स्नेहिल अभिवादन
रविवासरीय चर्चा में आप का हार्दिक स्वागत है|
रविवासरीय चर्चा में आप का हार्दिक स्वागत है|
देखिये मेरी पसन्द की कुछ रचनाओं के लिंक |
अनीता सैनी
---
फूल और कांटा
माँ
--------
गद्य-पद्य "मातृ दिवस"
जो बच्चों को जीवन के,
कर्म सदा सिखलाती है।
ममता जिसके भीतर होती,
माता वही कहाती है
--
माँ ने वाणी को उच्चारण का ढंग बतलाया है,
माता ने मुझको धरती पर चलना सिखलाया है,
खुद गीले बिस्तर में सोई, मुझे सुलाया सूखे में,
माँ के उर में ममता का व्याकरण समाया है।
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
-----
विश्वमोहन at
-----
------
मशकूक
" माँ "
Kamini Sinha at
मेरी नज़र से
------
जीवन
------
-----
एक गीत-
पियराये पत्तों से
जयकृष्ण राय तुषार at
-------
सभी पाठकों को मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा।
आपका आभार अनीता सैनी जी।
सुन्दर पठनीय संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचनाओं से सजा आज का यह अंक अत्यंत सराहनीय है प्रिय अनीता।
जवाब देंहटाएंमातृ-दिवस की सभी को शुभकामनाएँ।
सुन्दर प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंसराहनीय और सुन्दर प्रस्तुति प्रिय अनीता । मुझे इस संकलन में सम्मिलित करने के लिए सस्नेह आभार ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स. मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया अनीता जी 🙏
जवाब देंहटाएंसुंदर!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाएं
बहुत ही सुन्दर सार्थक सूत्रों का संकलन ! मेरी दोनों रचनाओं को आज के पटल पर स्थान देने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! मातृृ दिवस की आपको व सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाएं