मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
--
--
--
राधे करेगी पूजा
(राधा तिवारी "राधेगोपाल ")
लाल इस वतन के, बलिदान हो रहे हैं ।
मिट्टी में दफन उनके ,एहसान हो रहे हैं ।।
फूलों का पथ न समझो, कांटों भरी डगर है ।
जो देश के लिए नित ,बलिदान हो रहे हैं...
--
--
--
--
हमराज
तेरे हाथों जब जब छला जाता हूँ
सोओं बार टूट टूट बिखर जाता हूँ
पलट कर फ़िर जब दर्पण निहारता हूँ
एक गुमनाम शख्शियत से रूबरू पाता हूँ ...
RAAGDEVRAN पर
MANOJ KAYAL
--
प्रश्न हल कैसे हो ?
प्रश्न हल कैसे हो ?
कल क्या थे आज क्या हैं आप ?
कभी सोचना आत्म विश्लेषण करना
सोचते सोचते आँखें कब बंद हो जाएंगी
कहाँ खो जाओगे जान न पाओगे
पहेलियों में उलझ कर रह जाओगे...
Akanksha पर Asha Saxena
दो दो जेठ
हम तो एक से ही परेशान थे।
अब तो दो दो जेठ आ गये।
बादल कहाँ हैं? घूँघट कर लूँ।
फिर पिया की याद के झोंके सता गये...
--
दो ग़ज़लें !
1
भलमनसाहत भारी रख
थोड़ी दुनियादारी रख...
2
एक ग़ज़ल गरमी की ...
यूँ गर्मी से यारी रख
कूलर की तैयारी रख...
भलमनसाहत भारी रख
--
--
चन्द माहिया:
क़िस्त 44
:1:
खुद तूने बनाया है
अपना ये पिंजरा
ख़ुद क़ैद में आया है
:2:
किस बात का है रोना
छूट ही जाना है
क्या पाना,क्या खोना ?
:3:...
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक
--
बारिश, अल्लू अर्जुन
और फेसबुक ट्विटर
कल ऑफिस पहुँचे तो उसके बाद जो बारिश शुरू हुई, तो शाम को घर आने तक चलती ही रही। आने में तो हम रैनकोट पहनकर आये, परंतु फिर भी थोड़ा बहुत भीग लिये थे। घरपर निकलने के पहले ही फोन करके कह दिया था कि आज शाम को तो पकौड़ा पार्टी करेंगे, और बरसात का आनंद लेंगे। घर पहुँचे थोड़ा बहुत ट्रॉफिक था, पर 18 किमी बाईक से चलने में डेढ़ घंटा लगना मामुली बात है। कार से जाना नामुनकिन जैसा है, पहले तो दोगुना समय लगेगा और फिर पार्किंग नहीं मिलेगी, एक बार गये थे तो तीन घंटे जाने में लगे थे, पार्किंग नहीं मिली थी तो घर पर आकर वापिस से पार्किंग करनी पड़ी थी। जिसको बताया वो हँस हँसकर लोटपोट था कि तुमने कार से जाने की हिम्मत कैसे जुटाई...
--
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुप्रभात आज मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंसुन्दर रविवारीय अंक
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सार्थक सूत्रों से से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को स्थान्देने के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को मान देने का हृदय तल से सादर आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंकों का चयन सुंदर प्रस्तुति।
चर्चा मंच को नमन बहुत अच्छी रचनाऐं पढने को मिली
सुप्रभात ,मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति , मेरी भी रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभार !
जवाब देंहटाएं