मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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ग़र चंद तवारीखी तहरीर बदल दोगे -
अदम गोंडवी
गर चंद तवारीखी तहरीर बदल दोगे
क्या इनसे किसी कौम की तक़दीर बदल दोगे
जायस से वो हिन्दी की दरिया जो बह के आई
मोड़ोगे उसकी धारा या नीर बदल दोगे...
काव्य-धरा पर
रवीन्द्र भारद्वाज
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हाँ बुद्ध अभी भी हैं बद्ध,
हुए न अब तक मुक्त
नहीं हुआ पूरा संकल्प
इसीलिए हैं अभिशप्त.
दुःख निरोध नहीं आसान,
वैश्विकस्तर से बड़ा है काम 'मैत्रेय' रूप
उन्हें आना होगा, वादा अपना निभाना होगा...
Dr.J.P.Tiwari
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दोहे
" त्रिफला "
( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")
*दिव्य औषधि त्रिफला, सेवन कर इंसान।
उपयोगी यह है बहुत, रोग निरोधक जान।।
रोज त्रीफला खाइए, दूर करेगा रोग।
तन की व्याधि दूर कर, रखता हमें निरोग...
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सब समय की बात है
कई बार कई-कई दिन
कुछ नहीं लिखा जाता
उठते-गिरते हुए भी तो
कितनी बार कुछ नहीं सीखा जाता
कई-कई दिन उदास गुज़र जाते हैं
तब कहीं से कोई ज्योत टिमटिमाती है...
अनुशील पर अनुपमा पाठक
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३५९.
सफ़र
उसका घर-बार,
धन-संपत्ति, ज़मीन-जायदाद,
सब कुछ छिन गया,
कुछ भी नहीं बचा,
जिसे वह अपना कह सके...
कविताएँ पर Onkar
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भक्तिकाल में महाभक्त
भक्तों के भय से
कांपते हाथों ने बटन दबाया है,
इसमें मेरी कोई गलती नहीं,
माफ कर दियो बाबा..) ---
कसम से भक्त परंपरा में
ऐसे महा भक्त की भक्ति को देखकर
बाबा केदार भी फूट फूट कर रोने लगे...
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जो गप्पी नहीं हैं,
उनकी देश में कोई पूछ नहीं है
भारत गपोड़ियों का देश है. जो गप्पी नहीं हैं, उनकी देश में कोई पूछ नहीं है. ऐसे में एक बड़ी सी गप्प हम भी हाँक ही लें. हुआ यूँ कि जब हमने सहित्यिक कृति ’बाल नरेन्द्र’ पढ़ी, तो हमसे रहा नहीं गया और हम पहुँच गये साहब का साक्षात्कार लेने. सर, आपके बचपन पर लिखी गई ’बाल नरेन्द्र’ पढ़ी. उसमें गेंद वाला वाकिया जब गेंद तालाब में चली जाती है जिसमें घड़ियाल (मगरमच्छ) रहते हैं और सबके मना करने के बाद भी आप सर्जिकल स्ट्राईक कर घड़ियालों के घर में कूद कर न सिर्फ अपनी गेंद बल्कि घड़ियाल का एक बच्चा भी साथ ले आते हैं. इस शौर्य गाथा पर कृप्या प्रकाश डालें...
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मन तेरा रूखा रूखा,तन तेरा टूटा टूटा
मन तेरा रूखा रूखा तन तेरा टूटा टूटा
क्या प्यार की रसम निभा के आयी हो
झुकी झुकी ये आँखें फूली-फूली ये साँसे
लूट कर या खुद को लुटा के आयी हो।
मन तेरा रूखा रूखा....
बहुत सुंदर मंच है,बुद्ध पर पढ़ने को बहुत कुछ है। मेरे लेख को स्थान देने के लिये हृदय से आभार शास्त्री सर।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा आदरणीय , बेहतरीन रचनाएँ
जवाब देंहटाएंसादर
सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबढ़िया अंक।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत शानदार प्रस्तुति। सभी रचनाकारों को बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल की. आभार.
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