मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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पैरों के पर !
कविवर ब्लॉगर राजेंद्र स्वर्णकार जी का सन्देश मिला कि आज ब्लॉग दिवस है तो सभी ब्लॉगर अपनी एक पोस्ट अवश्य पोस्ट करें .पोस्ट लिखने का मन नहीं था लेकिन 'ब्लॉग जगत के पुराने दिन लाने के जो प्रयास किये जा रहे हैं ,उसमें अपना योगदान दिए बिना न रह सकती थी इसलिए यही आत्मालाप पोस्ट के रूप में प्रस्तुत है...
Alpana Verma अल्पना वर्मा
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पुस्तक, ब्लॉग, टीवी और फेसबुक
पुस्तकों में लोगों का रुझान लगभग समाप्त होता जा रहा है. पठन पाठन की स्थितियां भी आज से दस पंद्रह पूर्व जैसी थीं, वैसी नहीं रहीं. बच्चों पर उनके स्कूल बैग भारी पड़ गए. गृहिणियों को एक था कपूर के सीरियल और बाकी जो पुरुष थे उनको भी टीवी और इंटरनेट ले डूबा. वैसे ही जैसे सोशल मीडिया के प्रमुख सितारे फेसबुक और व्हाट्सएप्प ने ब्लॉग में सेंध मार दी और इन्हीं मैसेन्जर्स ने मोबाइल कम्पनियों की कॉल और एस एम एस जैसी सुविधाओं को किनारे लगा दिया. तकनीकी अपग्रेडेशन तो होना ही है, इससे न तो बचा जा सकता है न ही बचा जाना चाहिए, लेकिन ऐसा भी न हो कि ये अपग्रेडेशन व्यक्ति पर भारी पड़ जाए. ..
भारतीय नागरिक - Indian Citizen
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यश गान हो
फूलों से मुस्काता उद्यान हो
प्रेम का जहाँ मधु रस पान हो
न मज़हब की कही बात हो
धर्म हर इंसान का इंसान हो...
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बाँट एक मुस्कान, मिले तब शान्ति आत्मिक-
सात्विक-जिद से आसमाँ, झुक जाते भगवान् ।
पीर पराई बाँट के, धन्य होय इंसान...
रविकर की कुण्डलियाँ पर रविकर
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ब्लॉगिंग दिवस !
जब मालूम हुआ तो कुछ ऐसे करवट बदली, जिंदगी उबाऊ ने,
शुरू किया नश्वर में स्वर भरना, सभी ब्लॉगर बहिण, भाऊ ने,
निष्क्रिय,सक्रिय सब प्रयास करते, रसहीन ब्लॉग में रस भरने की,
१ जुलाई, ब्लॉगिंग दिवस घोषित किया है, रामपुरिया ताऊ ने। :-)
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शीर्षकहीन
आज ब्लॉग दिवस की सबको शुभकामनाएं देते हुए ...
बारिश की बूंदों में भीगी
भीगी सी इक नर्म सी नज़्म .....
बारिश की पहली बूंद ...
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हम सब जुनैद हैं
मैं मर चुकी हूँ
हाँ , चुक चुकी है मेरी खोज
मेरी अंतर्वेदना मेरा मन
नही रही चाह किसी खोजी तत्व की
एक गूंगा मौसम फहरा रहा है
अपना लम्पट आँचल
और मैं हूँ गिरफ्त में
जीने की चाह न बचना आखिर है क्या ...
vandana gupta
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यादें ,
वो गर्मी की दोपहरी की ....
*ताऊ रामपुरिया जी ....*
*ताऊ की पहल ...
उजड़े चमन को बसाने में ...*
*मेरी शुभकामनाये ताऊ को
इस चमन में नये,पुराने *
*फूल खिलाने में ....
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आप कितने बड़े हो गए हैं
*ग़ज़ल पर एक प्रयास*
आप कितने बड़े हो गए हैं वाह चिकने घड़े हो गए हैं
पाँव पड़ते नहीं हैं जमीं पे कहते फिरते, खड़े हो गए हैं...
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वापिसी
अभी तो लौटी हूँ ! मैं गयी तो थी निश्चित रूप से यही सोच कर कि मैं मंदिर में ही जा रही हूँ ! लेकिन वहाँ जो कुछ देखा वह मुझे भ्रमित कर गया ! देवार्पण के लिए पूजा के थाल में सुरभित सुगन्धित ताज़े फूलों की जगह सूखी मुरझाई बासी पाँखुरियाँ थीं और नैवेद्य के लिए मधुर फल और सरस मिष्ठान्न के स्थान पर विषैले फल और दूषित मिष्ठान्न थाल में संजोया हुआ था ! आरती के लिए सजाया गया वह दीप शुद्ध घी का पावन दीप नहीं था ...
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बोल तुम्हारे ज़िन्दगी
सुनो ज़िन्दगी ...
तुम जो कहना चाहती हो
बिना कहे ही सुन लिया है मैंने...
ranjana bhatia
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ग़ज़ल
सभ्यता की वो निशानी है अभी तक गाँव में
इक पुराना पेड़ बाक़ी है अभी तक गाँव में...
चांदनी रात पर
रजनी मल्होत्रा नैय्यर
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विस्मृति
मैं कभी भूल जाऊं,
तो तुम मुझे याद दिला देना.
मुझे याद रहेगा,
कहाँ-कहाँ हैं हमारे मकान,
हमारे खेत,
हमारी दुकान...
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मृत्यु .......
मृत्यु जीवन का सबसे बड़ा सच है पर इसके जिक्र भर से ही सब परेशान हो जाते हैं और ऐसे देखते हैं जैसे कितनी गलत बात कर दी गयी हो | जबकि देखा जाये तो जन्म की तरह ही मृत्यु एकदम सहज और अवश्यम्भावी घटना है...
सुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल करने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंसुप्रभात शास्त्री जी ! बहुत ही सुन्दर सूत्र संजोये हैं आज की चर्चा में ! मेरी रचना को आज की चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार !
जवाब देंहटाएंबढ़िया रविवारीय चर्चा।
जवाब देंहटाएंरंगबिरंगी विषयों से सजी ब्लॉगों को शामिल कर सुंदर सा पुष्प गुच्छ तैयार कर सजाये गये मंच के
जवाब देंहटाएंलिए बधाई स्वीकर करे सर| साथ ही आभार मेरी ब्लॉग पोस्ट को भी लगाने के लिए
बहुत अच्छे लिनक्स ... शामिल किया आभार आपका
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा ..!! मेरी कविता के चयन हेतु सादर धन्यवाद शास्त्री जी !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा ..........बधाई
जवाब देंहटाएंअब ब्लॉग में नियमित रहने का प्रयास रहेगा।चर्चा मंच का सौंदर्य आज देखते ही। बन रहा है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सूत्र संजोय हैं
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं
बहुत सुंदर सूत्र संजोय हैं
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं
'क्रन्तिस्वर' पर प्रकाशित बेबसी कहानी को इस अंक में शामिल करने हेतु हार्दिक आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत ही उपयोगी और पठनीय लिंक्स मिले, आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
Bahut sundar liks aabhaar
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंक्स ..बधाई ..मुझे शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएं3साल बाद आज ब्लागिंग मे शामिल हो रहा हुन। ब्लॉग में नियमित रहने का प्रयास करुगा ।चर्चा मंच मे बहुत सुंदर सूत्र संजोये हैं
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई।
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