सुधि पाठकों!
बुधवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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sweta sinha at मेरी धरोहर
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अंधविश्वास की दुनिया
*पीपल का पेड़*
भोलू ने जैसे ही सुना रिटायर होने के बाद
उसके बापू को सरकारी क्वार्टर छोड़ना पड़ेगा ,
वह खुशी से उछल पड़ा—
“बापू—बापू अब शहर में एक बड़ा सा बंगला खरीदेंगे। ”
“हाँ –हाँ जरूर अपने लाडले के लिए बड़ी सी कोठी ख़रीदूँगा
पर तू उसका करेगा क्या?
हम तीन के लिए तो दो कमरे ही बहुत ।”
बिहारी बोला। “ओह बापू आप समझते क्यों नहीं।!
बंगला होने पर मैं अपने दोस्तों पर रौब झाड़ूँगा।
वो मटल्लू है न पीली कोठी वाला
सुधाकल्प at
नेताजी और गधा
गधा कल कुछ गधो की सभा लगी थी,रेकने की होड़ सी लगी,गधो में श्रेष्ठ गजोधर गधा भी,वहाँ मौजूद था| तभी गधो में सबसे बुजूर्ग,मतीमंद राम ने सुझाया,गधो के बुद्धीमान होने पर,काफी चिंता जताई...
ऋषभ शुक्ला
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ठिकाना...
मैंने एक चोट के दो हिस्से किये हैं।
एक टुकड़ा जख्म को दिया है
और एक खुद के पास रखा है।।
एक दर्द की तरह नहीं जैसे दिल का
खामोश एहसास रखा है।।
दर्द होगा भी कभी तब भी मरहम नहीं लगाऊंगी
जीयूंगी चुपचाप से और मुस्कुरांउगी...
Parul Kanani
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कानो में हौले हौले
गुनगुना गया कोई
कानो में हौले हौले गुनगुना गया कोई
दिल उदास था बहुत बहला गया कोई
मै तो अपनी धुन में चला जा रहा था
कनखियों से देख मुस्कुरा गया कोई...
Mukesh Srivastava
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कविता : बारिश
BAL SAJAG at
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बेगम कुदसिया महल का मकबरा :
अवध का ताजमहल ------
कृष्ण प्रताप सिंह
क्रांति स्वर पर
विजय राज बली माथुर
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उनके लिखे से प्रभावित हुये बगैर
रहा ही नहीं जा सकता..!
शायद कोई पांच एक साल पुरानी बात है, किसी समारोह में स्मृति चिन्ह के रूप में दयानन्द पाण्डेय जी का उपन्यास 'बांसगांव की मुनमुन' मिला। उपन्यास पढकर में मुनमुन का फैन तो हुआ ही उसकी मां दयानन्द पाण्डेय का भी फैन हो गया। । चौंकिये नहीं ....! कोई गलती नहीं हुयी ...मैने सच कहा कि मुनमुन की मां दयानन्द पान्डेय जी ही है ऐसा स्वयं पान्डेय जी ने ही कहा है कि ''...जब मैं लिखता हूं तो मां बन जाता हूं। अनायास । रचना जैसे मेरे लिखने में आ कर बच्चों की तरह झूम जाती है...
डॉ0 अशोक कुमार शुक्ल
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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर क्यों लगाई गई है? यह प्रश्न बहुत वाजिब है। यह आश्चर्य का विषय भी है कि स्वतंत्रता के इतने वर्ष बाद तक भारत विभाजन के प्रमुख गुनहगारों में शामिल जिन्ना की तस्वीर एक शिक्षा संस्थान में सुशोभित हो रही है। मोहम्मद अली जिन्ना सिर्फ भारत विभाजन का ही गुनहगार नहीं है, बल्कि हजारों लोगों की हत्या का भी दोषी है। भाजपा के सांसद सतीश गौतम ने विश्वविद्यालय के उपकुलपति तारिक मंसूर को पत्र लिखकर उचित ही प्रश्न पूछा है कि क्या मजबूरी है कि जिन्ना की तस्वीर विश्वविद्यालय में लगाई गई है? उन्होंने पत्र में यह भी कहा है कि अगर वह विश्वविद्यालय में कोई तस्वीरें लगाना चाहते हैं तो उन्हें महेंद्र प्रताप सिंह जैसे महान लोगों की तस्वीर संस्थान में लगानी चाहिए, जिन्होंने विश्वविद्यालय बनाने के लिए अपनी जमीन दान में दी थी...
सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार राधातिवारी 'रोधेगोपाल' जी।
सुंदर रचनाओं का संयोजन आदरणीया राधा जी।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदयतल से आभार।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बढ़िया चर्चा।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद राधा तिवारी जी ' क्रांतिस्वर ' को इस अंक में स्थान देने हेतु।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात,
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा, मेरी रचना को स्थान देने हेतु आभार|
उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, राधा जी।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा ! साधुवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना।.........
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लाॅग पर आपका स्वागत है ।
बहुत बहुत आभार , कहानी ,' पश्चाताप की ज्वाला' को इस चर्चामंच में शामिल करने के लिए आदरनीय राधा तिवारी जी |
जवाब देंहटाएंसुनीता शर्मा खत्री
http://chittachurcha.blogspot.com
http://sunitakhatri.blogspot.com
विभिन्न विषयों से सजा गुल दस्ता ।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा अंक