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मंगलवार, सितंबर 29, 2015

"डिजिटल इंडिया की दीवानगी मुबारक" (चर्चा अंक-2113)

मित्रों।
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

डिजिटल इंडिया की दीवानगी मुबारक  

ज़िन्दगीनामा पर Sandip Naik 

ये क्या दुनिया बनाई है 

Madan Mohan Saxena
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बच्चे `भविष्य के कर्णधार है 

माता-पिता की आकांक्षा ने दशा ख़राब बना दी 
बचपन की मासूम हंसी अवसाद तले ही दबा दी 
सर्वश्रेष्ठ बनने की धुन में ख्वाब अनेकों मिटा दी 
नन्हें-मुन्हें हाथों में तो मोटी किताबें थमा दी... 
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वर्ल्ड रेबीज डे ... 

आज वर्ल्ड रेबीज डे है। क्या आप जानते हैं : * रेबीज एक १०० % फेटल रोग है। यानि यदि रेबीज हो गई तो मृत्यु निश्चित है। * लेकिन यह १०० % प्रिवेंटेबल भी है। यानि इससे पूर्णतया बचा जा सकता है। * इसका बचाव भी बहुत आसान है। अब पेट में १४ दर्दनाक ठीके नहीं लगाये जाते। * कुत्ते या बिल्ली आदि के काटने पर महज घाव को बहते पानी और साबुन से १० मिनट तक धोते रहिये। फिर कोई भी एंटीसेप्टिक लगा दीजिये। पट्टी बिलकुल मत बांधिए । * उसके बाद बस डॉक्टर की शरण में चले जाइये। आपका काम हो गया... 
अंतर्मंथन पर डॉ टी एस दराल 
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मत समझना हम हुए लाचार से 

लौट जो आए तिरे दरबार से 
मत समझना हम हुए लाचार से
 हुस्ने मतला- नाव तो 
हम खे रहे पतवार से... 
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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गीत "काले दाग़ बहुत गहरे हैं" 

रंग-रंगीली इस दुनिया में, झंझावात बहुत गहरे हैं।
कीचड़ वाले तालाबों में, खिलते हुए कमल पसरे हैं।।

पल-दो पल का होता यौवन,
नहीं पता कितना है जीवन,
जीवन की आपाधापी में, झंझावात बहुत उभरे हैं।
कीचड़ वाले तालाबों में, खिलते हुए कमल पसरे हैं... 
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किताबों की दुनिया -110 

नीरज पर नीरज गोस्वामी 
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कैसे भूल सकती हूँ … 

सुन बिटिया झुमकी , कुछ महीनों पहले तुझे सोचते हुए लिख डाला था । आज मैं पोस्ट कर रही हूँ । तू अपने स्कूल की धर्मशाला ट्रिप में खूब खूब मज़े करना। फोटोग्राफी, हाईकिंग, कैंपिंग , गपशप, कूदना, फाँदना सब कुछ पर अपना ख्याल रखना । पापा और मैं इंतज़ार कर रहे है । कैसे भूल सकती हूँ, उन दो पैरेलल लाल लकीरों को … 
Sunehra Ehsaas पर Nivedita Dinkar 
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काश छोड़ा न होता घर अपना 

दूर अपने घर से जाने कहाँ आ गया मै 
आँखे बिछाए बैठी होगी वह 
निहारती होगी रस्ता मेरा 
और मै पागल छोड़ आया 
उसे बीच राह पर... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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मेरे दिल आज ये बता दे 

मंजिल है कहीं और तेरी पर रस्ता ये कोई और है, 
मेरे दिल आज ये बता दे, तू जाता ये किस ओर है । 
बेपरवाह गलियों में भटक रहा, क्या तेरे सनम का ठौर है, 
मेरे दिल आज ये बता दे, तू जाता ये किस ओर है ... 
ई. प्रदीप कुमार साहनी 
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उड़न तश्तरी 

Fulbagiya पर डा0 हेमंत कुमार 
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उसका बदन छूकर 

उसका बदन छूकर कोई बयार आएगा 
फिर खामोश आॅखों में प्यार आएगा... 
Sanjay kumar maurya 
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1 टिप्पणी:

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