मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बोला था चलता हुआ वर्ष -
जाते-जाते यह उचित लगा ओ मीत,
तुम्हें कर दूँ सतर्क.
मैं भी था अतिथि ,
एक दिन तुम सा ही आदृत,
ऐसे ही चाव कोलाहल-सँग पाया था
मैंने भी स्वागत सत्कार...
शिप्रा की लहरें पर प्रतिभा सक्सेना
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आप सभी के शुभाशीष की आकांक्षिणी
मेरी बेटी स्वाति का आज जन्मदिन है।
पूरे परिवार की यह कामना है कि
वह हँसी और खुशी के साथ
जीवन पथ पर अग्रसर रहे।
पाकर तुझको धन्य हो गई, ओ मेरी बिटिया प्यारी।
सारा जग प्यारा लगता है,पर तू है जग से न्यारी...
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जब तक तेरी इन आँखों...।।
जब तक तेरी इन आँखों को, इंतजार रहेगा।
तब तक मेरी इन आँखों में ,प्यार रहेगा...
kamlesh chander verma
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा. मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंसदा की तरह उम्दा चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र एवं बहतरीन चर्चा आज की ! मेरी रचना को भी आपने सम्मिलित किया आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा बधाई,
जवाब देंहटाएंमेरे हिन्दी ब्लॉग "हिन्दी कविता मंच" पर "अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस" के नए पोस्ट "मजदूर - https://hindikavitamanch.blogspot.in/2018/05/world-labor-day.html " पर भी पधारे और अपने विचार प्रकट करें|