मित्रों।
आदरणीय दिलबाग विर्क जी का लैपटॉप अभी बीमार है।
इसलिए बृहस्पतिवार की चर्चा में
मेरी पसन्द के कुछ लिंक देखिए।
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क्षमा बड़न को चाहिये ..
मेरी पुरानी रचना मीना की अपनी अंतरंग सखी दीपा से किसी बात को लेकर अनबन हो गई |दोनों बचपन की सखियाँ जब भी एक दूसरे को देखती तो मुहं मोड़ लेती ,मन आक्रोश से भर जाता ,महीने बीत गए एक दूसरे से बात किये ,मीना अंदर ही अंदर बहुत दुखी थी और वह अपनी प्यारी बचपन की सहेली से बात करना चाहते हुए भी नही कर पाती थी बल्कि उसे दीपा पर और भी अधिक गुस्सा आता ,''आखिर वह अपनी गलती मान क्यों नही लेती'' ,दीपा भी मीना से बहुत प्यार करती थी लेकिन वह भी उसके आगे झुकना नही चाहती थी ,नतीजा क्या हुआ दोनों सहेलियाँ अपने दिलों में एक दूसरे के प्रति क्रोध लिए भीतर ही भीतर सुलगती रही...
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तोड़ कमियों का
कमियों को मैं क्या गिनाऊँ
लगता असंभव गणन उनका
हल कोई नहीं दीखता
उनसे उबरने का
यही क्या कम है
की अहसास मुझे है
उनसे उत्पन्न समस्याओं का...
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इश्क बिकने वहीँ जाता
उम्र के दायरे से अब मुहब्बत का नहीं नाता।
जहाँ जेबों में गर्मी हो इश्क बिकने वहीँ जाता ।।
जमाने का यहाँ बिगड़ा हुआ दस्तूर है या रब ।
सेठ बाजार की कीमत बढ़ाने है वहीँ आता...
तीखी कलम से पर
Naveen Mani Tripathi
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आप साथ हो लिए - -
हम यूँ ही अपने आप में रूह ए जज़्ब थे,
न जाने किस मोड़ पे, आप साथ हो लिए।
सुरमयी कोई शाम थी या मख़मली रात,
न जाने - किस पल दिल अपना हम खो दिए...
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शब्द शब्द बलवान मुसाफिर
सबको सबसे आस मुसाफिर
कुछ तो खासमखास मुसाफिर
कहते अक्सर लोग उसी ने
तोडा है विश्वास मुसाफिर...
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आसमान के
सियाह गिलाफ़ पर चाहा बस
तारों की झिलमिल छाँव...
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वो रस्मो रिवाजें निभाने की रातें
वो रस्मो रिवाजें निभाने की रातें है
चारो तरफ मुस्कुराने की रातें...
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