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मंगलवार, जुलाई 04, 2017

रविकर वो बरसात सी, लगी दिखाने दम्भ; चर्चामंच 2655


दोहे 

रविकर 
पहले तो लगती भली, फिर किच-किच प्रारम्भ।

रविकर वो बरसात सी, लगी दिखाने दम्भ।।

रविकर तेरी याद ही, सबसे बड़ा प्रमाद।

कई व्यसन छोटे पड़े, धंधे भी बरबाद।।

ट्यूबलाइट ---(विनोद कुमार पांडेय ) 

विनोद कुमार पांडेय 

जीवन की शाम 

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किताबों की दुनिया -132 

नीरज गोस्वामी 

यादें नई पुरानी 

राजीव कुमार झा 

बूँदें, बारिश, कविता और आकाश ! 

अनुपमा पाठक

बाहर का संसार 

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"जलद जल धाम ले आये"  

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) 

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प्रवंचना 

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छोड़ो पापिस्तान- 

रविकर 

वजह 

Priti Surana 

GST का असर 

Apple ने अपनी iPhones की कीमतों के की 

भारी कटौती सस्ते हुए सभी IPhone 

Info Tech Hindi 

पोखर के सूखने से 

1. जब सूखता है पोखर 
केवल पोखर ही नहीं सूखता 
सूखते हैं सबसे पहले घास फूस, 
काई मरने लगती हैं मछलियां, 
मेंढक और केकड़े दूर भागते हैं 
पशु-पखेरू किनारे के वृक्ष मरते हैं 
धीरे धीरे आदमी है कि समझता है, 
सूख रहा है केवल पोखर... 
Arun Roy 

काश! के फिर बन पाता रिश्ता 

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 

Untitled 

निर्मला कपिला 

शून्य 

vandana gupta 

कुछ लोग चले जाते हैं तो अच्छा लगता है 

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हाथी के दाँत 

डॉ. कौशलेन्द्रम 

मोदी राजनीति का दस्तावेज 'मोदी युग' 

Lokendra Singh 

8 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर लिंकों के साथ बढ़िया चर्चा प्र्सतुति।
    आपका आभार रविकर जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. जय हो प्रभू
    आज पढ़ने के लिए बेहतरीन लिंक दिए आपने , आभार रविकर भाई !

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति आ. रविकर जी.मुझे भी शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  4. चर्चा मंच में स्थान देने हेतु आभार | अब लेखन में निरंतरता मिलेगी और अपने सभी ब्लॉग मित्रों को पढ़कर भी अच्छा लगेगा | चर्चा मंच में शामिल सभी ब्लॉग लेखकों को बधाई एवं आपका धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर लिंक्स, आभार

    रामराम
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

    जवाब देंहटाएं

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