मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
आसार नजर आ रहे हैं
बेवकूफ होशियारों में शामिल हो कर
जल्दी ही उजड़ने जा रहे हैं
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjCopNM6Crcc5xk5Ic9VLtJC-Orqg0KaeP8OqZvyRrlA5MqQcavMEXyRW8FyIe3l7SdHKZ2bpoK62RmxszDSwJTD-PNjEnTsXiqh8uNDaij_gntBxKZSL9pPrPXRlzueQxJX8HVaYGbqrY/s320/images.jpg)
उलूक टाइम्स पर
सुशील कुमार जोशी
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छोटी उम्र में मौत का कहर
....मौत को घर देखना ही था, इस कमबख्त ने कही नही छोड़ा एक भी कोना संसार मे , हरेक को छला है - मौत से भयावह, ठगने वाला छलिया कोई नही और बेरहम तो इतनी कि कोई मोह माया नही - आगा पीछा भी नही देखती कभी एक झटके से अपने साथ ले जाती है दृष्ट और निकम्मी कही की...
ज़िन्दगीनामा पर Sandip Naik
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उस तरफ़ फिर बद रवी की, इन्तहा ले जाएगी,
फिर घुटन कोई किसी को, करबला ले जायगी.
ज़ुल्म से सिरजी ये दौलत, दस गुना ले जाएगी,
लूट कर फ़ानी ने रक्खा है, फ़ना ले जाएगी...
Junbishen पर
Munkir
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हाथ पकडती है और कहती है
(गजल 4)
मददगार है तो हिसाब ना रख
लेन-देन की किताब ना रख।
सामने समन्दर है तो! लेकिन पानी-पानी
प्यासे के काम न आये ऐसा आब ना रख...
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सच्चा रामबाण नुस्खा
माँ की झिड़की में माँ का दुलार,
माँ की महिमा अपरंपार !
जितने माँ ने कान उमेंठे,
उतने मेरे भाग जागे।
माँ का रूतबा शानदार...
माँ की महिमा अपरंपार !
जितने माँ ने कान उमेंठे,
उतने मेरे भाग जागे।
माँ का रूतबा शानदार...
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लग्न-राशि फल -
18 और 19 मई 2018
संगीता पुरी
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ग़ज़ल
"यहाँ गुलशन सजाना है"
(राधा तिवारी "राधेगोपाल" )
![](https://preciouslifetips.files.wordpress.com/2016/02/90f72-great-flowers-in-your-garden-ideas.jpg)
मुझे है आज यह चिंता, के घर कैसे बनाना है।
वतन के वास्ते हमको, यहाँ सब कुछ लुटाना है। ।
गरीबों की हुई मुश्किल, बढ़ी महँगाई है इतनी ।
गरीबों को नहीं मिलता, सही खाना खजाना है...
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भूमिजा हूँ मैं
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhShfjN9m-xuT3B4BbgibH53Gwhl-2DsLXQKhbC7hAG6EIwycqNVERUn9kEj1GUVs9-OimOXo429Jin7Q_dFZIP3Ss9YJb0J3HyZYQf48gOwjwL588NS34zVqec9Wq9DbfsfObtwaBbTcI_/s320/2-NEW+SUBJECT.jpg)
आओ ना !
ठिठक क्यों गए ?
चलाओ कुल्हाड़ी !
करो प्रहार !
सनातन काल से ही तो
झेलती आई हूँ मैं
अपने तन मन पर
तुम्हारे सैकड़ों वार...
ठिठक क्यों गए ?
चलाओ कुल्हाड़ी !
करो प्रहार !
सनातन काल से ही तो
झेलती आई हूँ मैं
अपने तन मन पर
तुम्हारे सैकड़ों वार...
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चावल के पापड़ बनाने का
परफेक्ट और आसान तरीका
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjtFgGisnUvslvD0VScjrgLF1lvRTiosjYjke0qJGUk4Wos0d4tMLXhfXm0oQT4z6tMQ-rFIpFkaBYV9nCTbuNGnbFsGdJhDoCJBzFTmM9F9t3nNji6-Ea0fNArxRj_VbaTOSN_thhcQqY/s320/IMG_20180517_100645_Fotor.jpg)
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना सम्मिलित करने के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
सुप्रभातम शास्त्रीजी और अन्य रचनाकार ।
जवाब देंहटाएंमुझ बेवकूफ़ को होशियारों में शामिल करने के लिए धन्यवाद ।
आज के दिन सोच विचार के लिए
काफ़ी सामान दिया चर्चा ने
सहर्ष स्वागत !
आप बेवकूफ कैसे हो सकते हैं? मंत्री हैंं ? किसी भी तरह के?
हटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूबसूरती से सजा चर्चा मंच भिन्न भिन्न लेख और रचनाकारों से सजा
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को सम्मलित करने का सादर आभार।
सुन्दर चर्चा । आभार आदरणीय बेवकूफ 'उलूक' के सूत्र को शीर्षक पर स्थान देने के लिये?
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