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मंगलवार, जुलाई 21, 2015

"कौवा मोती खायेगा...?" (चर्चा अंक-2043)

मित्रों।
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए आज कुछ अद्यतन लिंक। 

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

(1)

कौवा मोती खायेगा .. 

भारत देश में पढ़े-लिखे , ईमानदार और सत्यनिष्ठ लोगों की इज़्ज़त नहीं होती ! उन्हें अपमानित और प्रताड़ित किया जाता है ! येन केन प्रकारेण , दो कौड़ी के ढकोसलेबाज़ कुर्सी तक पहुँच जाते हैं और मनमानी करते हैं ! देशवासियों और देश के उत्थान से कोई सरोकार नहीं होता उन्हें ! . सत्य ही कहा था किसी ने - . एक दिन ऐसा आएगा , हंस चुगेगा दाना तिनका कौवा मोती खायेगा .. 
ZEAL 
(2)

हम तेरे शहर से चले जायेंगे 

इतने साल इस शहर में बिता कर 
अब जाने का वक्त हो चला है , 
सँगी-साथियों से बिछड़ने का वक़्त …
--
हम तेरे शहर से चले जायेंगे 
कितना भी पुकारोगे , नजर न आयेंगे 

अभी तो वक़्त है , मिल लो हमसे दो-चार बार और 
फिर ये चौबारे मेरे , मुँह चिढ़ायेंगे... 
मेरा फोटो
गीत-ग़ज़ल पर शारदा अरोरा 
(3)

इश्क के चटकारे, मेरा खोना ..... 

एक रस्म है ये भी 

ये मेरा खोना ही है 
जब खुद को भी ढूंढ न पाऊँ 
पलकों की ओट में छुप जाऊँ 
किसी बहेलिये के डर से 
डरी सहमी हिरणी सी सकुचाऊँ 
ये मेरा खोना ही है ... 
vandana gupta 
(4)

कमजोर बुनियाद पर खड़ी 

भारत की उच्च शिक्षा 

आईआईटी रुड़की से तिहत्तर छात्रों को निकालने की खबर आई तो लगा कि कोई संस्थान ये कैसे कर सकता है। बीटेक के पहले साल में ही तिहत्तर बच्चों को निकालने की खबर के बाद हर किसी को छात्रों के साथ सहानुभूति हो गई। सोशल मीडिया से लेकर लोगों के बीच से दबाव बनने लगा कि छात्रों को मौका देना चाहिए। इस तरह से तो उनका भविष्य खराब हो जाएगा। लेकिन, इन तिहत्तर छात्रों का भविष्य बनाने की चिंता किस तरह से पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था की चिंता को और बढ़ाएगी, इस पर शायद ही किसी का ध्यान जा रहा हो। या फिर कोई बहस हो रही है। सबसे पहले तो ये कि आखिर इन तिहत्तर छात्रों को बीटेक पहले साल की परीक्षा की नौबत क्यों ... 
बतंगड़ पर HARSHVARDHAN TRIPATHI 
(5)
(6)
(7)
(8)
(9)

बेवाक: 

बजरंगी भाईजान हीरो कैसे? 

सुना है बजरंगी भाईजान की दुकान में जबरदस्त बिक्री हो रही है। सो हॉउसफुल जा रहे है और भाईजान राष्ट्र के हीरो बन कर उभरे है। भारत पाकिस्तान के खिलाफ गलत फैमी दूर करने का दुष्कर कार्य कर रहे है। इन सब के बीच अचनाक यादों का एक दरवाजा सा खुल जाता है, अचानक रवीन्द्र पाटिल याद आते है। ....... हाँ हाँ कॉन्स्टेबल रवीन्द्र पाटिल, मुम्बई पुलिस के कॉन्स्टेबल रवीन्द्र पाटिल। जिनका वजूद बजरंगी भाईजान की कद और काठी, रसूख, रुतबे के आगे के पिस गया, गेंहूँ में घुन के समान... 
बुलबुला पर Vikram Pratap singh 
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(13)

ख़ुदा ही कुछ करे के मार्फ़त अंजाम हो जाए 

हमारी क़ब्र पर आना जो तेरा आम हो जाए। 
हमारी रूहे फ़ानी को ज़रा आराम हो जाए... 
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 
(14)

यादें 

Kashish - My Poetry पर Kailash Sharma 
(15)
(16)
(17)

वफ़ा के उस पुजारी को भुला दे ... 

मुझे ता उम्र काँटों पर सुला दे 
मगर बस नींद आने की दुआ दे 
थके हारों को पल भर सुख मिलेगा 
हवा चल कर पसीना जो सुखा दे... 
स्वप्न मेरे ...पर Digamber Naswa 
(18)

जो खुश्क हुए थे ज़ख्म, उनमें दर्द आज भी है 

वो ज़िंदा हैं तो नहीं, दिल में भ्रम आज भी है | 
मैं जानता हूँ मुझे, उसका कभी इंकार न था, 
मगर इस रूह पर, उसका वो क़र्ज़ आज भी है... 
MaiN Our Meri TanhayiiपरHarash Mahajan 
(19)

ब्लॉगर लोकप्रिय पोस्ट गैजेट में 

सही संख्या में पोस्ट दिखायें 

हाल ही में ब्लॉगर के डिफ़ॉल्ट विजेट लोकप्रिय पोस्ट (Popular Posts Widget) में एक त्रुटि आ गयी है। जिसके चलते विजेट में उतनी संख्या में लेख नहीं दिखायी दे रहे हैं जितने हम विजेट में दिखाना चाह रहे हैं। विजेट 7 या 10 लोकप्रिय पोस्ट ही दिखा रहा है, हम चाहकर भी उसकी संख्या 7 या 10 से कम या ज़्यादा नहीं कर पा रहे हैं... 
तकनीक द्रष्टा पर Vinay Prajapati 
(20)
(21)

गीत "फूल फिर से बगीचे में खिल जायेंगे" 

 
रंग भी रूप भी छाँव भी धूप भी,
देखते-देखते ही तो ढल जायेंगे।
देश भी भेष भी और परिवेश भी,
वक्त के साथ सारे बदल जायेंगे।।


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