मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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फिर फिर भीतर दीप जलाना होगा
फिर फिर भीतर दीप जलाना होगा
नव बसंत का स्वागत करने
जग को अपनेपन से भरने
उस अनंत के रंग समेटे
हर दर बन्दनवार सजाना होगा...
Anita
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इन्सानियत
*.....क्या खूब इन्सानियत की हस्ती हो गई *
*हथियार बेशकीमती जिंदगी सस्ती हो गई !!
सु-मन (Suman Kapoor)
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दोहे
"तक्षशिला में आग "
( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")
तक्षशिला में आग लगी, महल हो गया खाक।
चौ मंजिल से कूदते, बच्चे बन बेबाक।।
धूं धूं करके जल उठा, महल मंजिला चार।बच्चों पर प्रभु हो गया, कैसा अत्याचार..
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जी सर बहतु सुंदर दोहा...।
जवाब देंहटाएंइस चुनाव में अपने यूपी में भी महागठबंधन का यही हाल हुआ है। उसके मिलावट को जनता समझ गयी और फिर एक बार मोदी सरकार का जुमला उसे भा गया। बेचारे अखिलेश की पत्नी और भाई बंधु भी हार गये।
मेरी रचना को सुंदर मंच पर स्थान देने के लिये प्रणाम।
सुन्दर चर्चा प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंअति श्रम से सजाया, विविध विषयों पर सुंदर रचनाओं की खबर देता है चर्चामंच का आज का अंक, बहुत बहुत बधाई..आभार मुझे भी इसका भाग बनाने के लिए !
जवाब देंहटाएंवन्दनवार से सजे द्वार की चौखट पर बैठ कर चर्चा करना बहुत सुहाया.
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद शास्त्रीजी.
सभी रचनाकारों को बधाई !