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शुक्रवार, मई 11, 2018

"वर्णों की यायावरी" (चर्चा अंक-2967)

मित्रों! 
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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सरेआम भले ही हो.... 

यशोदा 

उसे पाने की 
कोशिश का
चढ़ा है नशा..
है आ रही महक
गुलाब की
रात देखा था 
इक ख़्वाब सा
किया था हमने
इज़हार प्यार का... 
धरोहर पर 
yashoda Agrawal  
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दोहे  

"लेंगे हम को नोच"  

राधा तिवारी 

माली करता है सदा, उपवन का सिंगार।
भँवरे करते हैं सभी, कली देख गुंजार ।।

पौधे के मन की व्यथा, समझ ना पाता कोय।
माली उपवन सींचता, जब-जब पतझड़ होय,,, 
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छोटी सी जिम्मेदारी 

कुछ समय पहले घर के पास एक खंबे पर बड़ा सा हैलोजन लगा है। एक दिन दोपहर में बाहर जाते समय देखा हैलोजन चालू था।(मेरे घर के सामने बड़ा सा नीम का पेड़ है इसलिए न सड़क दिखती है न लाइट।) थोड़ा ध्यान से देखा तो पाया कि डायरेक्टर तार जोड़ कर चालू कर दिया गया है और वह दिन रात जल रहा है... 
kavita verma  
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ओ बाबुल 

purushottam kumar sinha  
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Kanchipuram-  

The Holy City 

Naresh Sehgal  
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बेटी के नाम खत 

ओ लाडली, कोई ताकीद नहीं है 
यह बस एक बात है 
इसे सुनो सिर्फ बात की तरह 
मानने के लिए नहीं, 
सोचने के लिए 
जो लोग डरायें तुम्हें 
उनसे डरना नहीं, 
भिड़ने को तैयार रहना... 
Pratibha Katiyar  
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8 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी रचना को सम्मान देने हेतु आभार। सुप्रभात।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात
    आभार, आभार और फिर आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात,
    सुन्दर चर्चा ..........

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय शास्त्री जी को बहुत - बहुत धन्यवाद ' क्रांतिस्वर' को इस अंक में स्थान देने हेतु।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  6. सूचना परक पोस्ट को यहाँ स्थान देने का आभार .....सभी लिंक्स पर धीरे -धीरे जाना होगा ....गीत कवयित्रियाँ अपने गीत भेज सकती हैं ....drbhavanatiwari@gmail.com पर

    जवाब देंहटाएं
  7. मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं

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