मेरा परिचय
रविकर
आजादी दिन साठ का, सरयू जी के तीर।
पटरंगा में जन्मता, नश्वर मनुज शरीर।।
इंस्ट्रक्टर के रूप में, कर्मक्षेत्र धनबाद।
झाँसी चंडीगढ़ रहा, रहा अयोध्या याद।
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वहीं विद्वान शंका में, हमेशा मार खाते हैं
रविकर
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आखिर अब हम कब बदलेंगे? ::डॉ. सत्यनारायण पाण्डेय
अनुपमा पाठक
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शिवना साहित्यिकी काजुलाई-सितम्बर 2017 अंक
पंकज सुबीर
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मेरी नजर से एक बैचलर के कमरे में कविता के लेखक शरद कोकास :)
संजय भास्कर
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रिमाइंडर-लघुकथा
ऋता शेखर 'मधु'
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गिद्धीयनर
डॉ. अपर्णा त्रिपाठी
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गीतांजलि गिरवाल की दो कविताएँ
डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar
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कुण्डली हाइकू
Asha Saxena
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आग, पानी और प्यास....प्रेम नंदन
yashoda Agrawal
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पौराणिक आख्यानों की ओर
राजीव कुमार झा
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दोहे
कालीपद "प्रसाद"
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पहल करो – खेल तुम्हारा होगा
smt. Ajit Gupta
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किताबों की दुनिया -135
नीरज गोस्वामी
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दोहे "तीजो का त्यौहार"(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')![]() -- ![]()
उलूक टाइम्स पर
सुशील कुमार जोशी
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मन थोड़ा अनमना सा ....
मन थोड़ा अनमना सा
घर के कुछ कोने उदास हैं
दूर गया है आज वो मुझसे
जो मन के पास है ! ...
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सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteआपका आभार आदरणीय रविकर जी।
शुभ प्रभात रविकर भाई
ReplyDeleteवजनदार प्रस्तुति
आभार
सादर
बहुत सुंदर चर्चा मंच प्रस्तुति.
ReplyDeleteमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
सुन्दर, सार्थक एवं सारगर्भित सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी प्रस्तुति को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार रविकर जी !
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeletejay jay
ReplyDeleteबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
ReplyDeleteबढ़िया रहा !
ReplyDeleteसुन्दर सूत्रों के साथ पेश आज की सुन्दर रविकर चर्चा में 'उलूक' की बकबक को भी स्थान देने के लिये आभार ।
ReplyDeleteसुंदर लीम्क्स, बहुत आभार
ReplyDeleteरामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग