दिखे गाँव में आज फिर, बचुवा अम्मा संग |
जैसे नदियां मिल रही, और सहेजे गंग |
और सहेजे गंग, जयतु हे गंगा मैया |
हर्षित दीखे व्यंग, हास्य ले रहा बलैया |
रविकर करे प्रणाम, माथ रख मातु पाँव में |
ये संतोषानंद, हमेशा दिखे गाँव में ||
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(१)
हिन्दीभाषा को अपनायें।
आओ हिन्दीदिवस मनायें।।
हिन्दीवालों की हिन्दी ही
क्यों इतनी कमजोर हो गयी?
भाषा डूबी अँधियारे में,
अंग्रेजी की भोर हो गई।
एक वर्ष में चौदह दिन ही
हिन्दी की गाथा को गायें।
आओ हिन्दीदिवस मनायें...
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