मित्रों
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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कुछ बातें आज के हालात पर.....
मत भूलें कि हम हिंदू - मुस्लिम या भारतीय - पाकिस्तानी होने से पहले मनुष्य हैं। - मनुष्य का प्रथम धर्म है मानवता एवं नैतिकता, जो कि ये सिखाती है कि हिंसा (आतंकवाद) से किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। - हिंसा (आतंकवाद) किसी भी देश या समाज का धर्म नहीं हो सकता...
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गीत
"धान्य से भरपूर खेतों में झुकी हैं डालियाँ"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
धान्य से भरपूर,
खेतों में झुकी हैं डालियाँ।
धान के बिरुओं ने,
पहनी हैं नवेली बालियाँ।।
क्वार का आया महीना,
हो गया निर्मल गगन,
ताप सूरज का घटा,
बहने लगी शीतल पवन,
देवपूजन के लिए,
सजने लगी हैं थालियाँ...
खेतों में झुकी हैं डालियाँ।
धान के बिरुओं ने,
पहनी हैं नवेली बालियाँ।।
क्वार का आया महीना,
हो गया निर्मल गगन,
ताप सूरज का घटा,
बहने लगी शीतल पवन,
देवपूजन के लिए,
सजने लगी हैं थालियाँ...
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विश्व बुजुर्ग दिवस पर
एक पेशकश
यह आधुनिक और विकसित जीवन की ही देन है जो बच्चे स्कूल की शिक्षा ख़त्म होते ही घर छोड़ने पर मज़बूर हो जाते हैं , और फिर कभी घर नहीं लौट पाते। अक्सर सुशिक्षित समाज में मात पिता बुढ़ापे में अकेले ही रह जाते हैं। आज विश्व बुजुर्ग दिवस पर एक रचना , पिता का पत्र पुत्र के नाम...
अंतर्मंथन पर डॉ टी एस दराल
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आरक्षण
बचपन से आज तक
एक ही शब्द सुना आरक्षण
हर वर्ग चाहता आरक्षण
क्या सभी लाभ ले पाते हैं ?
चन्द लोग ही लाभ उठाते हैं
आरक्षण के लाभ गिनाते हैं
सच्चे चाहने वाले
देखते रह जाते हैं
आरक्षण की मलाई
चंद लोग ही खा पाते हैं ...
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अफसाना शेख चिल्ली का
याद आता है अफसाना, शेख चिल्ली का।
खम्बा नौंचना, खिसियाई बिल्ली का...
Jayanti Prasad Sharma
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प्यार
बहुत चाहता हूँ मैं तुम्हें,
ख़ुद से भी ज़्यादा,
कोई फ़िल्मी डायलाग नहीं है यह,
हकीक़त है,
जैसे किस्से कहानियों में
राजा की जान तोते में होती थी,
मेरी तुममें है...
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जब कभी मैं कह न पाऊँ ....
जब कभी मैं कह न पाऊँ...
और अगर तुम सुन सको...
मानसी पर Manoshi Chatterjee
मानोशी चटर्जी
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सर्जिकल स्ट्राईक के बाद
आगे क्या?
जंग होती है तो क्या होंगे
उसके मायने...
खुशदीप
देशनामा पर
Khushdeep Sehgal
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अब हमारी बारी
देश की सरहदों पर तैनात हमारे जवान हमेशा अपनी जान हथेली पर लिये देश की रक्षा में लगे रहते हैं। जान देने की बारी आने पर एक पल के लिए भी नहीं सोचते ना खुद के बारे में ना अपने परिवार के बारे में। जिस तरह हम अपने घरों में इस विश्वास के साथ चैन से सोते हैं कि सरहद पर सैनिक हैं उसी तरह वे विश्वास करते हैं कि पीछे से देश की जनता और सरकार है जो उनके परिवार की देखभाल करेगी...
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पिंक :
तू खुद की खोज में निकल
बात बहुत पीछे से शुरू की जा सकती है, पर चलिए एक ताज़ा उदाहरण से कहते हैं. 2007 में एक फ़िल्म आई थी *'**जब वी मेट**'*. उस फिल्म में रेलवे का स्टेशन-मास्टर नायिका करीना कपूर से कहता है, ‘*अकेली लड़की खुली तिजोरी की* *तरह होती है.*’ हालांकि नायिका द्वारा तब उस फ़िल्म में एक पुरुष द्वारा कहे गए स्त्री-विरोधी, पूर्वाग्रही, सामंती वाक्य का वैसा विरोध नज़र नहीं आया था...
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पाक को हमने सबक अब है सिखाना
पाक को हमने सबक अब है सिखाना
आज भारत को जहाँ में है उठाना .
साँस दुश्मन को मिटा कर आज लेंगे दम
साथ मिलकर है बुराई को मिटाना...
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अनकही.... आधी-अधूरी!!!
आज सुबह कुछ नयी सी लगी,
या यूँ कहूँ की वही कुछ दिल में छिपे
एहसासों को लिये,
नई सी लगी..
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पाक को करारा जबाब
ऐ वीर जवानों उठ जाओ भारत माँ ने ललकारा है.
अब बहुत हो चुका कतले - आम अब सबने ललकारा है...
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कंठ-कंठ से उठा जयघोष
इस्लामी हमलों से आहत
जब-तब होता रहता भारत
सरहद पर बसने वाले लोग
आतंक के साये में जीते लोग...
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पशुविहीन संसार
25 वर्ष पुराना मेरा पहला वैचारिक लेख। मुझे अब इसमें कुछ कमियाँ दिखायी देती हैं। क्या आपको भी? पशुविहीनसंसार कीकल्पना बड़ीविचित्र-सीलगती है।मानव जीवनके सभ्य-असभ्यदोनों रूपोंमें पशुओंकी अपरिहार्यतासर्वमान्य रहीहै। मानवीयसृष्टि केआरंभ में राष्ट्रीयप्रार्थना के वैदिकमंत्रों मेंपशुओं का सम्मानपूर्वक उल्लेख मिलता है। यजुर्वेदमें ‘दोग्ध्रीःधेनुर्वोढ़ाSनड्वानाशुः’ कहकर वायुॠषि नेमनुष्य मात्रके लिए दुधारूगउओं, भारवाहकबैल वबलशाली अश्वोंकी कामनाकी है...
प्रतुल वशिष्ठ
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विचार कीजिये,
कन्या पूजन के समय
सभी को शारदीय नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएँ। अब से नौ दिन देवी पूजा के साथ-साथ कन्या पूजन भी होगा। हमारे भारत देश में यह कैसी विडम्बना है कि हम स्त्री को, कन्या को देवी मान कर पूजते तो है लेकिन सम्मान नहीं करते। यहाँ अब भी स्त्री मात्र देह ही है,सम्पूर्ण व्यक्तित्व नहीं । तभी तो हम मूर्तियों को पूजते हैं, हाड़ -मांस की प्रतिमूर्ति का तिरस्कार करते हैं...
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चोर की दाढ़ी में तिनका
मुस्कुराईये कि आप फेसबुक पर हैं, गुनगुनाईये कि आप फेसबुक पर हैं, कुछ हसीन लम्हे कुछ चंचल शोखियाँ, कहीं नखरा कहीं गुमानियाँ, एक सपना जो जीवन को हसीन बना रहा है, कहीं ख्वाब जगा रहा हैं, कहीं दिल सुलगता है. कहीं आग जलती है तो रोटियां भी सिकती हैं. जिंदगी तेरे बिना कुछ भी नहीं .... दुनियाँ इतनी हसीन है यह सोचा भी नहीं. एक नशा जो नशा बनकर होश उडाता है तो कहो होश जगाता है. देखा जाये तो यह चोर है दिल का चोर जो आपका चैन लूटकर खुद चैन की साँस ले रहा है. एक ऐसा चोर जिसकी दाढ़ी में तिनका भी है। कहीं चोर की दाढ़ी में कहीं तिनका तो नहीं...
sapne(सपने) पर
shashi purwar
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हमें नहीं आता...
अपनी हसरतों पर लगाम लगाने हमें नहीं आता,
उसकी मोहब्बतों का कलाम सुनाने हमें नहीं आता।
कश्ती अगर साथ छोड़ दे जिसका बीच भँवर में,
ऐसे समंदर को सलाम करने हमें नहीं आता...
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बढ़िया चर्चा. मेरी रचना को जगह दी. शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर व सार्थक लिंक्स से सजा चर्चा मंच. हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर रविवारीय प्रस्तुति। आज की चर्चा में जगह देने के लिये हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंराष्ट्र निर्माताओं के जन्मदिन पर आकाश भर बधाइयाँ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना आदिवासी और आजादी को सम्मिलित करने के लिए बहुत -बहुत आभार।
आपका ह्रदय से आभार मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए बहुत -बहुत आभार।सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएं