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रविवार, अक्तूबर 16, 2016

"शरदपूर्णिमा" {चर्चा अंक- 2497

मित्रों 
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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दोहे  

"बुरे वचन मत बोल" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

Image result for कपास की खेती
कभी चढ़ाई है यहाँ, होता कभी ढलान।
नहीं समझना सरल कुछ, जीवन का विज्ञान।।
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सच्ची होती मापनी, झूठे सब अनुमान।
ताकत पर अपनी नहीं, करना कुछ अभिमान... 
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एक ग़ज़ल :  

जो जागे हैं... 

जो जागे हैं मगर उठते नहीं उनको जगाना क्या 
खुदी को ख़ुद जगाना है किसी के पास जाना क्या... 
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक 
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परिकर जी के लिए तालियां 

सर्जिकल स्ट्राइक भारतीय सेना का एक एेसा कार्य जिस पर हर भारतीय को गर्व होना चाहिए और जो कि है भी और जिस कार्य के लिए विपक्ष तक ने प्रधानमंत्री तक की तारीफ करने में कोई कोताही नहीं बरती लेकिन सत्ता पक्ष सेना के इस कदम को पूरी तरह अपना कदम साबित करने में जुटा है घमंड रक्षा मंत्री के सिर चढ़कर बोल रहा है वे लगातार ये कहने में लगे हैं कि एेसी सर्जिकल स्ट्राइक पहली बार हुई, जबकि इतिहास गवाह है कि यूपीए के शासन में भी ऐसी सर्जिकल स्ट्राइक होती रही है... 
! कौशल ! पर 
Shalini Kaushik 
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जो जागे हैं मगर उठते नहीं उनको जगाना क्या 
खुदी को ख़ुद जगाना है किसी के पास जाना क्या... 
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खाली कमरा 

त्यौहारों का मौसम है घर के दरो दीवार साफ़ करके चमकाने का वक्त है ! कहीं कोई निशान बाकी न रह जाये कहीं कोई धब्बा नज़र न आये कुछ भी पुराना धुराना बदसूरत दिखाई न दे ! सोचती हूँ बिलकुल इसी तरह आज मैं अपने अंतर्मन की दीवारों को भी खरोंच-खरोंच कर एकदम से नये रंग में रंग दूँ... 
Sudhinama पर sadhana vaid 
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और मैं चुप ! 

'नानी ,काँ पे हो...?' 
'कौन है ?' 
अनायास मेरे मुँह से निकला, 
महरी बोली,'आपकी नतनी ,और कौन... 
लालित्यम् पर प्रतिभा सक्सेना 
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6 टिप्‍पणियां:

  1. शरदपूर्णिमा की बहुत-बहुत बधाई और इस चर्चा के लिये मेरा आभार स्वीकार करें !

    जवाब देंहटाएं
  2. शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएं । सुन्दर चर्चा ।

    जवाब देंहटाएं
  3. शारदेय पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं शास्त्री जी ! आज के चर्चामंच पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार !

    जवाब देंहटाएं
  4. Anil Tyagi
    October 14 at 11:35pm ·
    *न रख* १४-१०-१६
    ******************
    बेनूर आँखों मे अब कोई उम्मीद-ए-नूर न रख ,
    चला-चली के अफसाने मे अब पुरनूर न रख ||
    सफर ताबील सही - बैसाखियों को दूर न रख ,
    गर्दिश-ए-अय्याम मे हौसलों को मजबूर न रख ||
    (त्यागी बाबा)

    जवाब देंहटाएं
  5. चर्चामंच पर मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार ।

    जवाब देंहटाएं

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