कुछ अच्छा ही होगा कल,..
Priti Surana
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इसलिए कीजिए चीनी सामान का बहिष्कार
lokendra singh
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गागर में सागर पुस्तक मेले का शुभ समापन –डा रंगनाथ मिश्र को मेला संयोजकश्री देवराज अरोरा ने अपना गुरु घोषित किया-डा श्याम गुप्त |
माया महा ठगनी हम जानी।।
Virendra Kumar Sharma
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"प्राचीन स्वास्थ्य दोहावली"-2
yashoda Agrawal
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गाँव नहीं रहा अब गाँव जैसा...3
केवल राम
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दोहे"नहीं जेब में दाम"(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मनमोहक सबको लगें, झालर-बन्दनवार।
जगमग करती रौशनी, सजे हुए बाजार।।
मन सबका ललचा रहे, काजू औ’ बादाम।
लेकिन श्रमिक-किसान की, नहीं जेब में दाम।।
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बहुत सुन्दर सतरंगी चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रविकर जी।
शुभप्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बढ़िया प्रस्तुति रविकर जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
बहुत सुन्दर चर्चा।
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