मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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चुपचाप रहने के दिन
मेरे मन की पर
अर्चना चावजी Archana Chaoji
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नयी राह
जब कोई अंग अक्सर कहने लगे
रुक रुक रुक रुक
समझ में आये
कहीं कोई अकारण ही
कहीं भी रुक जाए !
कभी परिवर्तन स्थान का होता
कभी परिवर्तन सोच का होता !
कहीं मन में बिखराव होता
तो जीवन के अंधे मोड़ पर
कहीं किसी जगह
केवल ठहराव आता...
रुक रुक रुक रुक
समझ में आये
कहीं कोई अकारण ही
कहीं भी रुक जाए !
कभी परिवर्तन स्थान का होता
कभी परिवर्तन सोच का होता !
कहीं मन में बिखराव होता
तो जीवन के अंधे मोड़ पर
कहीं किसी जगह
केवल ठहराव आता...
Akanksha पर Asha Saxena
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उपकार तुम्हारा
धुँधली सी रोशनी है
धीमी सी आहट है
मन के क्षितिज पर कोई सूरज उदित होने को है !
कल्पना का पंछी उड़ान भरने को बेकल है
हे मेरे आराध्य उसके डैनों में इतनी शक्ति भर देना कि
अपने गंतव्य तक पहुँचने में उसे कोई बाधा न आये...
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जब मैं माँ बनूँगी...
इक दुनिया का खूबसूरत एहसास,
जिसे शब्दो में बयां नही किया जा सकता है,
मैं चाहती हूँ तुम हर पल मेरे साथ रहना,
इस एहसास को मेरे साथ जीना,
तुम्हे ही हर पल देखना चाहती हूँ,
जिससे तुम्हारी ही छवि मुझमें आये...
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पुस्तक समीक्षा :
लाल बहाुदर वर्मा की आत्मकथा:
जीवन प्रवाह में बहते हुए
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कि यादों के मौसम रोज़ नहीं आते...
वो छुट्टियों का मौसम था कोई... कोई ९३ या ९४ की बात है... हम चारों भाई बहन और पापा मिल कर कुछ समय साथ बीता रहे थे... खेल कूद का ही माहौल था और फिर उसी दौरान कुछ कवितायेँ जोड़ी थीं हमने... आज इन यादों को पापा ने भेजा तो लगा सहेज लेना चाहिए कि यादों के मौसम रोज़ नहीं आते... !!
उस दिन की कुछ कवितायेँ ---
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बी ए पास रिक्शे वाला
बी ए पास वह रिक्शे वाला
मौसम की हर मार से बे असर –बे खबर
हर समय रहता है तैयार
चलने को तलवार की धार की तरह ...
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नाम शबाना
अभी दो दिन पहले एक फिल्म देखी – नाम शबाना। शायद आप लोगों ने देखी होगी और हो सकता है कि नहीं भी देखी होगी, क्योंकि इस फिल्म की चर्चा अधिक नहीं हुई थी। फिल्म बेबी की चर्चा खूब थी, यह उसी फिल्म का पहला भाग था, लेकिन शायद बना बाद में था। खैर छोड़िये इन बातों को, मूल विषय पर आते हैं। एक लड़की है – शबाना, उसकी माँ रोज ही अपने पति से पिटती है। एक दिन माँ चिल्ला उठी – शबाना – शबाना-शबाना...
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शुभ प्रभात....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति..
आभार
सादर
बहुत ही सुन्दर सार्थक सूत्र ! मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएं'क्रन्तिस्वर ' व् 'जो मेरा मन कहे ' ब्लाग्स की पोस्ट्स इस अंक में शामिल करने हेतु शास्त्री जी को धन्यवाद एवं आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन जी.
जवाब देंहटाएंरामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
सुन्दर लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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