मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बुद्ध होना आसान है
बुद्ध होना आसान है
एक रात चुपके से
घर द्वार स्त्री बच्चे को छोड़ कर
सत्य की खोज में निकल जाना आसान है
क्योंकि कोई उंगली उठती नहीं आप पर
न ही ज्यादा सवाल पूछे जाते हैं...
प्यार पर Rewa tibrewal
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एक निष्पक्ष नजरिया,
2019 का
आज देश में दो ही ऐसी राजनितिक पार्टियां हैं जिनका कुछ न कुछ आधार पूरे देश में है। इनमें भी पहले नंबर पर कांग्रेस है, जिसके समर्पित कार्यकर्त्ता देश के कोने-कोने में आस्था की अलख जगाए बैठे हैं। पर उसके अदूरदर्शी नेता इसका फायदा न उठा सिर्फ मोदी के पीछे पड़े हुए हैं ठीक उसी तरह जैसे इंदिरा जी को हराने के लिए विपक्ष ने जान लगा दी थी। पर इंदिरा जी ने पलट कर उनकी भाषा में जवाब देने के बदले काम पर ध्यान दिया; नतीजा क्या रहा ! सहानुभूति की लहर चली, सकल अवाम उस अकेली महिला के पीछे जा खड़ा हुआ। आज भी वही हालात हैं जैसे कभी इंदिरा गांधी के नाम पर वोट मिलता था, आज वोट मोदी जी के नाम पर पड़ता है। उनकी लोकप्रियता की टक्कर में कोई नहीं दिखता। ऐसी कोई पार्टी दिखती ही नहीं जो अकेली भाजपा को चुनौती दे पा रही हो। जो राष्ट्रीय पार्टी उसे चुनौती देने वाली थी, उसका हाल देख कर दुःख होता है.........
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
वक्त की नदी में
मैं वक्त की नदी में तैरती
इकलौती कश्ती ...
दूर दूर तक फैले सूने पाट
और ऊपर नीला आकाश...
गुनगुनाऊं गीत तो तैरता है
नदी की छाती पर हिलोर बनकर...
vandana gupta
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रुको मत !
ये खटपट वाले रिश्ते भी जब मौन होते हैं
तो मन को छटपटाहट होती है
जाने क्या हुआ इनका
लड़ना-झगड़ना ही साबित करता है
जिंदगी में बाकी है अभी बहुत कुछ करना
किसी को मनाना है तो
किसी को सोते से जगाना है...
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2019 का लोकसभा चुनाव
नरेंद्र मोदी और उन की भाजपा के लिए
वाटरलू साबित होने वाला है
सरोकारनामा पर
Dayanand Pandey
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जिंदगी का हिसाब
(राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
प्यार से भरी मैं किताब लिख रही हूँ ।
खुद से ही प्रश्न करके जवाब लिख रही हूँ।।
काँटों भरी धरा तो सब ओर दिख रही है।
लेकिन धरा को मैं तो गुलाब लिख रही हूँ...
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विवाह के लिए
जन्म कुंडली मिलाना
आवश्यक नहीं
आए दिन हमारी भेंट ऐसे अभिभावकों से होती है, जो अपने बेटे या बेटी के विवाह न हो पाने से बहुत परेशान हैं। उनकी विवाह योग्य संतानें पढ़ी-लिखी है ,पर पॉच-सात वर्ष से उपयुक्त वर या वधू की तलाश कर रहें हैं ,कहीं भी सफलता हाथ नहीं आ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण किसी संतान का मंगली होना है और मंगली पार्टनर न होने से वे कई जगह बात बढ़ा भी नहीं पाते। अगर पार्टनर मंगली मिल भी जाए तो कई जगहों पर लड़के-लड़कियों के गुण न मिल पाने से भी समस्या बनी ही रह जाती है। ये समस्या समाज में बहुतायत में है और सिर्फ कन्या के ही अभिभावक नहीं , वर के अभिभावक भी ऐसी समस्याओं से समान रुप से जूझ रहे हैं...
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
उम्दा लिंक्स आज |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा | मेरी पोस्ट लेने के लिए धन्यवाद |
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