मित्रों
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहे
"पर्व अहोई खास"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

कुलदीपक के है लिए, पर्व अहोई खास।
होती अपन तनय पर, माताओं को आस।।
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माताएँ इस दिवस पर, करती हैं अरदास।
उनके सुत का हो नहीं, मुखड़ा कभी उदास...
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महिषासुर के कितने ठिकाने !!!
प्राचीन भारतीय समाज में वृक्षों, जन्तुओं, नदियों की पहचान पर नामवाची संज्ञाएँ बनती रही हैं। चाहे व्यक्तिनाम हो, समूह नाम हो या स्थाननाम हो। जैसे सैन्धव, नार्मदीय, (सिन्धु, नर्मदा से) पीपल्या, बड़नगर, इमलिया, वडनेरकर (पीपल, इमली, वट से) गोसाईं, घोसी, गोमन्तक, गोवा (गाय से), हिरनखेड़ा, हिरनमगरी, हरनिया (हिरण से) आदि अनेक संज्ञाएँ सामने आती हैं। ताज़ा महिषासुर प्रसंग में महिषासुर-दुर्गा को लेकर पाण्डित्य बह रहा है। आख्यानों के आख्यान रचे जा रहे हैं। इन मिथकीय आधारों का उल्लेख धार्मिक साहित्य में सर्वाधिक हुआ है...
अजित वडनेरकर
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दिलों की सरहद
दिलों में बनी सरहद को अब मिटाना होगा
पानी होते खून को फिर खून बनाना होगा...
कविता मंच पर
Hitesh Sharma
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धोनी की ढलान
महेन्द्र सिंह धोनी जब विकेट पर बल्लेबाज़ी करने आते थे तो दुनिया के किसी भी हिस्से में हो रहे मैच में किसी भी स्कोर का पीछा करना नामुमकिन नहीं लगता था। दुनिया के सबसे बेहतरीन फीनिशर धोनी का करिश्मा शायद अब चुकने लगा है...
गुस्ताख़ पर Manjit Thakur
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सूरज ढलते-ढलते वो भी चली गयी
कितने बरस हो गए जब भी सोंचा कि तुम मिलोगी,
मिलती ही रही हो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में...
प्रभात
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सिर का गंजापन दूर करें
बस कुछ आसान से उपायों के साथ
बहुत बार ऐसा होता है कि सिर पर चोट लगने के कारण या किसी बीमारियां के कारण हमारे सिर वाले बाल धीरे-धीरे घिसने (झडने) लगते जाते हैं। लगातार बालों का इस तरह से झडना ही गंजेपन का कारण बन जाता है। लेकिन चिंता करने से, किसी परेशानी से भी सिर के बाल गिरने लग जाते हैं...
Mukesh Sharma
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लौटें न हंजू कभी
मिलता न जीवन कभी , शाखों से टूटकर -
लौटें न हंजू कभी आँखों से छूट कर...
udaya veer singh
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कदम तो राखो काशी में
तर जाओगे काशी में

नित नए उत्सवों , महोत्सवों की काशी ।
सबको अपना मानने वाली काशी ।
हजारों रंगो से सराबोर काशी ।
विश्व की सर्वाधिक पूजनीय नगरी काशी...
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सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरे सृजन को आज के मंच पर स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार शास्त्री जी !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार मयंक जी
ReplyDelete"रु-ब-रु" को इसमें शामिल करने के लिए.
मैं लगभग २ साल बाद ब्लॉग कि दुनियां में वपिश आया हूँ और मैं बहुत उत्साहित हूँ.
हर एक लेखक के लिए ब्लॉग बहुत अच्छा जरिया है और ब्लॉग में चर्चा मंच.
लेकिन चर्चा मंच की हेडिंग पर लिखी गयी वो 2-4 पंक्तियाँ कि "...आज कल ब्लॉग लेखन बहुत कम हो गया है...." मेरे उत्साह को कम करती है.
मानता हूँ वास्तविकता से अवगत करना बहुत जरूरी होता है लेकिन ऐसी वास्तविकता जो नकरात्मक हो उसे छुपाना भी चाहिए.
मैं जनता हूँ कि चर्चा मंच पॉजिटिव थिंकिंग के साथ नये नये लेखकों को जोड़ने की काबिलीयत रखता.
जितनी भी लिंक आप चर्चा में जोड़ो उन पर वास्तविक टिप्पणी दो फिर उनको सूचित करो कि आपकी पोस्ट का लिंक चर्चा मंच पर दिया जा रहा है...इससे उदासीनता दूर होगी....
नयापन लाना बहोत जरूरी है, बदलाव हर एक की मांग है.
धन्यवाद. :)
सत्य नकारात्मक नहीं होता है । सोच नकारात्मक होती है । एक आदमी कई सालोंं से बिना रुके ब्लाग पर जा जा कर सूचित करता रहता है कि पोस्ट चर्चा मंच पर रखी गई है पर फुरसत ही नहीं है बस दो शब्द आभार के दे सकें हम उन्हें ।
Deleteसम्माननीय,
Deleteएक सकारात्मक सोच हजार नकरात्मक सोच को बदल सकती है
और नकारात्मक सोच पैदा भी की जा सकती है.
चर्चा मंच इतने सालों से काम कर रहा है इसीलिए तो वो दोनों काम कर सकता है...नकरात्मक भी और सकारात्मक भी.
लगातार एक जैसा काम करने से रुढिवादिता आ जाती है फिर उसका कोई अर्थ नहीं रह जाता.
:)
नजरिया अपना अपना होता है किसी पर लादा नहीं जा सकता है ये बात उस समय समझ में आती है जब आप किसी को समझाना शुरु हो जाते हैं । हा हा ।
Deleteसुन्दर सोमवारीय अंक ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा सूत्र.मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार !
ReplyDeleteसार्थक चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
ReplyDeleteप्रणाम गुरुदेव!चर्चा मंच पर आकर मन को बहुत सुकून मिलता है। चर्चा मंच की परंपरा यूं ही अबाध रुप से चलती रहे।
ReplyDeleteमेरी रचना को स्थान देने के लिए ह्रदय तल से आभार।
आज सोमवार की सुन्दर चर्चा।
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