मित्रों।
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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भारत की संस्कृति महान
नद-नदियों की धारा जैसी
सबको समाहित करती वैसी
जो भी आया उसे बसाया
आत्मसात सबको कर पाया
विशिष्ट रही जिसकी पहचान
भारत की संस्कृति महान.
शक-हूण यूनान-कुषाण
थामकर हाथ चला इस्लाम
रहीम की भक्ति कबीर के दोहे
मीरा-सूर-तुलसी मन मोहे
धर्मों ने पाया सम्मान
श्रेष्ठ सदा है हिंदुस्तान..,
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#विश्व_हिंदी_सम्मेलन - अलादीन |
वही हुआ जिसकी आशंका थी.
भोपाल में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन की व्यवस्था भारतीय जनता पार्टी के किसी सम्मेलन की सी होकर रह गई है. पहले दिन प्रधानमंत्री के आगमन पर लगे नारों से लेकर उनके और शिवराज के चुनावी भाषणों तक ही राजनीति रही हो ऐसा भी नहीं है. आयोजन में शामिल सभी सरकारी प्रतिनिधियों के साथ स्थानीय माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के एक-एक छात्र को स्वयंसेवक के रूप में तैनात किया गया था. सनद रहे कि यह विश्वविद्यालय इस समय संघ की सबसे बड़ी प्रयोगशाला बना हुआ है...
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काली कोयल सुर मधुर-
कुंडलिया छंद
काली कोयल सुर मधुर, गुण का करे बखान
सूरत से सीरत भली, देती है संज्ञान
देती है संज्ञान, सदा सद्भावी रहना
नम्र रहे व्यवहार, वही मानव का गहना
मनहर हो जब पुष्प, पुलक जाता है माली
कानों में रस घोल, कूकती कोयल काली
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कौन शर्मिदा होगा...?
यादवी पंचायत ने जिस परिवार को गाँव से तड़ीपार कर दिया वह महिला कल अपनी फरियाद लेकर आई और अपने आँचल से बांध रखे कुछ पैसे खबर छापने के लिए देनी लगी । मैं काठ रह गया । मामला मुसापुर, बरबीघा, शेखपुरा, बिहार का है.. बारह-तेरह साल पत्रकारिता जीवन में ऐसा कई बार हुआ है पर हमेशा यह तेजतर्रार लोगों द्वारा किया जाता था । पहली बार एक पीड़ित आम ग्रामीण महिला द्वारा ऐसा किया था । शुरुआत के दिनों में ऐसा करने वालों पे गुस्सा करता था पर बाद में इस बात की समझ हुयी की ऐसा चलन आम है और इसको तोड़ने की जरुरत है...
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विदुर जब हस्तिनापुर से जा रहे थे
तो उनके रूप में कुरुवंश का पुण्य जा रहा था।
साक्षात धर्म जा रहा था।
धर्म विहीन हस्तिनापुर को तो
फिर हारना था
आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
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छाया-माया
बहुत दिनों से तुमने मुझे
खुद से दूर रखा है
पर यह तुम भी जानती हो कि
छाया के बिना तुम भी अकेली हो.
छाया तुम्हारी अनुकृति ही तो है..
तुम्हारी भावनाओं से अछूती नहीं है
फिर भी तुम अँधेरे जा बैठी हो.
अँधेरा जो छाया को निगल जाता है...
व्योम के पार पर अल्पना वर्मा
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सृजनात्मक कलम के समक्ष चुनौतियाँ
ऐसा कहते है कि जहाँ माँ सरस्वती का वास होता है वहाँ माता लक्ष्मीजी का पदार्पण नही होता ,माँ शारदे का पुजारी लेखक ,नई नई रचनाओं का सृजन करने वाला ,समाज को आईना दिखा उसमे निरंतर बदलाव लाने की कोशिश में रत ,ज़िन्दगी भर आर्थिक कठिनाइयों से झूझता रहता है ...
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रह के पत्थर से अक्सर टकराते है
रे कूचे में जब भी हम जाते हैं
रह के पत्थर से अक्सर टकराते है
ख़ामख़याली के बाइस पिटता कोई
वर्ना याँ तो पत्थर पूजे जाते हैं...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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कार्टून :-
बिहार. सीट शेयरिंग फ़ार्मूला.
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कार्टून :-
हिंदी मास्टर
काजल कुमार के कार्टून पर Kajal Kumar
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13 सितम्बर
मेरे ज्येष्ठ पुत्र नितिन का जन्मदिन
आज मेरे पुत्र का है जन्मदिन,
खूब फूलो-फलो तुम बेटा नितिन!
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