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मंगलवार, अक्तूबर 11, 2016

"विजयादशमी की बधायी हो" (चर्चा अंक-2492)

मित्रों 
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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सभी पाठकों को 
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जय श्री राम!
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दोहे  

"झूठ जायेगा हार"  

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

विजयादशमी विजय का, पावन है त्यौहार।
जीत जायेगा सत्य अब, झूठ जायेगा हार।।
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दुनिया में सबसे बड़ा, रावण पाकिस्तान।
अन्त करेगा अधम का, अपना हिन्दुस्तान... 

बयां जब कहानी करें न आँखों का पानी मरे 

पत्रिका 'सामायिक सरस्वती' में प्रकाशित एक विवाद में कथाकार-चित्रकार-फिल्मकार प्रभु जोशी पर कहानीकार भालचंद्र जोशी जी का आरोप है कि उन्होंने आदतन अपने बहुत क़रीबी लोगों की हमेशा छवि ख़राब की। इस आरोप में उन्होंने बतौर सबूत तीन ऐसे साहित्यकारों का नाम भी लिया है जिन्हें मैं थोड़ा-बहुत जानता हूँ। तीनों संयोग से कहानीकार हैं। अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। नाम हैं प्रकाश कान्त, जीवन सिंह ठाकुर और सत्यनारायण पटेल। तीनो कहानीकार मूल रूप से देवास के हैं। प्रभु जोशी का जन्मस्थान भी देवास ही है। प्रकाश कान्त को प्रभु जोशी कान्त कहते हैं। जीवन सिंह ठाकुर को काका और सत्यनारायण पटेल को सत्यनारायण... 
हमारी आवाज़ पर शशिभूषण 
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पार्थ जाओ जयद्रथ का वध करो.......! 

...अस्तु  मुद्दा ये था कि कैसे न गिरता सर ज़मीन पर ...... युक्ति थी कृष्ण  के पास कृष्ण ने कहा – “पार्थ जाओ जयद्रथ का वध करो.......! ध्यान रखना सर उसके तापस  वृह्रद्रथ की गोद में गिरे ...... ” हुआ भी यही 100 योजन उत्तर दिशा में अर्थात  कुरुक्षेत्र लगभग 15 सौ किलोमीटर दूरी पर तापस पिता वृह्रद्रथ की गोद में जा गिरा .....  पार्थ जीवित रहे उनके सर के हज़ार हिस्से न हुए हज़ार हिस्से तापस पिता वृह्रद्रथ के हुए...... जिनकी हडबड़ाहट के कारण जयद्रथ का सर जमीन पर गिरा. वरदान भी तो यही दिया था ........ पिता ने. कि जिससे उसका सर गिरेगा उसके सर के टुकड़े होंगे.  

वरदान देने के पहले पात्र कुपात्र का ध्यान अवश्य रहें चाहे वो पुत्र क्यों न हो.  जीवन वही कुरुक्षेत्र है .... जहां कृष्ण जिसके साथ है वो युद्द जीतता है......... जहां हज़ारों कृष्ण के स्वांग साथ हों वहाँ ....... सर के हिस्से हो ही जाते हैं ....... देखना है सुधि पाठक इस कथा का क्या अर्थ लगातें हैं.. 
गिरीश बिल्लोरे मुकुल 
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पेट पर मोटापे का टायर 

आजकल हम हमारी दुनिया में आसपास देखेंगे तो पता चलेगा कि अधिकतर मोटे ही हैं, बहुत ही कम लोग होंगे जिनके पेट पर मोटापे का टायर न हों। खान पान हमारा पिछले 50 वर्षों में बदला है, पहले आम आदमी मोटा नहीं होता था, सही बात तो यह है कि मोटे केवल वही होते हैं.... 
कल्पतरु पर Vivek 
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किस फलसफे पर जाऊं ..... 

किस फलसफे पर जाऊं 
मौत की युक्तियां तलाशें 
या सिर्फ जिंदगी को गले लगाऊं... 
Kaushal Lal 
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लुप्तप्रायः - - 

आज भी उभरते हैं ईशान कोणीय मेघ, 
आज भी गौरैया रौशनदान पर बनाते हैं नीड़, 
आज भी दालान पर बिखरती है चाँदनी 
और खिलते हैं चंद्रमल्लिका भी, हमेशा की तरह। 
किसी के रहने या न रहने से, 
कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ता, 
रंगमंच, यथावत वहीँ रहता है अपनी जगह, 
केवल बदल जाते हैं चरित्र और परिदृश्य... 
Shantanu Sanyal 
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अबला से सबला तक 

अबला से सबला तक हमारे धर्म में नारी का स्थान सर्वोतम रखा गया है। नवरात्रे हो या दुर्गा पूजा ,नारी सशक्तिकरण तो हमारे धर्म का आधार है । अर्द्धनारीश्वर की पूजा का अर्थ यही दर्शाता है कि ईश्वर भी नारी के बिना आधा है ,अधूरा है... 
Ocean of Bliss पर 
Rekha Joshi 
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Reliance Jio sim खरीदें या नही 

जानिए इसके फायदे और नुकसान 

1.      जिओ सिम कार्ड आपने खरीद लिया लेकिन जिओ के नेटवर्क भारत में इतने ज्यादा नही हैं बिना नेटवर्क के आप सिम कार्ड से क्या हासिल कर लेंगे.

2.      जिओ सिम कार्ड जब लॉन्च हुआ था उस समय इसके यूजर्स बेहद कम थे जिससे 4G इन्टरनेट की स्पीड काफी ज्यादा मिलती थी आज इसके यूजर्स काफी ज्यादा हो चुके हैं लिहाज़ा स्पीड 2G की तरह मिल रही है.

3.      जैसा की रिलाइंस ने फ्री कालिंग का दावा किया था वैसा तब होगा जब आपका सिम कार्ड नेटवर्क पकड़ेगा.ज्यादातर जगह पर जिओ के नेटवर्क ना होंने की वजह से लोग फ्री में कॉल नही कर पा रहे हैं.

4.      कम नेटवर्क टावर पर बहुत अधिक यूजर्स होने की वजह से लोड इतना अधिक हो गया है की आप इन्टरनेट यूज करते समय एयरसेल और टाटा के 2G को याद करेंगे.बराबर इन्टरनेट सर्फिंग ही नही हो पा रही तो डाऊनलोड क्या और कैसे होगा... 
Masters Tech पर Info Tech Hindi 
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ऐ दोस्त… तुम ऐसे तो न थे 

जब से तुमको जाना है, तुम ऐसे न थे । 
यूँ कैसे बिखर गए, तुम ऐसे न थे... 
Pushpendra Gangwar 
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पागल- 

लघुकथा 

पागल नये साल की वह पहली किरण धरती पर आने को कसमसा रही थी|बर्फीली हवा के बीच सूर्यदेव अब तक धुंध का धवल कंबल ओढ़े आराम फरमा रहे थे । सुबह के नौ बज चुके थे| अनुराधा ने पूजा की थाली तैयार की और ननद के कमरे में झांक कर कहा," मोनिका! गोलू सो रहा है ,उसका ध्यान रखना प्लीज़।मैं मंदिर जा कर आती हूँ ।" शीत लहर के तमाचे खाते और ठिठुरते हुए उसने मंदिर वाले पथ पर कदम बढ़ाए ही थे कि उसके पैरों को जैसे जकड़ लिया एक बेतरतीब कपड़े एवं बालों वाले पागल ने... 
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु 
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मैं मार्निंग वॉक पर था. 

धूप अभी आई नहीं थी धरती पर प्यास अचकचा कर जगी और दौड़ने लगी पंछी दाने के लिए चौपाये चारे के लिए मनुष्य अपने और पालतू पेट के लिए घरों से निकलने लगे दूसरे भी नज़ारे थे कोई तेज-तेज चल रहा था कोई दौड़ रहा था और कोई अजीब-अजीब आवाजें निकालते हुए रह-रह कर दोनों हाथ हवा में लहरा रहा था यह भूखे-प्यासे की नहीं खाये, पीये, अघाये लोगों की दौड़ थी मगर इनमें भी कोई तृप्त नहीं था उस प्यास की कोई एक मूरत होती तो तस्वीर खींच कर दिखा देता मेरे हाथ में कैमरा था मैं मार्निंग वॉक पर था. 
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय 
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अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता : 

असुर और देवी दुर्गा 

विगत दस सालों में जब जब दुर्गापूजा आता है सोशल प्लैटफ़ार्मस पर एक ट्रेंड चलता है । एक समुदाय स्वयं को महिषासुर से जोड़ कर देवी दुर्गा को निर्बाध गालियां निकालता है और कमाल की बात यह है कि यह तब होता है जब कहते हैं कि इस देश में अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का गला घोटा जा रहा है ....... आदिवासियों को महिषासुर से जोड़ने की शुरुआत जेएनयू से हुई और धीरे धीरे बात यह चारो ओर फैली । आदिवासियों एवं दलितों का धर्मांतरण कराने में जुटी मिशनरियों ने इसे हाथों हाथ लिया एवं महिषासुर को आदिवासियों का नायक बताकर अनेक लेख लिखे गए ... 
Neeraj Kumar Neer 
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कभी था जो अपना पराया हुआ है 

बताए न किसका सताया हुआ है 
मेरा दिल मगर चोट खाया हुआ है 
यक़ीनन मुहब्बत का मारा है ये दिल 
तभी चुप है बेहद लजाया हुआ है... 
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 

1 टिप्पणी:

  1. सुन्दर मंगलवारीय चर्चा । आभार 'उलूक' के सूत्र 'आदमी एकम आदमी हो और आदमी दूना भगवान हो' को जगह देने के लिये ।

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