मित्रों।
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
गीत
"खान-पान-परिधान विदेशी, फिर भी हिन्दी वाले हैं"
अंग्रेजी भाषा के हम तो, खाने लगे निवाले हैं
खान-पान-परिधान विदेशी, फिर भी हिन्दी वाले हैं
अपनी गठरी कभी न खोली, उनके थाल खँगाल रहे
अपनी माता को दुत्कारा, उनकी माता पाल रहे
कुछ काले अंग्रेज, देश के बने हुए रखवाले हैं...
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जीना ही होगा
तुझे जीना ही होगा अनुकूल बात,
हो न हो, कार्यान्त रात, हो न हो,
न्यूनतम व्याप्त, विषयगत आस , हो न हो।
हृदय-तम अब हटाना है...
हृदय-तम अब हटाना है...
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रविश के महाभक्त
आजकल रविश का फेसबुक और सोशल मिडिया से चले जाना एक राष्ट्रीय मुद्दा बना हुआ है रविश भक्त उनके संग खड़े है, कहाँ खड़े है ? बिस्तर में, टायलेट में या बाथरूम में? ये नहीं पता बस खड़े हैं, एक टांग पे. रविश के भक्ति में वही डूबे है जो विरोधी विचारधारा को मानाने वाले को भक्त कहते है, अजीब है. रविश कैसे पतरकार है ये मुझे कुछ ख़ास नहीं मालुम, क्योकि उनके किसी भी रिपोर्ट या बहस से देश को कोई फायदा नहीं हुआ है न ही उनसे कोई भी औसत बुध्धि का प्रभावित हो सकता है ...
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उत्तर सदी की हिन्दी कहानी :
समाज और संवेदनाएं
उत्तर सदी की हिन्दी कहानी का विकास दुनिया के किसी भी साहित्य में उपलब्ध प्रक्रिया के तहत अपने आप में अनूठा होगा इस लिहाज से कि हिन्दी कहानी ने इस समय में बहुतेरी ना मात्र घटनाओं को देखा, परखा और समझा वरन भुगता भी है इसलिए उत्तर सदी की हिन्दी कहानी एक नाटकीयता नहीं, एक कहानी की परम्परा नहीं बल्कि एक सम्पूर्ण इतिहास को व्याख्यित करती है जहां लेखक, इतिहासकार, कलाकर्मी अपने समय से दो चार होते है मुठभेड़ करते है और फिर उस सब होने, देखने और भुगतने का सिलसिलेवार दस्तावेजीकरण करते है और हमें सौंपते है है एक समृद्ध विशाल और बड़ा फलक...
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itchen Tips- bhag 5
नीचे दिए हुए सारे किचन टिप्स शायद आपको नए न लगें, लेकिन कुछ टिप्स काम के ज़रूर लगेंगे! • डोसा बनाने से पहले यदि तवा साधा हो (नॉनस्टिक न हो) तो तवे पर थोड़ा सा नमक भुन कर गुलाबी कर ले। चिपकेगा नही। • किसी भी प्रकार के चीले बनाने की आपकी योजना पहले से ही तय है तो ऐसे में रोटियाँ सेंकने के बाद तवे को मांजे नहीं। पहला चीला भी तवे पर नही चिपकेगा। (तवा साधा हो तो) • डोसा या किसी भी प्रकार के चीले का घोल तवे पर डालने से पहले तवे पर पानी के छींटे मारे। डोसा या चिला तवे पर नहीं चिपकेगा....
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प्यास
प्यास प्याज में मात्र भोजन की सीरत सूरत स्वाद सुगंध बदलने की कूबत ही नहीं सत्ता परिवर्तन की भी क्षमता है. प्याज और सरकार एक दूसरे के पर्याय हैं. एक जैसे गुण अवगुण एक जैसे भूमिगत तलघरों की तरह एक के भीतर एक परत दर परत खुलना गोपनीयता यथावत. हर बार बढती जिज्ञासा अंततः हाथ खाली के खाली और ऑंखें नम. नहीं जानती प्याज को सत्ता का नाम दूँ या सत्ता को प्याज या दोनों का संमिश्रण व संश्लेषण कर प्या--स कहूँ...
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मोहब्बत के हरम
वो कहते हैं
दिल के जंगल में फूल खिले गर
मोहब्बत का कोई तो
शायद हो जाये हरा...
vandana gupta
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अधूरा मिलन
तराशा था जिसे खाब्बों में
तलाशता फिरा उसे फिर ज़माने में
पर मिला ना कोई ऐसा
अब तलक इस जमाने में...
RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL
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