मित्रों
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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गीत
"आ भी आओ चन्द्रमा तारों भरे आकाश में"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
थक गई नजरें तुम्हारे दर्शनों की आस में।
आ भी आओ चन्द्रमा तारों भरे आकाश में...
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क्या आप जानते हैं
संख्या 18 के बारे में ?
भारतीय मनीषा से अठारह का संबंध बहुत आश्चर्यजनक है .. ..आईये आपको बतातें हैं कैसे ..हमारे पुराण अठारह है ,गीता के अध्याय भी अठारह......देवी भागवत और वामन पुराण आदि ग्रंथों में एक प्रसिद्ध श्लोक में बड़े ही सुंदर ढंग से सूत्रबद्ध शैली में पुराणों के नाम व संख्या का वर्णन है ..इस से भारतीय मनीषा की अध्यात्मिक व दार्शनिक मेघा की अभिव्यक्ति होती है | शतपथ ब्राह्मण में सृष्टि नमक अठारह इष्टिकाओं का प्रावधान है | ऋग्वेद में गायत्री और विराट छन्द की बहुलता है .गायत्री के आठ व विराट के दस अक्षर मिला कर अठारह की संख्या बनाते हैं...
ranjana bhatia
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सफ़र में...
सुशील यादव
तुम बाग़ लगाओ, तितलियाँ आएँगी
उजड़े गाँव नई बस्तियाँ आएँगी
जिन चेहरों सूखा, आँख में सन्नाटा
बादल बरसेंगे, बिजलियाँ आएँगी...
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चुभती हवा रुकेगी क्या,
कंबल है तारतार !!
हमने उनको यक़ीन हो कि न हो हैं हम तो बेक़रारचुभती हवा रुकेगी क्या कंबल है तारतार !!मंहगा हुआ बाज़ार औ'जाड़ा है इस क़दर-किया है रात भर सूरज का इंतज़ार....
गिरीश बिल्लोरे मुकुल
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डाकिया दाल लाया .......
...इतिहास से सबक लेने वाले लोग विवेकशील ही माने जाते है और प्याज ने कितने को रुलाया कि उसकी आह से सरकार चल बसी। इससे सबक हो या कुछ और किन्तु लगता है अब डाकघर और डाकिये के अच्छे दिन आने वाले है। आज ही समाचारपत्र में देखा है कि अब सरकार डाक घर के माध्यम से दाल बेचने वाली है।आखिर जब दाल रोटी भी नसीब होना दुश्वार होने लगे तो कुछ न कुछ क्रांतिकारी कदम तो उठाना ही पड़ेगा...
Kaushal Lal
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वैज्ञानिक युग में
वास्तु का महत्व
अपना घर ,हमारा अपना प्यारा घरौंदा ,वह स्थान जो सिर्फ हमारा अपना है ,जहाँ हम आज़ाद है कुछ भी करने के लिए ,यह वह स्थान है ,जो दर्शाता है हमारे रहन सहन को ,हमारे चरित्र को,जहाँ हम अपनी सारी इच्छाएं पूरी करना चाहते है...
Rekha Joshi
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हर मयक़शी के बीच कई सिलसिले मिले
देखा तो मयकदा में कई मयकदे मिले ।।
साकी शराब डाल के हँस कर के यूं कहा।
आ जाइए हुजूर मुकद्दर भले मिले...
तीखी कलम से पर
Naveen Mani Tripathi
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मैंने कहा सबने सुना ।।।
जो होना होगा वही होगा।।
किसीने माना कोई न माना।।।
जिसने जाना उसने माना।।।
और-- सांसारिकता से निश्चिंत हो गया...
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कृति - बेटी चालीस
कवि - राजकुमार निजात
पुरुष और स्त्री जब जीवन रूपी गाड़ी के समान पहिए हैं तो बेटे-बेटी को भी समान महत्त्व दिया जाना चाहिए, लेकिन न तो स्त्री को समानता का दर्जा मिला और न ही बेटी को | कन्या भ्रूण हत्या के अपराध ने लिंगानुपात को भी प्रभावित किया है और यह बालिकाओं के प्रति समाज का घोर अन्याय भी है...
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प्यार की जायदाद,
तूने किसी ओर के नाम कर दी,
और तेरे लिए हमने,
जवानी मुफ़त में निलाम कर दी..
सुन्दर करवा चौथ चर्चा । शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सामयिक चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंव्यवस्थित सामयिक चर्चा..
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को उचित अवसर प्रदान करने के लिए आभार।
व्यवस्थित सामयिक चर्चा..
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को उचित अवसर प्रदान करने के लिए आभार।
सुंदर चर्चा...
जवाब देंहटाएंआभार