सुधि पाठकों!
सोमवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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इंतजार
(राधा तिवारी " राधेगोपाल")
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhQJrVqhbcQ_GfyjfHi2UWxwAZ5GUCqGOEoxxSAhCEvfi_C9ifeNLwB7wnVESLVSRMM31nxw3GoaTUungZoyqCY5m206B8tS7afqGS0WByL3fxoRzesmtEkElTwqQ-SDcHeSGc72OK92uTc/s320/IMG-20170623-WA0141.jpg)
दिल के फासलों को दूर करना ही पड़ेगा l
कुछ हमें कुछ तुम्हें चलना ही पड़ेगा l l
काम कोई भी मुश्किल नहीं इस जहान में l
कोशिशें करके संभलना ही पड़ेगा ...
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एक हंस और हंसिनी
ये कहानी आपको झकझोर देगी 2 मिनट में,एक अच्छी सीख अवश्य पढ़ें...*. एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए, उजड़े वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये! हंसिनी ने हंस को कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ?? यहाँ न तो जल है, न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं यहाँ तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा ! भटकते भटकते शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज की रात बीता लो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे ! रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे, उस पर एक उल्लू बैठा था। वह जोर से चिल्लाने लगा...
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क्षणिका चयन-01 :
मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhI5qU1LKfzOW0-35TBJenI7TN04YEAAqbFIpZ24KqB5uGbnKR5XH7j44IafYVZBAzwVM4vvjIS1AfqZRCZz-Uz_BJ1GHQFZzqrdm7IISB4LbqYGyNQC4bsG9NucCMANtWiLoN8v5VLB1s/s200/sheel+kaushik.jpg)
उमेश महादोषी
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यादों का कोई सिलेबस नहीं होता
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi-BJfZdXMGr2mqAr7Yoahxio9f0Qkzed_exVbmTHQxk3BW8jjjamE3Qz2HOT2_5kLhNq53709OjzMJTLMyokg52dCUHC5p6akJ91kfL4oUUx-AH6FRRAVGRn0jXqUkVer_RGvxF_4Klymm/s320/IMG_20180520_040725_322.jpg)
सच है यादें जीवन के अध्ययन के लिए ज़रूरी हैं पर इनका कोई पाठ्यक्रम तय नहीं होता । जब भी आतीं हैं कुछ न कुछ सिखा जनतीं हैं । कोई तयशुदा पाठ्यक्रम कहाँ है इनका । परीक्षाएं अवश्य ही होतीं हैं । पेपर भी हल करता हूँ । पास भी होता हूँ फेल भी । चलीं आतीं हैं पिछले दरवाज़ों से और कभी स्तब्ध करतीं हैं तो कभी हतप्रभ कब तक ज़ेहन में रुकतीं हैं किसी को मालूम नहीं होता...
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आदत बुरी है ...
डॉ. इन्दिरा गुप्ता
![](https://lh3.googleusercontent.com/-nGrVfYCec7Q/Wv5RhoZEkTI/AAAAAAAAtsE/abUUCR8hROA4IYl6S7kMAo2YEB2-XGZ6ACJoC/w506-h750/gplus1510142697.jpg)
उनकी नजरों मैं हमने देखा
बला की चाहत छुपी हुई है
छलक के आँसू निकल के बोला
यही तो आदत बड़ी बुरी है...
मेरी धरोहर पर
yashoda Agrawal -
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स्वार्थ
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiPTslsveKcMlIF2qFwxMu_oUS6LqAlwvXa81xoEhIgCr-yhGi9Gvwo6V0uv52XmRkEJme6_rtdSjX-Y_o9A4GOZLJUORvWYWMGpvk4pjP3pVjZ5ciP2AiHyio-cro-a2VDLWfqDa84Lozb/s320/20052018_072906_pixel-1.jpg)
purushottam kumar sinha
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मैं अकिंचन.....
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgBLWVpozcsayiXlPtQfYNhFgFCqvbXo0Vq-A00EmuNGKxR4ZO6sYHzHDHCkO4cyMofujkZXafE3bt1bwXsO0FUR94ueWu9dI1qmosIworhPQRLmI7niE4oXbsk5xj5S6BEDAsnhAUEgNRf/s320/u+v+s.jpg)
udaya veer singh
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एक पलायन ऐसा भी
चाहती हूँ देखना तुम्हे तुम्हारी सम्पूर्णता में
बस एक कदम की ही तो ये नामालूम सी दूरी
है बनाई सुनो तुम जानते हो न
निगाहों की भी उम्र होती है ...
झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्तव
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
शुभ प्रभात आज की लिंक्स बढ़िया हैं |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद राधा जी |
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंसूुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार राधा जी।
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं