मित्रों।
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए आज कुछ अद्यतन लिंक।
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) |
(1)
पहले सूखे की आशंका
फिर अति की वर्षा
यह कैसा मिज़ाज तेरा
आभास तक न होता
जरा सी बेरुखी तेरी
समूचा हिला जाती...
Akanksha पर Asha Saxena
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(2)
(3)
मान लो किसी ने शुरू ही
४० की उम्र में लेखन किया हो तो
उसे किस दृष्टि से देखा जायेगा
युवा या वरिष्ठ...
vandana gupta
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(4)
(5)
(6)
(7)
मुझे तो नौटंकी लगती है
मगर बहुतों को आनंद आता है
बेसबरी से प्रतीक्षा करते हैं
कब आएगा मानसून
और नागपंचमी का त्योहार! ...
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय
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(8)
(9)
*चलते चलते अनन्त
यात्रा के राह में
एक अजनबी से मुलाक़ात हो गई
कुछ दूर साथ-साथ चले कि
हम दोनों में दोस्ती हो गई |
कहाँ से आई वह ,मैंने नहीं पूछा
मैं कहाँ से आया ,उसने नहीं पूछा
शायद हम दोनों जानते थे
जवाब किसी के पास नहीं था...
कालीपद "प्रसाद"
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(10)
(11)
(12)
(13)
(14)
(15)
आरज़ू तेरी
मौत आती नहीं रस्ते मेरे
जिंदगी जीने नहीं देती मुझको
ऐसे में ए मुहब्बत
तुझे ख़ुशी का फ़रिश्ता समझा..
Lekhika 'Pari M Shlok'
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(16)
व्यंग -मज़बूरी कैसी कैसी ----
मज़बूरी शब्द कहतें ही किसी फ़िल्मी सीन की तरह, हालात के शिकार मजबूर नायक –नायिका का दृश्य नज़रों के सम्मुख मन के चित्रपटल पर उभरता है, जिसमे हीरो ,हिरोइन को मज़बूरी में सहारा देता है या खलनायक उसकी मज़बूरी का फ़ायदा उठाता है . ...पर जनाब अब इस दृश्य में बेहद परिवर्तन आ गएँ हैं. वह कहावत तो आप सभी ने सुनी होगी कि मज़बूरी का नाम महात्मा गाँधी ..
सपने पर shashi purwar
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(17)
कुलविंदर कौशल
पिछले दिनों मेरी सहेली कमला के पति का निधन हो गया था। व्यस्तता के चलते मुझसे अफसोस प्रकटाने के लिए भी नहीं जाया गया। आज मुश्किल से समय निकाल उसके घर गई थी। कमला मुझे बहुत गर्मजोशी से मिली। मैं तो सोच रही थी कि वह मुरझा गई होगी, पूरी तरह टूट गई होगी। मगर ऐसा बिल्कुल नहीं लगा। उसके पति के बारे में बात करने पर वह चुप-सी हो गई। थोड़ी देर बाद गंभीर आवाज में बोली, “मर चुकों के साथ मरा तो नहीं जाता…।बच्चों के लिए मुझे साहस तो जुटाना ही होगा।”....
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(18)
(19)
(20)
(21)
सिर छिपाने के लिए, इक शामियाना चाहिए
प्यार पलता हो जहाँ, वो आशियाना चाहिए
राजशाही महल हो, या झोंपड़ी हो घास की
सुख मिले सबको जहाँ, वो घर बनाना चाहिए..
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