पतन हो किन्तु यदि रविकर स्वयं का दोष तो मानो
रविकर
गुलामी गैर करवाता बजा तू हुक्म आका का।
पराजय दूसरे दें दोष थोड़ा सा लड़ाका का।
सदा दुख दर्द दूजे दें तुम्हारा भाग्य तुम जानो ।
पतन हो किन्तु यदि रविकर स्वयं का दोष तो मानो।।
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शुभ प्रभात....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति..
आभार
सादर
सुन्दर और सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआभार रविकर जी।
सुप्रभात रविकर जी ! सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी प्रस्तुति को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार !
जवाब देंहटाएंBADHIYA CHARCHA
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंKaafi kuch achcha padhne ko mila aaj yahaan... shukriya ravikar ji.
जवाब देंहटाएंMeri pravishti ko bhi jagah dene k liye bahut bahut aabhar :-)
नमस्कार
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा, आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंsundar charcha.........badhai
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुतिकरण .
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