मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
गठबंधन का तो स्वभाव ही
खुलना और बँधना है...
ये बंधन तो प्यार का बंधन है, जन्मों का संगम है यह गीत के बोल हैं करण अर्जुन फिल्म के जो इस वक्त कार में रेडिओ पर बज रहा है. सोचता हूँ कि कितने ही सारे बंधन हैं इस जीवन में. विवाह का बंधन है पत्नी के साथ. प्यार भी ढेर सारा और कितना ही टुनक पुनक हो ले, लौट कर शाम को घर ही जाना होता है और फिर जिन्दगी उसी ढर्रे पर हंसते गाते चलती रहती है . गाने की पंक्ति बज रही है... विश्वास की डोर है ऐसी, अपनों को खीच लाती है...
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शीर्षकहीन
"ममा, आज स्कूल में हम सभी ने मोमबत्तियां जलाकर कारगिल के शहीदों को श्रद्धाजंलि दी। ममा, हमारा देश सबसे दोस्त बनकर रहना चाहता है फिर ये लड़ाइयाँ क्यो होती हैं।" आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले राहुल ने घर आते ही मां से बातें करने लगा। "बेटा, हमारा देश अहिंसा का पुजारी है। हम किसी को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहते। " कहते हुए अंजलि ने टी वी ऑन कर दिया। वहाँ कारगिल युद्ध से संबंधित समाचार आ रहे थे...
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर 'मधु'
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ग़ज़ल ----
मर रहा आंखों का पानी देखिए
बात उसकी आसमानी देखिए ।
मर रहा आंखों का पानी देखिए ।।
फिर किसी फारुख की गद्दारी दिखी ।
बढ़ रही है बदजुबानी देखिए...
तीखी कलम से पर
Naveen Mani Tripathi
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सैंड टू ऑल
सैंड टू ऑल की गई
तुम्हारी तमाम कविताओं में
ढूँढती हूँ वो चंद पंक्तियाँ
जो नितान्त व्यक्तिगत होंगी...
Sunita Shanoo
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राजा हनुवंतसिंह बिसेन,
कालाकांकर
अंग्रेजों की गुलामी से देश को आजाद कराने में कालाकांकर रियासत का भी अपना एक इतिहास है। अवध (जिला प्रतापगढ़, उत्तरप्रदेश) स्थित इसी रियासत में महात्मा गाँधी ने खुद विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी। आजादी की लड़ाई के दौरान लोगों तक क्रांति की आवाज पहुंचाने के लिए हिन्दी अखबार ‘हिन्दोस्थान’ कालाकांकर से ही निकाला गया था। इसमें आजादी की लड़ाई और अंग्रेजों के अत्याचार से संबंधित खबरों को प्रकाशित कर लोगों को जगाने का काम शुरू हुआ। इस तरह यहां की धरती ने स्वतंत्रता की लड़ाई में पत्रकारिता के इतिहास को स्वर्णिम अक्षरों में लिखा। अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का बिगुल यहाँ के राजा हनवंतसिंह बिसेन ने बजाया था...
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हम भी हैं पाप के भागी -
रात्रि आधी से अधिक बीत चुकी थी ,हमलोगों को लौटने में बहुत देर हो गई थी ,उस कालोनी में अँधेरा पड़ा था.कारण बताया गया को कि रात्रि-चर और वन्य-प्राणी भ्रमित न हों इसलिये रोशनियाँ बंद कर दी गई हैं.मन आश्वस्त हुआ . पिछले दिनों एक समाचार बहुत सारे प्रश्न जगा गया था- ऋतु-क्रम में होनेवाली अपनी प्रव्रजन यात्रा में दो हज़ार पक्षी टोरेंटो से जीवित नहीं लौट सके. जी हाँ ,दो हज़ार पक्षी . प्रव्रजन क्रम में काल का ग्रास बन गये. प्रकृति के सुन्दर निष्पाप जीव मनुष्य के सुख-विलास के, उसकी असीमित सुख- लिप्सा की भेंट चढ़ गये.दो हज़ार पक्षी...
लालित्यम् पर प्रतिभा सक्सेना
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भाव सुमन
मन की श्रद्धा, भाव बुद्धि की आह्लाद हृदय का अर्पित सबको
तन के कर्म, श्रद्धानवत होकर शत शत वंदन करते हैं सबको...
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पूर्वोत्तर भारत:
इनर लाइन परमिट कैसे प्राप्त करें?
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जा और किसी को यार बना
ख़ुद का ख़ुद ही मुख़्तार बना
यूँ ग़ाफ़िल भी सरदार बना...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा चयन
आभार
सादर
उम्दा लिंक्स। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, शास्त्री जी!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद् शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुप्रभात,
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा ......आभार|
अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंनमस्कार शास्त्री जी, ब्लाग की आदत कम हो गई हैं धीरे धीरे फिर से पढ़ना शुरू कर रही हूँ 🙏🌹🌺
जवाब देंहटाएंनमस्कार शास्त्री जी, ब्लॉग पर आने में देर हो गयी , माफ़ी चाहुगा उम्दा लिंक्स। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, शास्त्री जी!
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