पतन हो किन्तु यदि रविकर स्वयं का दोष तो मानो
रविकर
गुलामी गैर करवाता बजा तू हुक्म आका का।
पराजय दूसरे दें दोष थोड़ा सा लड़ाका का।
सदा दुख दर्द दूजे दें तुम्हारा भाग्य तुम जानो ।
पतन हो किन्तु यदि रविकर स्वयं का दोष तो मानो।।
|
क्रूर मशीनी देश चीन मानवता के लिए खतरा है
HARSHVARDHAN TRIPATHI
![]() |
नए दौर में प्रवेश करती भारतीय राजनीति
pramod joshi
![]() |
किताबों की दुनिया -134
नीरज गोस्वामी
![]() |
कश्मीर मोसुल की राह पर
smt. Ajit Gupta
|
पीएम की इजरायल यात्रा जरूरी थी- 2
Rohit Singh
![]() |
गीतिका
कालीपद "प्रसाद"
|
मृत्यु का देवता
राजीव कुमार झा
![]() |
ख़ार की बातें करो
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
![]() |
ये कैसा संस्कार जो प्यार से तार-तार हो जाता है?
Alokita
![]() |
दिल्ली से चेन्नई : एक लम्बी ट्रेन यात्रा
Abhyanand Sinha
![]() |
पागल पथिक मैं पंडित हूँ
Dr.J.P.Tiwari
|
दिल्ली से चेन्नई : एक लम्बी ट्रेन यात्रा ![]() |
आपका ब्लॉगपरAbhyanand Sinha
खुशियों का गाँव (बाल नाटक)-दृश्य -3 एवं 4
डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar
![]() |
कुण्डली हाइकू -अभिनव प्रयोग![]() |
शुभ प्रभात....
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति..
आभार
सादर
सुन्दर और सार्थक चर्चा।
ReplyDeleteआभार रविकर जी।
सुप्रभात रविकर जी ! सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी प्रस्तुति को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार !
ReplyDeleteBADHIYA CHARCHA
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...
ReplyDeleteKaafi kuch achcha padhne ko mila aaj yahaan... shukriya ravikar ji.
ReplyDeleteMeri pravishti ko bhi jagah dene k liye bahut bahut aabhar :-)
नमस्कार
ReplyDeleteसुंदर चर्चा, आभार.
ReplyDeleteरामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeletesundar charcha.........badhai
ReplyDeleteसराहनीय प्रस्तुतिकरण .
ReplyDelete