मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहागीत
"गुरू पूर्णिमा पर विशेष"
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यज्ञ-हवन करके करो, गुरूदेव का ध्यान।
जग में मिलता है नहीं, बिना गुरू के ज्ञान।।
भूल गया है आदमी, ऋषियों के सन्देश।
अचरज से हैं देखते, ब्रह्मा-विष्णु-महेश।
गुरू-शिष्य में हो सदा, श्रद्धा-प्यार अपार।
गुरू पूर्णिमा पर्व को, करो आज साकार।
गुरु की महिमा का करूँ, कैसे आज बखान
जग में मिलता है नहीं, बिना गुरू के ज्ञान...
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आवहि बहुरि वसन्त ॠतु -
बड़ी तेज़ गति से चलते चले जाना -
वांछित तोष तो मिलता नहीं ,
ऊपर से मनः ऊर्जा का क्षय !
तब लगता है क्यों न अपनी मौज में
रमते हुये पग बढ़ायें ;
वही यात्रा सुविधापूर्ण बन ,
आत्मीय-संवादों के आनन्द में चलती रहे ...
लालित्यम् पर प्रतिभा सक्सेना
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सीनियर कौन ...
परमेश्वर या ईश्वर ?
देवी -देवताओं के दर्शन के लिए उसने पत्नी के आग्रह पर मन्दिर जाने का कार्यक्रम बनाया ,लेकिन कुछ देर बाद प्रोग्राम कैंसिल करना पड़ा ! कारण यह कि दोनों मन्दिरों के रास्तों पर ट्रकों की लम्बी -लम्बी कतारें लगी हुई थी और ट्रैफिक क्लियर होने में कम से कम एक घंटे का समय लगना तय था ! घर वापसी की भी जल्दी थी ! ऐसे में मन्दिर दर्शन का प्रोग्राम अधूरा रह जाने पर वापसी में रास्ते भर पत्नी अपने पति पर नाराजगी का कहर बरपाती रही ! उसने कहा - ये तुमने अच्छा नहीं किया ! भगवान को भी गच्चा दे दिया...
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साथ स्नेह के विम्ब कुछ...
कोई एक हो जो मेरी ख़ामोशी सुन ले...
अब मन हर एक शब्द अक्षर
सब खोना चाहता है...
थक गया है चल चल कर...
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उदासी...
ज़बरन प्रेम
ज़बरन रिश्ते
ज़बरन साँसों की आवाजाही
काश!
कोई ज़बरन उदासी भी छीन ले!
डॉ. जेन्नी शबनम
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रैनसमवेयर क्या होता है?
what is ransomware?
एक संक्रमित सॉफ्टवेयर जो इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि इस सॉफ्टवेयर के आपके कंप्यूटर पर आते ही यह आपके महत्वपूर्ण डाटा तक आपकी पहुंच रोक देता है और अगर आप डाटा तक पहुंचने की कोशिश करेंगे तो एक स्क्रीन दिखाई देगी, जिसके ऊपर यह आपसे रैनसम मांगेगा …
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स्व आलाप .....
किसी खामोश और तन्हा शाम
जब सूर्य की किरणें समंदर के
लहरो से खेलते खेलते उस में खो जाएँगी ।
दूर दूर तक फैली उदास सी रेत की चादर
पल पल सिसकते हुए
ओंस सी भीग जायेगी...
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शीर्षकहीन
मुहब्बत से रिश्ता बनाया गया
उसे टूटते रोज पाया गया
मुहब्बत पे उसकी उठी अँगुलियाँ
सरे बज़्म रुसवा कराया गया...
वीर बहुटी पर निर्मला कपिला
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सच्चाई सामने आने में
बहुत समय लेने लगी है !
सत्ता की गाय को दुह-दुह कर करोड़ों, अरबों की संपदा इकठ्ठा कर धन-कुबेर बनने वालों को सच्चाई छिपाने के लिए किसी भी तरह सत्ता के अभेद्य किले की जरुरत होती है जो इनके विरुद्ध होने वाली किसी भी कार्यवाही से इन्हें महफूज रख सके...
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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शुभ प्रभात....
जवाब देंहटाएंसुंदर व पठनीय रचनाओं का चयन
आभार
सादर
बहुत ही सुंदर और उपयोगी लिंक्स, आभार
जवाब देंहटाएंरामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
पठनीय रचनाओं के उपयोगी लिंक्स
जवाब देंहटाएंSUNDAR CHARCHA
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंपठनीय लिंक्स .
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार ब्लॉग है .... सार्थक सामग्री के लिए साधुवाद
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