मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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दुर्घटना में कोई भी फंस सकता है।
इसलिए सुरक्षा उपायों की जानकारी
सबको अवश्य होनी चाहिए
Active Life पर
Sawai Singh Rajpurohit
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एक अदद करारी खुशबू
शर्मा जी अपने काम में मस्त सुबह सुबह मिठाई की दुकान को साफ़ स्वच्छ करके करीने से सजा रहे थे । दुकान में बनते गरमा गरम पोहे जलेबी की खुशबु नथुने में भरकर जिह्वा को ललचा ललचा रही थी। अब खुशबु होती ही है ललचाने के लिए , फिर गरीब हो या अमीर खींचे चले आते है। खाने के शौक़ीन ग्राहकों का हुजूम सुबह सुबह उमड़ने लगता था। खाने के शौक़ीन लोगों के मिजाज भी कुछ अलग ही होते हैं। कुछ गर्मागर्म पकवानों को खाते हैं कुछ करारे करारे नोटों को आजमाते हैं...
sapne(सपने) पर
shashi purwar
सन्नाटा सा पसरा है
ज़िन्दगी से उठापटक जारी है
साँस लेना भी जैसे भारी है
संशयों के झुरमुट में लम्हें बीत रहे हैं
हम बूँद-बूँद पात्र से रीत रहे हैं...
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तुम हो तो...
तुम हो तो पल-पल तार
अन्तर के गीत मधुर गुनगुनाती है
प्रतिपल उठती,प्रतिपल गिरती साँसें
बुलबुल-सी फुदक-फुदककर शोर मचाती है...
मन के पाखी पर
Sweta sinha
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मैं किसी तारे सा चमकता
दूर से बीज को पिता बनते देख
मुस्कुराता रहूँगा -
पितृ ऋण के तीस बरस
27 मई 2019
ज़िन्दगीनामा पर
Sandip Naik
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सोशल मीडिया बना एक अहम् किरदार
मुकुल का मीडिया पर Mukul
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अव्यवस्था के अग्नि कुण्ड में ---
सूरत अग्नि काण्ड पर
मौसम आयेंगे जायेंगे पर
वे वापस ना आयेंगे
घर आँगन में नौनिहाल
अब ना खिलखिलाएंगे !
गर्म हवा से भी न कभी
छूने दिया था जिन्हें
सोच ना था अव्यवस्था के
अग्नि कुंड उन्हें भस्म कर जायेंगे...
वे वापस ना आयेंगे
घर आँगन में नौनिहाल
अब ना खिलखिलाएंगे !
गर्म हवा से भी न कभी
छूने दिया था जिन्हें
सोच ना था अव्यवस्था के
अग्नि कुंड उन्हें भस्म कर जायेंगे...
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बहुत सुन्दर अंक।
जवाब देंहटाएंविविधापूर्ण रचनाओं से सजा आज का अंक बेहद सराहनीय है सर..मेरी रचना को स्थान.देने के लिए हृदयतल से आभारी हूँ। सादर शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार संकलन विविध रचनाकारों की सुंदर प्रस्तुति का सुंदर गुल दस्ता।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
लाजबाव चर्चा
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा प्रस्तुति शानदार रचनाएँ
जवाब देंहटाएंसादर
अनुपम सूत्रों का संयोजन आज की चर्चा में ! नेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंमहत्वाकांक्षाओं की भूख से दुखिया यह संसार।
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