh dono jivan mai jaruri hai.. sach kitni sundar kavita hai.. apka koti koti avar or itni pyari poem ko likhne wale un pawan poet ko v koti koti naman.....

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  21. बहुत शुक्रिया डॉ गैरोला। चर्चा सुंदर रही। इस बहाने हमें भी कई सुंदर ब्लॉग पढ़ने को मिले।
    असीम शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं

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