मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
बेहताशा बढती जनसंख्या हमारे देश के विकास क्रम में अवरोधक होने के साथ ही हमारे आम जन जीवन को भी दिन-प्रतिदिन प्रभावित कर रही है। विकास का मॉडल व कोई भी परियोजना वर्तमान जनसंख्या दर को ध्यान में रखकर बनायी जाती है पर अचानक आबादी में इजाफा होने के कारण परियोजना का जमीनी धरातल पर साकार हो पाना दूभर हो जाता है। जिसके परिमाणस्वरुप विकास धरा का धरा रह जाता है।ये साफ तौर पर जाहिर है कि जैसे-जैसे भारत की जनसंख्या बढेगी वैसे-वैसे गरीबी का रुप भी विकराल होता जायेगा। महंगाई बढती जायेगी और जीवन के अस्तित्व के लिए संघर्ष होना प्रारंभ हो जायेगा। इन्हीं समस्त समस्या पर जन साधारण का ध्यान केंद्रित करने के लिए वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के संचालक परिषद ने 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का फैसला लिया...
--
--
--
--
--
हर मोड़ पर
खड़ा है एक प्रहरी
सवाल या निशान लिए
हर प्रश्न चिन्ह रोकता है राह
मन में भभकता गुबार लिए
हर प्रश्न का निर्धारित उत्तर
पर बहुत से अभी भी अनुत्तरित
बहुत उलझन है इन्हें सुलझाने में
प्रयत्न बहुत करती हूँ
पर उदास हो जाती हूँ ...
--
...फिर नमी होगी
मेरे अल्फ़ाज़ मुझसे रूठ कर कुछ दूर बैठे हैं
कि जैसे वक़्त के हाथों सनम मजबूर बैठे हैं...
साझा आसमान पर
Suresh Swapnil
--
--
--
--
सावन का वह सोमवार...
लड़कियों का स्कूल हो तो सावन के पहले सोमवार पर पूरा नहीं तो आधा स्कूल तो व्रत में दिखता ही था. अपने स्कूल का भी यही हाल था. सावन के सोमवारों में गीले बाल और माथे पर टीका लगाए लडकियां गज़ब खूबसूरत लगती थीं...
shikha varshney -
--
--
--
--
सहज युगबोध
भीड़ में, गुम हो रही हैं
भागती परछाइयाँ.
साथ मेरे चल रही
खामोश सी तनहाइयाँ
वक़्त की इन तकलियों पर
धूप सी है जिंदगी
इक ख़ुशी की चाह में, हर
रात मावस की बदी.
रक्तरंजित, मन ह्रदय में
टीस की उबकाइयाँ
साथ मेरे चल रही
खामोश सी तनहाइयाँ
प्यार का हर रंग बदला
पत दरकने भी लगा
यह सहज युगबोध है या
फिर उजाले ने ठगा...
--
--
--
--
--
आंख-मिचोली ...
नींद और यादों की
नींद और यादें ...
शायद दुश्मन हैं अनादी काल से ...
एक अन्दर तो दूजा बाहर ...
पर क्यों ...
क्यों नहीं मधुर स्वप्न बन कर
उतर आती हैं यादें आँखों में ...
Digamber Naswa
--
--
फागुनी दोहे :
कवि कैलाश गौतम
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgaGOy5G1uJrx1mHEqVOMFdFtM9MNz2Ey1MEcao7wYXOCPWkj_VqmNoxcDDoZ_m9nYzxAnAF2MGFsrltfaMGOC6gMkSMTo25A0MXrbZo3JABTDeqriZbvW4bCuHYS35zbEQmTJXoP7nuek/s200/kailash+gautam.png)
जयकृष्ण राय तुषार
--
कार्टून:-
दे खींच के एक ट्वीट
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhEzzOrteCvJq_N44FFMEoechEs8eBBDZ5n5_gASl2f2P0PEPQNLrfXwEehCUrL3GZdGjOZGKDUU-NQORFvul4KayEgm1FaIgoYddQVFsvNu6hFtn3NqWW6PkPcWAbXFkeDX-PQt-Y0Ts8/s400/11.7.2017_kajal_cartoon_terror_terrorism_tweet_twitter.jpg)
--
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgXVWwZubWJhcFFzirqiXiG85sLdoB_ckUNanrKaMbg6TIKqCcOd41eB3W15u7NX4ZHAtHFHah1qa9uz1qj9ErKGCL5RmwqeAJgHxDpTYorDLRnbVGMYJkKxIH1S8FP_CCnUlqbz9npkHg/s320/images.jpg)
--
चार गीत:
कल्पना मनोरमा
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhHkZZuI0oBKFMmkg-8jBMhKLKPozJPgPBRk4JT99f58VaGQC2aAde3Ek7L_vz6E1UdfqRq8X93WLjL_Z8bPx0YDphvxJdGJaqjvFSliEKiD6rzTQSDaibU5zUJ5LfsUpowMI0ook6Ia61X/s320/vasant+1.jpg)
--
इस बार सेकुलरवाद की चादर है
हम सबके पास एक-एक भ्रम हैं, उस भ्रम की चादर ओढ़कर हम चैन की नींद सोते हैं। जैसे ही भ्रम की चादर हम ओढ़ते हैं, हमारा सम्बन्ध शेष दुनिया से कट जाता है, तब ना हमारे लिये देश रहता है, ना समाज रहता है और ना ही परिस्थिति। याद कीजिए जब सिकन्दर आया था, तब हमारे पास कौन सी चादर थी? ज्ञान की चादर ओढ़कर हम बैठे थे, देश लुट रहा था, कत्लेआम हो रहा था लेकिन हम ज्ञान की चादर की छांव में आराम से बैठे थे। लूट लो जितना लूटना हो इस देश को, हमारा ज्ञान तो नहीं लूट पाओंगे...
smt. Ajit Gupta
शुभ प्रभात....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति..
सुंदर व
पठनीय रचनाओं का चयन
आभार
सादर
सुप्रभात, सभी कालम बहुत ही सुन्दर हैं।सधन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसुनहरी कलम से की लिंक गलत लगी है ... मेरे ब्लॉग लिंक को साझा करने का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक सूत्र ! आज की चर्चा में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंरोचक सूत्र है आज के सभी ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना को जगह देने के लिए ...
बहुत सुंदर रचना, आभार
जवाब देंहटाएंरामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंbahut sundar charcha meri rachna ko sthan dene hetu hraday se abhar
जवाब देंहटाएंसुंदर पठनीय लिंकों का चयन
जवाब देंहटाएंआभार महोदय।
बढ़िया चर्चा।
जवाब देंहटाएंSundar charcha ......
जवाब देंहटाएंsundar links ......