मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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-ललिता चन्द्रावली राधा का त्रिकोण ---
प्रेम, तपस्या एवं योग-ब्रह्मचर्य का
उच्चतम आध्यात्मिक भाव-तत्व ----
चन्द्रावली सखी----
डा श्याम गुप्त
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चांद निकला आंगन हमारे
शाम कठिन है रात कड़ी है
आंसूओं की लगी झड़ी है ,
राह निहारे प्रियतम तेरी
पथ पर आज गोरी खड़ी है...
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बनोगी उसकी ही कठपुतली
माथे ऊपर हाथ वो धरकर
बैठी पत्थर सी होकर
जीवन अब ये कैसे चलेगा
चले गए जब पिया छोड़कर ...
! कौशल ! पर Shalini Kaushik
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एक म्यूजिकल स्केच है जग्गा जासूस
ajay brahmatmaj
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कपिल शर्मा के साथ ये तो होना ही था...
खुशदीप
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गुलाबी कागज के टुकडे
डॉ. अपर्णा त्रिपाठी
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----- || दोहा-एकादश || -----
बथुरत पूला आपना, बँधेउ पराए पूल |
भरम जाल भरमाइ के बिनसत गयउ मूल || १ ||
भावार्थ : --
सुप्रभात शास्त्री जी ! बहुत खूबसूरत एवं पठनीय सूत्रों का संकलन आज के चर्चामंच में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार !
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआकर्षक कलेवर में
अच्छा लगा
आभार
सादर
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा ......
जवाब देंहटाएंआभार|
बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएं