मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--
में तृष्णा !!
मैं संग्रहित करता रहा
जीवन पर्यन्तद्रव्य रिश्ते नाते
तेरे मेरेसम्बन्ध अनगिनत
नहीं एकत्रित करने काध्यान गया
परहित,श्रद्धा, भक्तिविनम्रता, आस्था, करुणा
में से कुछ एक भीजो साथ रहना था
उसे छोड़ दियाजो यही छूटना था
उसकी पोटली मेंलगाता रहा गाँठ
कुछ रह ना जाये बाकी...
मैं संग्रहित करता रहा
जीवन पर्यन्तद्रव्य रिश्ते नाते
तेरे मेरेसम्बन्ध अनगिनत
नहीं एकत्रित करने काध्यान गया
परहित,श्रद्धा, भक्तिविनम्रता, आस्था, करुणा
में से कुछ एक भीजो साथ रहना था
उसे छोड़ दियाजो यही छूटना था
उसकी पोटली मेंलगाता रहा गाँठ
कुछ रह ना जाये बाकी...
--
--
--
क्या चाहता है
एक मजदूर ?
मजदूर हूँ , हाँ मैं मजदूर हूँ ।
नहीं कहीं से भी मैं मजबूर हूँ ।।
देश की डोर है, मेरे हाथो में ।
अपने देश का मैं गरूर हूँ ।।
मजदूर हूँ, हाँ मैं मजदूर हूँ ...
नहीं कहीं से भी मैं मजबूर हूँ ।।
देश की डोर है, मेरे हाथो में ।
अपने देश का मैं गरूर हूँ ।।
मजदूर हूँ, हाँ मैं मजदूर हूँ ...
Manoj Kumar
--
--
613.
अधिकार और कर्त्तव्य
अधिकार है तुम्हें
कर सकते हो तुम
हर वह काम जो जायज नहीं है
पर हमें इजाजत नहीं कि
हम प्रतिरोध करें,
कर्तव्य है हमारा
सिर्फ वह बोलना
जिससे तुम खुश रहो
भले हमारी आत्मा मर जाए,,
डॉ. जेन्नी शबनम
--
--
--
--
(ग़ज़ल )
कल मिला था गाँव में ...!
भ्रांतियों की भीड़ में खो गया अपना वतन ,
कल मिला था गाँव में रो गया अपना वतन ।
कह रहा था जा रहा हूँ ढूंढने रोजगार कोई ,
परिवार को उम्मीद के काँधे पे ढो गया वतन...
Swarajya karun
--
नवगीत - 4 -
श्रीकृष्ण तिवारी
कुछ के रुख दक्षिण
कुछ वाम
सूरज के घोड़े हो गए
बेलगाम
थोड़ी- सी तेज हुई हवा
और हिल गई सड़क
लुढ़क गया शहर एक ओर
ख़ामोशी उतर गई केंचुल -सी
माथे के उपर बहने लगा
तेज धार पानी सा शोर...
कुछ वाम
सूरज के घोड़े हो गए
बेलगाम
थोड़ी- सी तेज हुई हवा
और हिल गई सड़क
लुढ़क गया शहर एक ओर
ख़ामोशी उतर गई केंचुल -सी
माथे के उपर बहने लगा
तेज धार पानी सा शोर...
काव्य-धरा पर
रवीन्द्र भारद्वाज
--
यह कंकर वाली दाल है
मुझ जैसी महिला के लिये हर रोज सुबह एक नयी मुसीबत लेकर आती है, आप पूछेंगे कि ऐसा क्या है जो रोज आती है! सुबह नाश्ते में क्या बनेगा और दिन में खाने में क्या बनेगा, एक चिन्ता तो वाजिब ही है, क्योंकि इस चिन्ता से हर महिला गुजरती है लेकिन मेरी दूसरी चिन्ता भी साथ-साथ ही चलती है कि लेपटॉप पर क्या पकाया जाए और पाठकों को क्या परोसा जाए...
--
--
--
--
ताकत यानी पावर का नाम है राजनीति!
जिज्ञासा पर Pramod Joshi
--
--
--
--
01-15 May 2019
दीनदयाल शर्मा
--सबक़
बालकहानी
बालकुंज पर सुधाकल्प
--
बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय 👌
जवाब देंहटाएंशानदार रचनाएँ,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ,मुझे स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय
आभार
सादर
सुन्दर संकलन।
जवाब देंहटाएंव्वाहहहहह..
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
Behtreen Charcha...
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंआदरणीय रुपचन्द्र शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सारगर्भित चर्
मेरी पोस्ट को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए हार्दिक आभार 🙏