मित्रों!
गुरूवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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तेरे जैसा ज़माने में कोई दूजा नहीं है पर
रक़ीबों पर करम तेरा मुझे शिक़्वा नहीं है पर
समझ ले तू के यह तारीफ़ है ऐसा नहीं है पर...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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(;तितलियाँ )
राधा तिवारी ' राधेगोपाल '
मधुबन में इठ्लाएं तितलियाँ l
मन को खूब लुभाएं तितलियाँ ll
जब जब भौरें आए चमन में l
अपने पंख हिलाएं तितलियाँ...
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पुराकाल से ही हम यह देखते आ रहे हैं कि सत्य कह पाने की क्षमता हर एक में नहीं होती । कोई ही विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न होता है जो सत्य कह पाने की क्षमता रखता है । वरन अधिकतर लोग कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में झूठ का सहारा लेते ही है । साथ ही ये कह कर खुद को सुरक्षित कर लेते हैं कि किसी की जान बचाने को या किसी की भलाई के लिए बोला गया झूठ, झूठ की श्रेणी में नहीं गिना जाता ।
अजीब विडम्बना है न...
Annapurna Bajpai
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क्या वाकई श्रमिक दिवस को
ये महिलाएँ सेलिब्रेट करती होंगी...
शब्द-शिखर पर Akanksha Yadav
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573.
ऐसा क्यों जीवन...
ये कैसा सहर है
ये कैसा सफर है
रात सा अँधेरा जीवन का सहर है
उदासी पसरा जीवन का सफर है।
सुबह से शाम बीतता रहा
जीवन का मौसम रूलाता रहा
धरती निगोडी बाँझ हो गई
आसमान जो सारी बदली पी गया।
अब तो आँसू है पीना
और सपने है खाना
यही है जिन्दगी
यही हम जैसों की कहानी...
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर , सार्थक प्रस्तुति , सादर नमन !
जवाब देंहटाएंव्यापक चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार/
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति ,
नमन
सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंसुंदर विविधता लिए सार्थक प्रस्तुति. आभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए. सादर
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