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Tuesday, July 25, 2017

वहीं विद्वान शंका में, हमेशा मार खाते हैं; चर्चामंच 2677


मेरा परिचय 

रविकर 
आजादी दिन साठ का, सरयू जी के तीर। 
पटरंगा में जन्मता, नश्वर मनुज शरीर।। 

इंस्ट्रक्टर के रूप में, कर्मक्षेत्र धनबाद। 

झाँसी चंडीगढ़ रहा, रहा अयोध्या याद। 

वहीं विद्वान शंका में, हमेशा मार खाते हैं 

रविकर 

आखिर अब हम कब बदलेंगे? :: 

डॉ. सत्यनारायण पाण्डेय 

अनुपमा पाठक 

शिवना साहित्यिकी का 

जुलाई-सितम्बर 2017 अंक 

पंकज सुबीर 

मेरी नजर से एक बैचलर के कमरे में कविता के लेखक शरद कोकास :) 

संजय भास्‍कर 

रिमाइंडर-लघुकथा 

ऋता शेखर 'मधु' 

गिद्धीयनर 

डॉ. अपर्णा त्रिपाठी  

गीतांजलि गिरवाल की दो कविताएँ 

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar 

कुण्डली हाइकू 

Asha Saxena 

आग, पानी और प्यास....प्रेम नंदन 

yashoda Agrawal 

पौराणिक आख्यानों की ओर 

राजीव कुमार झा 

दोहे 

कालीपद "प्रसाद" 

पहल करो – खेल तुम्हारा होगा 

smt. Ajit Gupta 

किताबों की दुनिया -135 

नीरज गोस्वामी 

दोहे "तीजो का त्यौहार"  

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')  


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सुशील कुमार जोशी 
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Sudhinama पर sadhana vaid 
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शब्द सक्रिय हैं पर सुशील कुमार 
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मन थोड़ा अनमना सा .... 

मन थोड़ा अनमना सा 
घर के कुछ कोने उदास हैं 
दूर गया है आज वो मुझसे 
जो मन के पास है !  ... 
SADA 

10 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति।
    आपका आभार आदरणीय रविकर जी।

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  2. शुभ प्रभात रविकर भाई
    वजनदार प्रस्तुति
    आभार
    सादर

    ReplyDelete
  3. बहुत सुंदर चर्चा मंच प्रस्तुति.
    मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

    ReplyDelete
  4. सुन्दर, सार्थक एवं सारगर्भित सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी प्रस्तुति को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार रविकर जी !

    ReplyDelete
  5. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

    ReplyDelete
  6. सुन्दर सूत्रों के साथ पेश आज की सुन्दर रविकर चर्चा में 'उलूक' की बकबक को भी स्थान देने के लिये आभार ।

    ReplyDelete
  7. सुंदर लीम्क्स, बहुत आभार
    रामराम
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

    ReplyDelete

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