मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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"सृजनहार"
दोहे
राधा तिवारी" राधेगोपाल "
साहस से अपनी चले, नारी सीधी चाल l
सागर की लहरें सदा, लाती है भूचाल ll
जीवन के हर क्षेत्र , करती रही कमाल l
लेकिन दुनिया नारि पर, करती सदा सवाल...
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नज़रे इनायत
इक जरासी रात की
नज़रे इनायत क्या हुई
,हम हम न रहे खुद को भूल गए
वे भावनाओं में इस कदर खोए
कि परिणाम भी न सोच पाए
नतीजा क्या होगा...
नज़रे इनायत क्या हुई
,हम हम न रहे खुद को भूल गए
वे भावनाओं में इस कदर खोए
कि परिणाम भी न सोच पाए
नतीजा क्या होगा...
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गुड़ - शक्कर
कहाँ शक्कर और कहाँ गुड़ !
एक रिफ़ाइंड, सुन्दर, खिलखिलाकर बिखर-बिखर जाती, नवयौवना ,
देखने में ही संभ्रान्त, सजीली शक्कर और कहाँ गाँठ-गठीला,
पुटलिया सा भेली बना गँवार अक्खड़ ठस जैसा गुड़...
लालित्यम् पर प्रतिभा सक्सेना
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति ..
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