आज की चर्चा में आपका हार्दिक अभिनन्दन है।
हमारा देश एक विशाल राष्ट्र है इसके नागरिक नाना प्रकार की जाति एवं उप जातियों में विभाजित हैं और विभिन्न सम्प्रदायों व धर्मो को मानने वाले हैं। इसके बाद भी सभी भाईचारे की भावना के साथ रहते हैं। अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति की महान विशेषता है। यही सद्भावना एवं भावनात्मक एकता की आधारशिला है।हम यह गर्व से कह सकते हैं की हमारा देश एक तपस्थली है इसका हर रज कण , कण-कण पावन और पूजनीय है। हम सब को अपने भारत देश पर नाज है , गर्व है।
अब चलते हैं चर्चा की तरफ .......
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रश्मि प्रभा
मन की लहरों को नहीं लिख पाई
जो लिख पाई
वो किनारे के पानी थे
या भीगी रेत के एहसास … !
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श्यामल सुमन
प्रीति परस्पर दान मुसाफिर
मिट जाता अभिमान मुसाफिर
प्रेम नगर में फिर भी कितने
दिख जाते नादान मुसाफिर
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आशा सक्सेना
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सरिता भाटिया
यश जी के जन्मदिवस पर
हरमन प्यारा जो बना ,बाँटा प्यार अथाह |
शहंशाह कहते उसे ,शाहों का वो शाह ||
शहंशाह दिलों का
शहंशाह वादों का
शहंशाह इरादों का
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कालीपद "प्रसाद"
*जिन्दगी और *
*रेलगाड़ी... *
*दोनों एक जैसी हैं |*
*कभी तेज तो कभी *
*धीमी गति से *
*लेकिन चलती है |*
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पूनम श्रीवास्तव
दर्पण जो आज देखा वो मुंह चिढ़ा रहा था
चेहरे की झुर्रियों से बीती उम्र बता रहा था।
कब कैसे कैसे वक्त सारा निकल गया था
कुछ याद कर रहा था मैं कुछ वो दिला रहा था।
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काजल कुमार
वह आढ़तिये का इकलौता बेटा था. पिता का, सब्ज़ी की आढ़त का अच्छा-ख़ासा काम था. मंडी में, कई सब्ज़ियों और फलों के किंग माने जाते थे. बड़ी सी कोठी थी. ...
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वंदना गुप्ता
कितनी उठापटक है
फिर वो साहित्य हो , समाज , राजनीति या रिश्ते
कितने विषय बिखरे पड़े हैं
एक अराजकता सिर उठाये खड़ी है
मगर मेरी साँसों में
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प्रीति अज्ञात
-*आओ, काटो, रेत दो *
*उम्मीदों का गला *
*कि इंसान न बन सके तुम *
*तोडना चाहते हो *
*इरादों को ?*
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अनुपमा पाठक
निरुद्धेश्य
पटरियों के आस पास चलते हुए
ट्रेन पर सवार हो गयी...
पन्ने पलटती हुई चेतना
कुछ दूर तक गयी...
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(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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वीरेन्द्र कुमार शर्मा
सुन्दर देहि देखकर उपजत है अनुराग ,
मढ़ी न होती चाम की तो जीवित खाते काग।
दर्पण आगे ठाढी के नित्य सँभारे पाग ,
ऐसी देहि पायके चौंच सँभारे काग।
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सुशील कुमार जोशी
अंदाज नहीं आया
उठा है या सो गया
कल सारे दिन
इंटरनेट जैसे
लिहाफ एक
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विकेश कुमार बडोला
संसार में दो प्रकार के लोग हैं--रचनात्मक और द्वंदात्मक। 'मेरे पास समय नहीं है' कहनेवालों को 'समय नहीं कट रहा है' कहते हुए भी सुना जा सकता है। द्वंदों से घिरे व्यक्ति इसी भावना से परिचालित होते हैं, जबकि रचनात्मक कार्य करनेवालों को जीवन बहुत छोटा लगता है।
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