मित्रों
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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!!रावण या रक्तबीज!!
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
आज
दशहरा है
राक्षसों के
गगनचुम्बी पुतले
मैदान में सजे हैं
रामलीला मैदान में
मेला लगा है
लोगों की भीड़ में
श्री राम के
जय के उद्घोष के साथ
पुतलों का के साथ
युद्ध शुरू हो चुका था
नवयुग की
यही तो मर्दानगी है...
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दशहरा
चलो, आज शाम चलते हैं,
देखते हैं रावण का जलना,
बुराई पर अच्छाई की विजय,
देखते हैं कि किस तरह राख हो जाते हैं दस सिर,
किस तरह मारा जाता है कुम्भकर्ण...
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मिलती रहे सदा खुशियाँ प्यार की गली है
तकदीर से मिले तुम तो ज़िंदगी मिली है
तकदीर से हमें जीवन में ख़ुशी मिली है ..
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शीर्षकहीन
हे जगदम्बे महिषासुर मर्दिनी माँ
उद्धार करो जग का हे तमहारिनी माँ।
आतंक है छाया आततायी भष्मासूरों का
संहार करो वहशियों का हे अष्टभुजंगिनी माँ।
आह्वान करते हम आद्या ,लक्ष्मी और शारदे का
शक्ति वैभव और विद्या दो हे वरदायिनी माँ...
उद्धार करो जग का हे तमहारिनी माँ।
आतंक है छाया आततायी भष्मासूरों का
संहार करो वहशियों का हे अष्टभुजंगिनी माँ।
आह्वान करते हम आद्या ,लक्ष्मी और शारदे का
शक्ति वैभव और विद्या दो हे वरदायिनी माँ...
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इस ज़माने को समझाये कैसे
इस ज़माने को समझाये कैसे
जो नहीं है मेरा,उसे पायें कैसें
कश्ती टूट गयी गम के झोंके से
लहरों के पार अब जायें कैसे...
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नफ़रत यूँ ही रहने दो -
निशा चौधरी
नफ़रत यूँ ही रहने दो
अपनी आँखोँ मेँ इन्हेँ देखकर
अच्छा लगता है अच्छा लगता है कि
नफ़रत ही बन कर सही आख़िर हूँ तो इनमेँ
लेखक परिचय - निशा चौधरी
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कबीर साहिब और
सत्साहित्य पुस्तकों के लिंक
अक्सर ही मेरे पास कबीर साहिब के अनमोल साहित्य.. बीजक, अखरावती, अनुराग सागर आदि और अन्य आत्मज्ञान के सन्तों की वाणियों की पुस्तकों की प्राप्ति हेतु प्रकाशन के नाम, पता और इंटरनेट पर उपलब्ध pdf पुस्तकों के लिंक की जानकारी के लिये फ़ोन, संदेश आते रहते हैं ।
जिज्ञासुओं और शोधकर्ताओं की इसी मांग को देखते हुये हमने इंटरनेट पर उपलब्ध सत्साहित्य पुस्तकों के विभिन्न लिंकों की यह सूची प्रकाशित की है ।
जिसे संजोया और उपलब्ध कराया है - दीपक अरोरा ने...
जिज्ञासुओं और शोधकर्ताओं की इसी मांग को देखते हुये हमने इंटरनेट पर उपलब्ध सत्साहित्य पुस्तकों के विभिन्न लिंकों की यह सूची प्रकाशित की है ।
जिसे संजोया और उपलब्ध कराया है - दीपक अरोरा ने...
rajeev kumar Kulshrestha
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मानसिक बीमारी -
कारण, लक्षण एवम उपाय !
वर्ल्ड मेन्टल हेल्थ डे - 10 अक्टूबर ! एक समय था जब बीमारियां लोगो कोसो दूर रहती थी क्यों कि उस समय में लोगो का खान पान बिलकुल शुद्ध था। उस समय मानसिक बीमारी जैसे शब्द तो सुनने में आते ही नहीं थे। लोगो को मानसिक बीमारियां नहीं थी क्यों कि अधिकतर लोग एक दुसरे से मिलजुलकर रहते थे, एक दुसरे से प्रेम करते थे...
Manoj Kumar
बहुत सुन्दर सूत्र आज की चर्चा में ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत - बहुत धन्यवाद एवं आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति महोदय जी। चर्चामंच में मेरे ब्लॉग को शामिल करने के लिए आपका बहुत—बहुत शुक्रिया... http://charichugli.blogspot.in
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!